केरल : कम्युनिस्ट सरकार के संरक्षण में SFI के गुंडों की हिंसा, यूथ फेस्टिवल का नाम रखा था 'इंतिफादा'

केरल के सबसे बड़े विश्वविद्यालय "केरल यूनिवर्सिटी" में बीते 7 से 11 मार्च तक हुए युवा महोत्सव का नाम "इंतिफादा" रखा गया था। हालांकि विश्वविद्यालय के एक छात्र के द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका लगाकर इसे हटाने की मांग की गई थी, जिसके बाद इस नाम को बदल दिया था।

The Narrative World    14-Mar-2024   
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इंतिफादा
, एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ बगावत या विद्रोह होता है। हालांकि मुस्लिम जगत में इसका उपयोग मजहबी-युद्ध के लिए किया जाता है। जैसे इजरायली यहूदियों का विरोध करने के किए फिलिस्तीन के मुस्लिम कट्टरपंथी इंतिफ़ादा शब्द का उपयोग करते हैं।


फिलिस्तीनियों द्वारा वर्ष 1987 में सबसे पहले इन्तिफादा शुरू किया गया था, जिसे 1993 तक चलाया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में फिलिस्तीन के अरबी मुस्लिमों ने यहूदी इजराइली समूह के विरुद्ध अनेक गतिविधियों को अंजाम दिया।


इसी कड़ी में दूसरा इंतिफादा वर्ष 2000 से 2005 तक चला, जिसे अल-अक्सा इंतिफादा कहा गया। इसके पश्चात तीसरा और चौथा इंतिफादा भी हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में हिंसा हुई।


कुल मिलाकर देखा जाए तो यह शब्द कहीं ना कहीं इस्लामिक जिहाद की उसी हिंसा से जुड़ा हुआ है, जिसके तहत दुनिया के कई देशों में आतंकी हमले भी हो रहे हैं।


अब यदि इस 'इंतिफादा' नाम से भारत के भीतर कोई जलसा या बड़ा उत्सव हो, तो इसे आप क्या कहेंगे ? जी हाँ यह सच है कि भारत में इसी नाम से एक आयोजन हो रहा था।


“केरल के सबसे बड़े विश्वविद्यालय 'केरल यूनिवर्सिटी' में बीते 7 से 11 मार्च तक हुए युवा महोत्सव का नाम 'इंतिफादा' रखा गया था। हालांकि विश्वविद्यालय के एक छात्र के द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका लगाकर इसे हटाने की मांग की गई थी, जिसके बाद इस नाम को बदल दिया था।”


इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि केरल की कम्युनिस्ट सत्ता के संरक्षण के बिना प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी में आयोजित होने वाले कार्यक्रम का नाम इस प्रकार से रखा जाए।


दिलचस्प बात यह है कि जिस छात्र ने इस नाम के विरुद्ध कोर्ट में याचिका लगाई थी, उसने यह भी दावा किया था कि 'इंतिफादा' शब्द केवल हमास एवं आतंक से ही नहीं जुड़ा है, बल्कि कम्युनिस्टों एवं इस्लामिक समूहों के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में इजरायल के नक्शे में फिलिस्तीन को दिखाया गया था, हो कहीं से भी कला एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए उचित नहीं है।


एक तरफ जहां कम्युनिस्टों के गढ़ में आतंकी विचारों से जुड़े नाम तय किये जा रहे थे, वहीं उनके द्वारा की जा रही गतिविधियां भी संदिग्ध दिखाई दी। केरल विश्वविद्यालय के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के छात्र संगठन ने कम्युनिस्ट पार्टी की छात्र इकाई स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के विरुद्ध जमकर प्रदर्शन किया।


स्टूडेंट्स यूनियन से जुड़े छात्रों ने आरोप लगाया कि एसएफआई के कार्यकर्ताओं ने इस युवा महोत्सव में शामिल होने के लिए आए विद्यार्थियों से मारपीट की है। इसके अलावा यह भी कहा गया कि केरल की कम्युनिस्ट सरकार एसएफआई का समर्थन कर रही है।


छात्र संघ के कार्यकर्ताओं ने मंच में चढ़कर भी विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद पुलिस को मौके पर मोर्चा संभालना पड़ा। हालांकि पुलिस लगातार छात्र संघ के कार्यकर्ताओं को पकड़ती रही, वहीं कार्यकर्ता गुंडागर्दी एवं हिंसा के लिए एसएफआई पर आरोप लगाते रहे।


कुल मिलाकर देखें तो यह स्पष्ट रूप से दिखाई देता है कि कम्युनिस्ट शासन के भीतर जिस प्रकार से वामपंथी दलों से जुड़े कार्यकर्ता हिंसा एवं आतंक का सहारा ले रहे हैं, वह ना सिर्फ विश्वविद्यालय परिसर को बल्कि राज्य की छवि को भी खराब कर रहा है।


वहीं इस्लामिक आतंकी संगठन से जुड़े नामों का प्रयोग करना यह दिखाता है कि केरल की राजनीति एवं तंत्र में इस्लामिक जिहाद एवं कम्युनिज़्म का कट्टरपंथी विचार काफी गहरी जड़ें जमा चुका है।

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