बस्तर में बैकफुट पर माओवादी संगठन : दो दिन में 4 माओवादी ढेर, 4 हुए गिरफ्तार ; एक ने किया सरेंडर

पिछले सप्ताह दो दिनों के भीतर बस्तर के अलग-अलग जिलों में सुरक्षाकर्मियों द्वारा की गई कार्रवाई में 4 माओवादी मारे गए हैं, और 4 माओवादी गिरफ्तार किए गए हैं। वहीं इसी दौरान एक खूंखार इनामी माओवादी ने भी पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है।

The Narrative World    27-Feb-2024   
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छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनने के बाद जिस तरह से माओवादी आतंकियों ने एक के बाद एक अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया था
, उसके बाद से यह कहा जा रहा था कि प्रदेश की भाजपा सरकार जल्द ही नई नीतियां बनाकर फोर्स को नक्सलियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की खुली छूट देगी।


प्रदेश की सरकार से जैसी आशा थी, ठीक उसी प्रकार की कार्रवाइयां अब बस्तर में देखी जा रही है। एक तरफ माओवादी अब बैकफुट पर जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सुरक्षाबलों की कार्रवाइयों में तेजी आ चुकी है।


इसी का परिणाम है कि पिछले सप्ताह दो दिनों के भीतर बस्तर के अलग-अलग जिलों में सुरक्षाकर्मियों द्वारा की गई कार्रवाई में 4 माओवादी मारे गए हैं, और 4 माओवादी गिरफ्तार किए गए हैं। वहीं इसी दौरान एक खूंखार इनामी माओवादी ने भी पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है।


सबसे पहली घटना शनिवार, 24 फरवरी को घटित हुई, जिसमें सुरक्षाबलों ने एक माओवादी को मार गिराया था। पुलिस के द्वारा दी गई जानकारियों के अनुसार माओवाद से प्रभावित सुकमा जिले में हुए मुठभेड़ में माओवादी मारा गया था।


दरअसल भेज्जी थाना क्षेत्र के अंतर्गत माओवादियों की उपस्थिति एवं उनके द्वारा किसी गतिविधि की आशंका के चलते सुरक्षा बल के जवानों को अंदरुनी जंगलों में पेट्रोलिंग के लिए रवाना किया गया था।


इस दौरान गश्ती करते हुए सुरक्षाकर्मी जब बुर्कलंका गांव के करीब पहुंचे तब वहां पर पहले से ही घात लगाए बैठे माओवादियों ने सुरक्षाकर्मियों पर गोलीबारी शुरू कर दी। माओवादियों के द्वारा की गई इस अंधाधुंध फायरिंग का जवाब देते हुए सुरक्षा बल के जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू की।


इस दौरान दोनों ओर से गोलीबारी चलती रही जिसके बाद जवानों को भारी पड़ता देख माओवादी वहां से भाग निकले। मुठभेड़ के बाद जब फोर्स ने घटनास्थल की तलाशी ली तब उन्हें वहां एक माओवादी का शव जंगल में पड़ा हुआ मिला।


वहीं शनिवार को ही सुरक्षाकर्मियों को बीजापुर में भी सफलता हासिल हुई है। जवानों ने जिले में माओवादी गतिविधियों में संलिप्त चार नक्सलियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार कुटरू थाना क्षेत्र से गिरफ्तार इन माओवादियों की पहचान जयसिंह, फागूराम, गोविंद वत्ती और गुट्टा के रूप में हुई है।


पुलिस ने बताया कि क्षेत्र में माओवादियों की गतिविधि की गुप्त सूचना मिलने के बाद सुरक्षा बलों को सर्च अभियान में भेजा गया था। इस दौरान सुरक्षा बलों ने घेराबंदी कर इन चारों माओवादियों को दबोच लिया।


गिरफ्तार माओवादियों के पास से प्रतिबंधित माओवादी आतंकी संगठन से जुड़ा हुआ पर्चा, पंपलेट, कुछ पटाखे एवं बैटरी समेत अन्य सामान भी बरामद किए गए हैं।


“इन घटनाओं के बाद सुरक्षा बल के जवानों को अगले दिन, अर्थात रविवार 25 फरवरी को बड़ी सफलता मिली। बस्तर संभाग के कांकेर जिले में सुरक्षाकर्मियों ने मुठभेड़ में तीन माओवादियों को मार गिराया। जिला पुलिस अधीक्षक से मिली जानकारी के अनुसार सुरक्षा बलों एवं माओवादियों के बीच यह मुठभेड़ जिले के कोयलीबेड़ा के अंदरूनी जंगल में हुई थी।”


मिली जानकारी के अनुसार इस क्षेत्र में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड और बीएसएफ की संयुक्त टीम सर्च अभियान के लिए निकली थी जिस दौरान उनका सामना माओवादियों से हुआ। दोनों ओर से चली गोलीबारी में तीन माओवादी मारे गए। पुलिस अधिकारी ने बताया कि मारे गए माओवादियों के पास से दो हथियार भी बरामद किए गए हैं।


सुरक्षा बलों के द्वारा बस्तर के जंगलों में की जा रही लगातार कार्रवाई से अब माओवादी संगठन पूरी तरह बैकफुट में आ चुका है। यही कारण है कि अब माओवादी संगठन के बड़े आतंकी भी आत्मसमर्पण का रास्ता चुन रहे हैं।


इसी क्रम में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में ही एक ऐसे खूंखार माओवादी आतंकी ने सरेंडर किया है जो बीते 20 वर्षों से माओवादी आतंकी संगठन में सक्रिय था।


माओवादी आतंकियों के पीएलजीए के बटालियन नंबर एक की कंपनी नंबर 2 के कमांडर के रूप में सक्रिय नागेश उर्फ पेड़कम एर्रा ने सुकमा पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। सरेंडर करने वाले माओवादी पर ₹8 लाख का इनाम घोषित था।


जिला पुलिस अधीक्षक से मिली जानकारी के अनुसार नागेश के द्वारा किया गया यह आत्मसमर्पण माओवादी संगठन के लिए एक बड़ा झटका है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार आत्मसमर्पण करने वाला माओवादी नागेश बीते 20 वर्षों में माओवादी आतंकियों के द्वारा किए गए विभिन्न हमलों में शामिल था। ताड़मेटला की घटना से लेकर तिम्मापुराम की घटना में भी नागेश शामिल था।


ऐसे में नागेश के द्वारा सरेंडर करने की घटना को क्षेत्र में माओवादी आतंकी संगठन के कमजोर होने के संकेत के रूप में समझा जा रहा है।