भारत में जब कम्युनिस्टों के पक्ष में नारे लगाए जा रहे थे कि 'हमें चाहिए आज़ादी, बस्तर मांगे आज़ादी' तब इस्लामिक अतिवादी समूह उनके साथ बराबरी से खड़े होकर इन नारों में उनका साथ दे रहे थे।
वहीं जब 'अफ़ज़ल हम शर्मिंदा हैं, कश्मीर मांगे आज़ादी और शाहीन बाग जैसे मामले हुए तब कम्युनिस्टों ने इस्लामिक समूह के साथ मिलकर इन सभी गतिविधियों को अंजाम दिया।
कुल मिलाकर देखा जाए तो यह दिखता है कि भारत के भीतर इस्लामिक समूहों और कम्युनिस्टों के बीच एक गठजोड़ है, जो बाहरी आवरण से तो दिखाई नहीं देता लेकिन अंदरूनी तौर पर काफी मजबूत है।
लेकिन इस्लामिक और कम्युनिस्ट विचारों और विचारकों का यह गठजोड़ भारत के बाहर पूरी तरह दम तोड़ देता है। विशेष रूप से हम देखें तो चीन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
चीन ने पूर्वी तुर्किस्तान के क्षेत्र में कब्जा कर उसे शिनजियांग नाम दिया है, और वहां के मूलनिवासियों को ना सिर्फ प्रताड़ित करता है, बल्कि उनका नरसंहार भी कर रहा है।दरअसल इस क्षेत्र में रहने वाले लोग मध्य एशियाई क्षेत्र के उइगर मुस्लिम हैं, जो तुर्की से मिली जुली भाषा बोलते हैं।
इनकी एक विशाल आबादी पूर्वी तुर्किस्तान अर्थात शिनजियांग में रहती है, जिनकी संख्या लगभग 1.2 करोड़ के आसपास है। इन मुस्लिमों को प्रताड़ित करने के लिए चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने विभिन्न प्रकार की रणनीतियों का इस्तेमाल किया है।
हालांकि इन सब के बीच तो हाल ही में चर्चा में बात आई है, वह यह है कि कम्युनिस्ट सरकार ने अब इस्लाम के 'चीनीकरण' करने का ऐलान किया है। दरसअल चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पहले से ही इस्लाम की कट्टरपंथी गतिविधियों को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के उपाय अपना रही है, लेकिन इस बीच उनकी इस घोषणा ने पूरे वैश्विक मीडिया का ध्यान आकर्षित किया है।
दरसअल इससे पूर्व चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सुप्रीम लीडर और चीन के तानाशाह शी जिनपिंग ने भी इस्लाम के चीनीकरण की बात कही थी। हालांकि शी जिनपिंग केवल इस्लाम तक ही नहीं रुके थे, बल्कि उन्होंने ईसाइयत और बौद्ध मत के भी चीनीकरण की बात कही थी।
'इस्लाम के चीनीकरण' को यदि हम समझने का प्रयास करें तो इसका अर्थ यह निकलता है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी इस्लाम की अपने अनुसार व्याख्या करेगी और चीनी कम्युनिस्ट सत्ता के अनुरूप ही उसे डिजाइन करेगी।
जैसा कि हर कम्युनिस्ट विचार की पार्टी का सिद्धांत है कि देश, धर्म और परिवार से ऊपर पार्टी होती है, ठीक उसी प्रकार मुस्लिमों को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की मशीनरी से जोड़ा जाएगा।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के द्वारा उइगर मुस्लिमों के साथ की जाने वाली ज्यादतियों की बात करें तो, इसके असंख्य उदाहरण देखें जा सकते हैं। चाहे वो इस क्षेत्र की 16,000 मस्जिदों को ढहाना हो या उनकी धार्मिक मान्यताओं पर पाबंदी लगाना हो, चाहे वो मुस्लिमों को सुअर का मांस खिलाना हो या उन्हें बंदी बनाकर उनसे जबरन श्रम करवाना हो, चीनी कम्युनिस्ट सरकार इन सभी गतिविधियों में निरंकुशता से लगी हुई है।
इस 'इस्लाम के चीनीकरण' की रणनीति को अब चीनी कम्युनिस्ट सरकार और अधिक दबाव और प्रभाव के साथ आगे लेकर जाएगी, जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में शिनजियांग क्षेत्र में चीनी कम्युनिस्ट सत्ता द्वारा उइगर मुस्लिमों के साथ और अधिक अत्याचार देखने को मिल सकते हैं।
हालांकि यह भी सत्य है कि चीनी कम्युनिस्ट सरकार जिस प्रकार से सूचनाओं के तंत्र पर सेंसर लगाकर बैठी हुई है, उससे कहीं ना कहीं सही जानकारी पूरी तरह से बाहर आना लगभग असंभव सा है।
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