महात्मा गांधी और क्रिश्चियन कन्वर्जन

ईसाई मिशनरी लगातार देश के अलग-अलग हिस्सों में धर्मांतरण कराने में लगी हुई है। छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश के जनजाति और दलित क्षेत्रों में इलाज या पैसे का प्रलोभन देकर अथवा जबरन धर्मांतरण के अनेकों केस दर्ज है।

The Narrative World    18-Jan-2024   
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महात्मा गांधी का कन्वर्ज़न के विषय पर एक
उद्धरण है : "यदि ईसाई मिशनरी समझते हैं कि ईसाई धर्म में कन्वर्ज़न से ही मनुष्य का आध्यात्मिक उद्धार संभव है, तो आप यह काम मुझसे या महादेव देसाई (गांधी जी के निजी सचिव) से क्यों नहीं शुरू करते? क्यों इन भोले-भाले, अबोध, अज्ञानी, गरीब और वनवासियों के कन्वर्ज़न पर जोर देते हैं? यह तो बेचारे ईसा और मोहम्मद में भेद नहीं कर सकते और ना आपके धर्म उपदेश को समझने की पात्रता रखते हैं। वे तो गाय के समान मूक और सरल हैं। जिन भोले भाले अनपढ़ दलितों और वनवासियों की गरीबी का दोहन कर के आप इस आई बनाते हैं वह ईसा के नहीं 'चांवल' अर्थात पेट के लिए इसाई होते हैं।"


वर्तमान में कन्वर्ज़न को लेकर चर्चा जोरो पर है। जगह-जगह ईसाई मिशनरियों द्वारा कन्वर्ज़न कराए जाने के मामले सामने आ रहे हैं। खासकर जनजाति बहुल क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियों की पैठ देश के लिए एक चिंता का विषय है।


ऐसे में हमें कन्वर्ज़न पर महात्मा गांधी के विचार को जानना भी आवश्यक है। जिस गांधी का नाम लेकर तमाम तथाकथित बुद्धिजीवी धर्मांतरण के मामले पर चुप्पी साध लेते हैं उन्हें पता होना चाहिए कि महात्मा गांधी धर्मांतरण के खिलाफ थे।

महात्मा गांधी ने 1916 में क्रिश्चियन एसोसिएशन ऑफ मद्रास की एक सभा को संबोधित करते हुए स्पष्ट रूप से कहा था कि "धर्मांतरण राष्ट्रांतरण है।"

महात्मा गांधी जीवन पर्यंत कन्वर्ज़न के खिलाफ रहे। उन्होंने अपने जीवन का बहुमूल्य समय भारत से बाहर बिताया लेकिन कभी धर्मांतरित नहीं हुए। 22 मार्च 1935 में एक पत्रिका में उन्होंने धर्मांतरण के मुद्दें पर अपने विचार विस्तार से रखे थे।

उनका मानना था कि "धर्म हर व्यक्ति का निजी मामला है, इसलिए धर्म किसी दूसरे पर थोपा नहीं जाना चाहिए। मैं विश्वास नहीं कर सकता कि एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का धर्मांतरण करे। दूसरे के धर्मों को कम करके आंकना ऐसा प्रयास कभी नहीं होना चाहिए। जिस तरह भारत और अन्य देशों में धर्मांतरण का कार्य चल रहा है मेरे लिए उससे सहमति रखना असंभव है।"


लेख में आगे उन्होंने लिखा "धर्मान्तरण विश्व में शांति की स्थापना में सबसे बड़ा अवरोध है। एक ईसाई क्यों किसी हिंदू को ईसाई धर्म में परिवर्तित करना चाहता है? वह उस हिंदू से क्यों संतुष्ट नहीं है जो एक अच्छा इंसान यह हिंदू धर्मी है? व्यक्ति और उसके ईश्वर के बीच का संबंध नितांत व्यक्तिगत है।"


ईसाई मिशनरी लगातार देश के अलग-अलग हिस्सों में धर्मांतरण कराने में लगी हुई है। छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश के जनजाति और दलित क्षेत्रों में इलाज या पैसे का प्रलोभन देकर अथवा जबरन धर्मांतरण के अनेकों केस दर्ज है।

भारत में कन्वर्ज़न का मुद्दा हमेशा से विवादास्पद रहा है। वैसे तो धर्म को मानना या नहीं मानना व्यक्तियों की निजी इच्छा पर निर्भर करता है लेकिन ईसाई मिशनरियों और अन्य धर्मावलंबियों द्वारा अनेकों बार प्रलोभन देकर या डरा धमकाकर धर्मांतरण कराने के मामले सामने आए हैं।


अधिकतर मामले जनजाति क्षेत्रों और दलित समुदायों के बीच से निकले हैं। भारत के बहुसंख्यक हिंदू समाज का अभिन्न अंग जनजाति और दलित समाज के लोगों को रोगों का इलाज करने के बहाने या कुछ पैसों का प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने का इसाई मिशनरियों पर आरोप लगता रहता है।

कुछ वर्ष पहले ही अंडमान और निकोबार द्वीप के उत्तरी सेंटिनल द्वीप पर एक ईसाई धर्म प्रचारक का मृत शरीर मिला था। वह ईसाई धर्म प्रचारक प्रतिबंधित उत्तरी सेंटिनल द्वीप पर सेंटिनेलिस जनजाति का धर्मांतरण कराने के उद्देश्य से वहां पहुंचा था।


मुख्यधारा से दूर सेंटीनेलिस जनजाति के लोगों ने तीर कमान से उस ईसाई धर्म प्रचारक की हत्या कर दी थी।


अब सोचिए कि ये ईसाई मिशनरी के लोग उन स्थानों पर जाने से भी नहीं चूकते जहां पर भारत सरकार भी नहीं जाती। इनका उद्देश्य सिर्फ एक ही है कि सभी को ईसाई धर्म में परिवर्तित कर देना।


समय दर समय आए एजेंसी के रिपोर्ट के मुताबिक भारत में विदेशों के अलग-अलग जगह से भेजे जा रहे पैसे का एकमात्र मकसद धर्मांतरण का है।


इंटेलिजेंस ब्यूरो की माने तो पूर्व की सभी केंद्र सरकारों ने इस विषय ध्यान नहीं दिया था। सरकार के पास तत्कालीन समय में कुछ ऐसी रिपोर्ट्स भी सौंपी गई थी जिसमें पूरे देश में धर्मांतरण के लिए तमाम एनजीओ को करोड़ों रुपए तक दिए जाते थे।


एनजीओ को दिए जाने वाले पैसे दुनिया के अलग-अलग देशों से होकर भारत आते हैं जिनमें यूनाइटेड किंगडम, इटली, स्पेन, नीदरलैंड्स, जर्मनी और अमेरिका मुख्य रूप से शामिल है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ के जशपुर के कुनकुरी क्षेत्र में ईसाई मिशनरियों ने शुरुआती दौर में शिक्षा स्वास्थ्य के बजाय कानूनी सहायता देकर आदिवासियों को अपने करीब लाया और उसके बाद उनका धर्मांतरण कराया।

आज पूरे देश में ईसाई मिशनरियों के खिलाफ ढेरों मामले सामने हैं। इन पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार को महात्मा गांधी के कहे शब्दों को कानूनी रूप देना जरूरी है। क्योंकि महात्मा गांधी ने कहा था - धर्मान्तरण ही राष्ट्रांतरण है।