किसानों के आड़ में षड्यंत्रकारियों का हुड़दंग

कुछ देसी और कुछ विदेशी शक्तियां भारत को बढ़ते हुए नहीं देखना चाहती है। उन्हें भारत की प्रगति राज नहीं आ रही है। आज भारत "वैश्विक स्तर" पर एक महाशक्ति/ "वर्ल्ड पावर" के रूप में उभर रहा है।

The Narrative World    17-Feb-2024
Total Views |

Representative Image

देश में वर्तमान समय में मोदी विरोधी, सृजन विरोधी, राष्ट्र विरोधी तत्वों की भरमार है। और यह नरेंद्र मोदी के बढ़ते हुए ग्राफ को देखकर हैरान/परेशान हैं, एवं तरह-तरह के षड्यंत्र करके मोदी जी की छवि को गिराना चाहते हैं। देश जो प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है, उसमें अवरोध पैदा करते रहते हैं। इनकी मूल समस्या कुछ और है।


दरअसल विपक्ष हैरान, परेशान है; सत्ता के लिए बेचैन है। ऐसे में वह किसी भी तरह से मोदी की छवि को बिगाड़ना चाहता है। ताकि आगामी लोकसभा चुनाव में वह पुन: सत्ता में वापिस हो सके। विपक्ष के इस मार्ग में सबसे बड़ी बाधा मोदी एवं उनके द्वारा किया जा रहा सृजनकारी, प्रगतिशील कार्य है। पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इतने बड़े पैमाने पर देश के आंतरिक सुधार किए गए एवं वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती हुई साख जो है।

कुछ देसी और कुछ विदेशी शक्तियां भारत को बढ़ते हुए नहीं देखना चाहती है। उन्हें भारत की प्रगति राज नहीं आ रही है। आज भारत 'वैश्विक स्तर' पर एक महाशक्ति/ "वर्ल्ड पावर" के रूप में उभर रहा है। सारा विश्व आज भारत को नमन कर रहा है। भारत दशो दिशाओं में प्रगति कर रहा है। वैश्विक स्तर पर आज भारत के साथ लगभग 200 देश खड़े हैं। दुनिया की जो कभी महाशक्ति कहलाती थीं वह आज भारत की चरण वंदना कर रही हैं। सारा विस्व आज मोदी जी के नेतृत्व मे असुर्ता के खिलाफ एकजुट हो रहा है। यह भारत का बढ़ता हुआ वर्चस्व व भविष्य है।


वर्तमान में कांग्रेस, कम्युनिस्ट, जिहादी शक्तियाँ, टुकड़े-टुकड़े गैंग, भारत विरोधी शक्तियां सभी मोदी जी के बढ़ते हुए ग्राफ और उनके कार्यों से भयभीत, परेशान हैं। उन्हें अपना भविष्य अंधकार मय दिखाई दे रहा है। उनके सारे षड्यंत्र बिफल हो गए हैं; जो वह विगत 75 वर्षों से देश में चला रहे थे। आज देश की विघटनकारी शक्तियां त्राहिमाम- त्राहिमाम कर रही हैं। ऐसे में उन्होंने एक नए हथियार के रूप में "किसानों को अपना मोहरा" बनाया है। इसमें कुछ आंदोलनजीवी, खालिस्तानी, कम्युनिस्ट गठजोड़ करके किसानो के कन्धे से बंदूक चलाई जा रही है।


Representative Image


यधपि देश इस कुचक्र, षड्यंत्र को अब समझ चुका है। अत: यह "छद्म किसान आंदोलन" विफल होने वाला है। चाहे वह कितना ही षड्यंत्र करले किंतु वह सफल नहीं होंगे क्योंकि देश की सज्जन शक्ति, राष्ट्रवादी शक्तियां अब जाग चुकी है। वह देश के सारे षडयंत्रकारियों, विघटनकारियों को ध्वस्त कर देगी। देश विरोधी ताकतों के मंसूबे अब पूर्ण होने वाले नहीं हैं। वह परास्त, नष्ट नाबूत होंगे। प्राची में लालिमा अब छा चुकी है, ऊषा की किरण अब फूट पड़ी है।

मर्सिडीज़, बीएमडब्ल्यू, फॉर्च्यूनर, ऑडी जैसी वर्ल्ड ग्लास गाड़ियों से आंदोलनजीवी "छद्म किसान" प्रदर्शन कर रहे हैं। पुलिस पर पत्थर चला रहे हैं, अपनी तलवारें लहरा रहे हैं। पुलिस और प्रशासन को भयभीत कर रहे हैं। टेन्टो मे काजू-किशमिश का लक्जरी नास्ता हो रहा है। जरा आप विचार कीजिए- क्या यह देश के किसान हो सकते हैं ? नहीं! कभी नहीं! किसान जो देश का अन्नदाता है। वह बहुत सज्जन होता है। वह पुलिस वालों के ऊपर कभी ट्रैक्टर नहीं चढ़ा सकता है, ना पुलिस वालों के ऊपर पत्थर चला सकता है। यह कृत्य तो देशद्रोही, षड्यंत्रकारी, आन्दोलनजीवी ही कर सकते हैं।


Representative Image

विदेशी ताकते भारत की प्रगति के मार्ग में अपरोध पैदा करने के लिए देश के अंदर छिपे विघटनकारि तत्वों को आंदोलन के लिए बड़ा फंड पहुंचा रही हैं। प्रत्येक युग में धर्म-अधर्म की शक्तियों के मध्य संग्राम होता आया है। त्रेतायुग में राम -रावण युद्ध, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने आसुरी शक्तियों का संहार महाभारत के युद्ध के रूप में किया। अब कलयुग की बारी है अतः एक तरफ सज्जन शक्ति होगी और दूसरी तरफ नकारात्मक शक्तियां होगी किंतु विजय सत्य- धर्म, सृजन की ही होगी। अतः युगधर्म- रास्ट्रधर्म निभाने को भारत माता के प्रत्येक बेटे को तैयार रहना चाहिए। यही समय की पुकार है।

अतः देश के समाज को, राष्ट्रवादी जनों को, देश की सज्जन शक्ति को इन विघटनकारी शक्तियों के कृत्यों को पहचान कर, उन्हें उचित जवाब देना चाहिए अन्यथा यह देश का बड़ा नुकसान कर सकते हैं। देश को बहुत क्षति पहुंचा सकते हैं। देश के विकास में क्षणिक बाधा उत्पन्न कर सकते हैं। यधपि नियंता का आश्वसन "सत्यमेव जयते" का है, अत: रास्ट्रधर्म निर्वाह के लिये सजग रहें। देश की सज्जन शक्ति, राष्ट्रवादियों का एक-एक वोट राष्ट्र को हिमालय के शिखर पर पहुंचा सकता है।

लेख

डॉ नितिन सहारिया

स्तंभकार