बस्तर : नक्सली बंदी रही बेअसर, बौखलाए माओवादियों ने की एक जनजाति ग्रामीण की हत्या

छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र से माओवादियों की एक और कायराना आतंकी करतूत सामने आई है। नक्सल आतंकियों ने कांकेर जिले में एक स्थानीय जनजातीय ग्रामीण की हत्या कर दी है।

The Narrative World    16-Apr-2024   
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छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र से माओवादियों की एक और कायराना आतंकी करतूत सामने आई है। नक्सल आतंकियों ने कांकेर जिले में एक स्थानीय जनजातीय ग्रामीण की हत्या कर दी है।


मिली जानकारी के अनुसार माओवादियों ने छोटेबेठिया थाना के अंतर्गत हिदुर गांव में इस घटना को अंजाम दिया है, जहां उन्होंने एक जनजाति ग्रामीण की हत्या कर उसके शव को गांव के पास फेंक दिया है।


इस आतंकी घटना के बाद क्षेत्र में भय का माहौल ऐसा है कि मृतक के परिजन भी हत्या की जानकारी देने से डर रहे हैं। पुलिस ने बताया कि उन्हें इस घटना की जानकारी मिली है, जिसके बाद मामले की जांच की जा रही है।


दरअसल यह पहला मामला नहीं है, जिसमें माओवादियों ने छत्तीसगढ़ में गरीब एवं जनजाति ग्रामीणों को निशाना बनाया है। इससे पहले बस्तर क्षेत्र में ही बीते माह माओवादी आतंकियों ने 3 जनजाति ग्रामीणों की हत्या की थी, जिसके बाद से ही क्षेत्र में भय का माहौल बढ़ गया था।


इसके अलावा राजनांदगांव क्षेत्र में भी अपनी धमक को मजबूत करने के लिए माओवादी आतंकियों ने एक ग्रामीण को 'पुलिस इन्फॉर्मर' बताकर उसकी हत्या कर दी थी। पुलिस माओवादियों के द्वारा की जा रही इन हत्याओं को उनकी बौखलाहट के रूप में देख रही है।


जिस तरह से नक्सल प्रभावित एवं ग्रस्त क्षेत्रों में सुरक्षा बल के जवान आक्रामक अभियान चला रहे हैं, उसे देखते हुए यह माना जा सकता है कि अब बस्तर में भी कश्मीर की तरह 'ऑपरेशन आल ऑउट' शुरू हो चुका है, जिसके तहत माओवाद को जड़ से खत्म करने के किए केंद्रीय सुरक्षा बल एवं राज्य की पुलिस सक्रिय हो चुकी है।


पुलिस के इन अभियानों को देखते हुए माओवादी एक के बाद एक बड़े हमले की योजना बना रहे हैं, साथ ही सुरक्षा बलों पर भी हमला करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जवानों की सूझबूझ के चलते हर बार माओवादियों को मुंह की खानी पड़ी रही है।


इसका ताजा उदाहरण है इसी माह 2 अप्रैल को हुई मुठभेड़, जिसमें माओवादियों ने पहले तो सुरक्षा बलों को एम्बुश लगाकर नुकसान पहुंचाने की योजना बनाई थी, लेकिन जवाबी कार्रवाई में 13 माओवादी ही ढेर हो गए। वहीं दूसरी ओर जवानों को कोई हताहत नहीं हुई।


इससे ठीक पहले 27 मार्च को सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए ऑपरेशन में 6 नक्सली मारे गए थे। ऐसे में माओवादियों द्वारा स्थानीय जनजातीय ग्रामीणों की हत्या करना और उनके पुलिस मुखबिर बताना, केवल और केवल उनकी बौखलाहट को दर्शाता है।


बस्तर में चुनाव से पहले माओवादियों की छटपटाहट


बस्तर संभाग की दो लोकसभा सीटों में आगामी 19 और 26 अप्रैल को मतदान होना है। इस मतदान से पहले माओवादी इस क्षेत्र में किसी बड़ी वारदात को करने की फ़िराक़ में हैं, लेकिन फोर्स की बढ़ती मौजूदगी और सतर्कता ने माओवादियों को बैकफुट पर ला दिया है।


इस बीच माओवादियों ने चुनावों के बहिष्कार का आह्वान किया है, जो उनकी लोकतंत्र विरोधी विचारधारा को भी उजागर करता है। हालांकि अब बस्तर माओवादियों के किसी भी षड्यंत्र में नहीं फंसने वाला है, लेकिन बावजूद इसके सुरक्षा बल के जवान चप्पे-चप्पे पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं।


माओवादियों ने 15 अप्रैल, सोमवार को जिस क्षेत्र में जनजाति ग्रामीण की हत्या की है, उस क्षेत्र में 26 अप्रैल को मतदान होना है। माओवादी प्रयास कर रहे हैं कि इस चुनावी समय में उनके द्वारा फोर्स को नुकसान पहुंचाया जा सके, लेकिन जवानों की आक्रामक कार्रवाइयों ने माओवादी तिलमिला चुके हैं। यही कारण है कि माओवादी अब स्थानीय ग्रामीणों पर अपनी बौखलाहट को निकाल रहे हैं, तथा उनकी हत्या कर रहे हैं।


माओवादी बंदी का भी नहीं हुआ असर


माओवादियों ने जिस दिन जनजाति ग्रामीण की हत्या की, उस दिन उन्होंने 5 राज्यों में बंद का आह्वान किया था। इस दौरान किसी भी राज्य में इस बंद के आह्वान का कोई असर दिखाई नहीं दिया है।


बस्तर में माओवादियों ने छिटपुट घटनाओं को अंजाम देने का प्रयास किया, लेकिन इस प्रभाव व्यापक स्तर पर नगण्य था। वाहनों में आगजनी करने से लेकर अंदरूनी क्षेत्रों में बंद के लिए दबाव बनाने में माओवादी लगे रहे, लेकिन पूरे बस्तर में इसका कोई बड़ा असर नहीं हुआ।


वहीं दूसरी ओर माओवादी बंदी के ठीक एक दिन पहले सुरक्षाबलों ने 7 माओवादियों को गिरफ्तार किया था। इससे भी बड़ा झटका माओवादी संगठन को तब लगा जब दंतेवाड़ा में नक्सली बंदी के ही दिन 26 हार्डकोर माओवादियों ने पुलिस के समक्ष आकर आत्मसमर्पण कर दिया।