देश में देखा जाए तो 28 राज्य और 9 केंद्र शासित प्रदेश हैं और हर राज्य में खेती और किसान भाइयों के प्रमुख भूमिका है। लेकिन क्यों हर बार पंजाब और उससे सटे राज्य हरियाणा के कुछ जिले के वह गरीब किसान जो जी- वैगन, मर्सिडीज़, फॉर्च्यूनर और जिनके ट्रैक्टरों पर एक-एक दो दो लाख के साउंड लगे हैं, जिनकी ट्रालियों से शराब चिकन चकना रखा हो, इतने गरीब और बेचारे किसान ही आंदोलन करने दिल्ली आते हैं, जहां एक शख्स प्रधानमंत्री को 2 से 3 साल में मार दिया जाएगा, ऐसा बोलता है, तो कोई कहता है कि मैं निहंग सिख हूं और खालिस्तान के लिए भिंडरावाले के लिए आंदोलन में आया हूं, तो कोई कहता है कि राम मंदिर बनाकर मोदी ने जो अपना ग्राफ ऊपर किया है,मैं उसे गिराने के लिए आया हूं।
हम सब जानते हैं कि पंजाब में पिछले पांच दशक से कुछ आतंकवादी देश को तोड़कर खालिस्तान की मांग कर रहे हैं और इसके लिए वह हत्याएं भी करते हैं। अभी के किसान आंदोलन में दिल्ली के शंभू बॉर्डर पर कुछ लोगों ने आतंकवादी भिंडरावाला और खालिस्तान के समर्थन में पोस्ट दिखाए और पुलिस वालों पर पत्थर व तलवार से हमला किया।
खालिस्तान और भिंडरावाला का समर्थन करता आंदोलन
हरियाणा के एक यूट्यूब चैनल सत्य खबर ने 12 फरवरी को एक वीडियो साझा किया। इस वीडियो में कुछ सिख खालिस्तान की माँग करते दिख रहे हैं। उनमें से एक सिख ने कहा, “हम सिंघु बॉर्डर पर खड़े हैं, जहाँ तुम लोगों ने बैरिकेड लगा रखे हैं। एक काम करो: हरियाणा के बॉर्डर को हमेशा के लिए बंद कर दो। हम पाकिस्तान के साथ सीमा खोलेंगे। तुम लोगों ने हमें भारत से अलग किया तो अब अलग ही हो जाते हैं।”
इसके बाद इन लोगों ने केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा। उस कथित किसान ने आगे कहा, “मोदी सरकार पंजाब को अपना नहीं समझती है। अगर वो पंजाब को अपना नहीं समझते हैं तो हमें अलग हो जाने दो। हमें अपना देश खालिस्तान बनाने दो। हम पाकिस्तान के साथ जुड़ जाएँगे। हमने दीवारें नहीं बनाईं, तुमने बनाईं। तुमने हमें भारत से अलग कर दिया है। अब हम खालिस्तान बनाएँगे।”
गौरतलब है कि हरियाणा और पंजाब से प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू करने के लिए दिल्ली की ओर मार्च कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और किसान मजदूर मोर्चा सहित 200 से अधिक किसान संघों ने एमएसपी और अन्य माँगों के लिए कानूनी गारंटी की माँग को लेकर 13 फरवरी (मंगलवार) को ‘दिल्ली चलो’ मार्च की घोषणा की थी।
इस वीडियो में खालिस्तान की बात करने वाले किसानों ने बताया कि वे एयरपोर्ट जाना चाहते था। हालाँकि, इस दौरान वे ये भूल गए कि जहाँ से वो आए हैं, उस पंजाब में 9 घरेलू और 3 अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट हैं। वे इस दौरान विरोधाभासी दावे भी करते रहे। वे एक तरफ दिल्ली के एयरपोर्ट जाने की बात करते हैं तो दूसरे ही पल कहते हैं कि वे बैरिकेड देखने आए थे।
इसके बाद वह कथित किसान कहता है, “हम अपनी फसलें अपने आप बेच लेंगे। हमें अलग हो जाने दो।” इसके बाद इस सिख व्यक्ति ने हिन्दुओं पर उलटी सीधी टिप्पणियाँ कीं। उसने कहा, “अमृतसर से लाखों ट्रॉलियाँ आ रही हैं। सबमें लंगर लगे हुए हैं। ये हिन्दू लंगर लगा पाएँगे? ये भूख से मरते हुए हमारे लंगर में आते हैं। ये लोग चावल, कढ़ी और पूड़ी का भी इंतजाम नहीं कर सकते लेकिन यहाँ जलेबी, पूड़ी और लड्डू भी बाँटेंगे।”
इसके बाद उस सिख व्यक्ति ने एक फर्जी तर्क गढ़ा। उसने दावा किया कि देश में सबसे ज्यादा अन्न पंजाब पैदा करता है। हालाँकि, सच्चाई यह है कि पंजाब देश में अन्न का सबसे बड़ा उत्पादक नहीं है, खासकर चावल और गेहूँ। पश्चिम बंगाल सबसे ज्यादा चावल पैदा करता है। वहीं, उत्तर प्रदेश गेहूँ सबसे ज्यादा पैदा करता है। यहाँ पंजाब दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक तक नहीं है।
एक अन्य वीडियो में ट्रैक्टर पर चढ़ा एक निहंग सिख प्रदर्शन के बारे में बताता है, “किसानों की फौज आ रही है। हम तो किसी भी हालत में दिल्ली में घुसेंगे।” जब उससे पूछा गया कि सरकार उनकी माँगें मानेगी, तो उसने कहा, “हमें तो कोई उम्मीद नहीं है। उन्होंने हमें धोखा दिया है। 700 किसान मरे हैं। दीप सिद्धू मर गया। हमें कोई आशा नहीं है। हम आजाद पंजाब चाहते हैं, खालिस्तान वाला पंजाब।”
आतंकी पन्नू का समर्थन
एक तरफ किसान अपनी मांगों के लिए दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं तो दूसरी तरफ सिख फॉर जस्टिस के खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत पन्नू भी मैदान में कूद पड़ा है। आतंकी पन्नू ने एक वीडियो जारी की जिसमें आंदोलन कर रहे किसानों को भड़काया गया है। वीडियो में पन्नू खालिस्तानी मूवमेंट को हवा देता नजर आ रहा है। पन्नू दिल्ली को फतेह करने का नारा लगा रहा है। वह किसानों को कह रहा है कि दिल्ली से मांगना बंद कर दिल्ली पर कब्जा करो और दिल्ली फतेह करो। मोदी के सीने और घर पर खालिस्तानी झंडा लगा दो।
आतंकी गुरपतवंत पन्नू ने किसानों को भड़काते हुए कहा कि आपकी जमीनें, आपकी फसलें, व हकूमत हिंदुओं की दिल्ली से चल रही है। पन्नू ने 13 फरवरी को दिल्ली से मांगने की नहीं दिल्ली को फतेह करने की बात पर जोर दिया। वीडियों में पन्नू ने दीप सिद्धू का नाम लेकर भी उकसाया और कहा कि दीप सिद्धू पंजाब को आजाद कहने की बात करता था।
वहीं खालिस्तान समर्थकों ने अमृतपाल सिंह की रिहाई को लेकर जेल में नारे लगाए हैं जो शंभू बार्डर पर डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। बता दें कि जब 2021 में किसान आंदोलन चला था तब भी खालिस्तान के पक्ष में नारेबाजी की गई थी जिससे माहौल तनावपूर्ण बन गया था। तब किसानों ने खालिस्तान से कोई संबंध न कहकर मामले को शांत किया था। जिक्रयोग्य है कि आतंकी पन्नू पर मौजूदा समय सें 20 अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। आतंकी पन्नू को 2020 में आतंकवादी ऐलान किया गया था। ता दें कि गत साल एयर इंडिया को उड़ाने की धमकी दी गई थी जिसके आरोप में आतंकी पन्नू पर मामला दर्ज किया गया था। 26 जनवरी को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को भी आतंकी पन्नू ने धमकी दी थी।
किसानों की मांग :-
1.फसलों पर एसपी
2.₹10000 मासिक पेंशन
3.₹700 मनरेगा में 200 दिनों के लिए प्रतिदिन के हिसाब से
4.बिजली बिल माफ हो और
5.डीजल पर सब्सिडी मिले।
देश पर कितना भार आएगा
केवल एमएसपी की बात करें तो देश के ऊपर 10 लाख करोड़ का अतिरिक्त खर्च आएगा। यदि किसानों की संख्या देखें तो 15 करोड़ है। इसमें से 2 करोड़ भी यदि पेंशनधारी हुए तो 10000 प्रति माह के हिसाब से सालाना खर्च होगा। 240000 करोड़ इसी क्रम में मनरेगा का कुल खर्च होगा। 21 लाख करोड़ बिजली बिल भी यदि 200 यूनिट पर ₹8 से देखें तो ₹288000 करोड़ का खर्चा होगा। केंद्र और राज्य सरकारों की सब्सिडी देखें तो 3 लाख 56 हजार करोड़ है।
2022 में भारत का कुल बजट था, ₹45 लाख करोड़ जो की सरकारी आमदनी से 6.1%( PRS india. Org. की रिपोर्ट)ही अधिक है। किसान जो मांग कर रहे हैं उसका अतिरिक्त भार आता है। 36 लाख करोड़ तो अगर यह सब पूरा करना है तो एक आम आदमी को समर्थन देना होगा, 252 रुपए किलो गेहूं की एसपी को मतलब ₹300 किलो का आटा खरीदना होगा।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमत है, ₹18 किलो (Business insider की रिपोर्ट) और भारत सरकार का एसपी है, ₹22 किलो (The economic times की रिपोर्ट) तो आटे का दाम है, 35 से ₹40 किलो तो यह जो एसपी सरकार किसके पैसे से लेकर किसानों से फसल अंतरराष्ट्रीय बाजार के दम से भी अधिक में खरीद कर राशन की दुकानों पर 4 से ₹6 किलो में देती है तो अगर राशन का दाम 10 गुना बढ़ता है, तो कौन सा आम नागरिक राशन खरीदेगी और कैसे?
और अगर सरकार ऐसा करती है तो घाटा किसका होगा, टैक्स देने वाले लोगों का और अगर इसी प्रकार शिक्षक, डॉक्टर, वकील अन्य वर्ग भी मांग करने लगे और दिल्ली घेरने लगे तो वह दिन दूर नहीं, जब हम श्रीलंका की स्थिति पर पहुंच जाएंगे। बात राजनीति की नहीं, सामान्य बुद्धि विवेक की है, सोचिए!
लेख
एड.आलेख शर्मा
यंगइंकर
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, ग्वालियर
कानूनी सलाहकार, डिजिटल इंडिया