आम चुनाव से पहले भारत को बदनाम करने में जुटा 'वेस्टर्न ब्लॉक'

विदेश में चल रही इन निजी संस्थाओं के द्वारा जारी किए गए इन आंकड़ों एवं रैंकिंग को पश्चिमी मीडिया समेत भारतीय मीडिया का एक वर्ग कुछ प्रकार पेश करता है, जैसे भारत अब आर्थिक, सामाजिक, लोकतांत्रिक एवं राजनीतिक रूप के साथ-साथ विभिन्न पहलुओं में गर्त में जा चुका है।

The Narrative World    09-Mar-2024   
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कोरोना काल में भारत के द्वारा किए जा रहे सकारात्मक प्रयास हों
, या वर्तमान में भारत की बढ़ती वैश्विक साख हो, इन सभी मामलों में पश्चिमी मीडिया और पश्चिमी समूह (वेस्टर्न ब्लॉक) ने भारत को बदनाम करने और नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ा है।


झारखंड में हुई एक स्पेनिश महिला के साथ दुष्कर्म की घटना से लेकर देश के किसी भी कोने में होने वाली एक नकारात्मक घटना तक, सभी घटनाओं का इस्तेमाल भारत की छवि बिगाड़ने के लिए किया गया है।


इन सब के बीच जिस तरह से बीच-बीच में 'ग्लोबल हंगर इंडेक्स', 'मीडिया फ्रीडम इंडेक्स', 'वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स' एवं तमाम तरह की रैंकिंग निजी एनजीओ द्वारा जारी की जाती है, उसमें भी भारत को निचले पायदानों में रखा जाता है।


विदेश में चल रही इन निजी संस्थाओं के द्वारा जारी किए गए इन आंकड़ों एवं रैंकिंग को पश्चिमी मीडिया समेत भारतीय मीडिया का एक वर्ग कुछ प्रकार पेश करता है, जैसे भारत अब आर्थिक, सामाजिक, लोकतांत्रिक एवं राजनीतिक रूप के साथ-साथ विभिन्न पहलुओं में गर्त में जा चुका है।


इन संस्थाओं द्वारा अपने रिपोर्ट के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया जाता है कि भारत में लोगों के पास खाने को भोजन नहीं है, यहां लोग खुश नहीं, सरकार तानाशाही चलाती है, लोकतंत्र खत्म हो चुका है, और तो और मीडिया को भी कोई स्वतंत्रता नहीं है।


हालांकि यह एक विरोधाभास ही है कि इन खबरों को उन्हीं मीडिया समूहों द्वारा बेफिक्री से प्रकाशित किया जाता है, जो कहते हैं भारत में मीडिया को स्वतंत्रता नहीं है।


इसी कड़ी में अब एक और नया नाम सामने आया है, जिसे लेकर भारत का वामपंथी मीडिया और पश्चिमी नेक्सस एक बार फिर भारत को बदनाम करने में जुट गया है। इस बार यह रिपोर्ट जारी हुई है 'डेमोक्रेसी' अर्थात लोकतंत्र के नाम पर।


वी डेम (वेराइटीज ऑफ डेमोक्रेसी) नामक एक निजी संस्था ने अपनी एक रिपोर्ट जारी की है, जिसे नाम दिया गया है डेमोक्रेसी रिपोर्ट - 2024, इस रिपोर्ट में भारत में लोकतंत्र को लगभग खत्म मान लिया गया है।


इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत एक तानाशाही वाला देश बन चुका है। सबसे हास्यास्पद बात इस रिपोर्ट में कही गई है कि भारत में अब लोकतंत्र ढह चुका है, अर्थात खत्म हो चुका है।


इस रिपोर्ट में भारत को प्रताड़ना करने वाले देश के रूप में बताया गया है, जिसके तहत भारत के लोकतंत्र को इराक़ और पाकिस्तान की श्रेणी में रखा गया है।


गौरतलब है कि जिस संस्था 'वी डेम' ने इस रिपोर्ट को जारी किया है, वह स्वीडन की एक निजी संस्था है। इसमें एक महत्वपूर्ण विषय यह है कि स्वीडन जैसे ही नाटो (NATO) समूह से जुड़ा है, वैसे ही यह रिपोर्ट सामने आई है, जो इस ओर संकेत करता है कि भारत विरोधी पश्चिमी समूह एक बार फिर भारत के विरुद्ध षड्यंत्र में लग चुका है।

“दिलचस्प बात यह है कि इस संस्था का संबंध जॉर्ज सोरोस से भी है, जिसने पहले भी भारत की राष्ट्रवादी सरकार को हटाने के लिए अपनी योजनाओं को सार्वजनिक रूप से उजागर किया था। यह भी बात सामने आई थी कि जॉर्ज सोरोस ने इस काम के किए करोड़ों डॉलर भी खर्च करने की घोषणा की थी।”

 


अब जिस तरह से जॉर्ज सोरोस की संस्था द्वारा फंडेड इस स्वीडिश संस्था ने भारत की छवि बिगाड़ने के लिए इस रिपोर्ट को जारी किया है, तो यह भी साफ होता है कि यह एक बड़ा वैश्विक षड्यंत्र है, जिसके तहत भारत को पीछे धकेलने की साजिश रची जा रही है।


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आगामी महीनों में देश में आम चुनाव होने वाले हैं, ऐसे पश्चिमी संगठन से जुड़े देश की एक संस्था इस तरह से भारत को अपना निशाना बना रही है, वह इस ओर भी इंगित करता है कि पश्चिमी जगत भारत के नागरिकों को यह संदेश देना चाहता है कि वो दुनिया के सबसे बुरे तानाशाही और निरंकुश शासन के अंतर्गत रह रहे हैं।


हालांकि यह फिर एक हास्यास्पद बात होगी, कि उनके द्वारा जिन-जिन माध्यमों में तानाशाही दिखाने का आरोप लगाया जा रहा है, उन सभी माध्यमों से वो अपनी बात स्वतंत्रता से रख रहे हैं।


“आगामी लोकसभा चुनाव से पहले जिस तरह से इस रिपोर्ट को लाया गया है, वह केवल और केवल भारत के चुनाव को प्रभावित करने के उद्देश्य से किया गया एक प्रपंच है, जिसके प्रभाव में ना भारत की जनता आने वाली है, ना ही भारत के नेता आने वाले हैं।”

 


ठीक ऐसा ही प्रपंच पिछले आम चुनाव से पहले वर्ष 2018 में भी किया गया था। इस दौरान वी डेम ने ऐसी ही रिपोर्ट जारी कर भारत को 'चुनावी निरंकुशता' वाला देश बताया था।


वी डेम के द्वारा जारी किए गए इन रिपोर्ट्स में हास्यास्पद यह भी है कि इस संस्था ने लीबिया और फलीस्तीन को लोकतंत्र के मामले में भारत से बेहतर रैंक किया है।


यह सभी आंकड़ें और रिपोर्ट इस बात को साबित भी करते हैं कि पश्चिमी मीडिया, संस्थाएं और समूह भारत को आगे बढ़ता हुआ ना देख सकते हैं और ना ही भारत के विकास को स्वीकार कर सकते हैं। हालांकि इनके द्वारा रचे जा रहे इन षड्यंत्रों को भारत की जनता ने नजरअंदाज करना शुरू कर दिया है।


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