देश के विभिन्न हिस्सों में शहरी माओवादियों की गिरफ्तारी ने इस तथ्य को सभी के सामने ला दिया था कि नक्सलियों के लिए शहरों में काम करने वाले समूह का अस्तित्व भी है, और वो समूह सक्रिय रूप से माओवादी गतिविधियों में लिप्त भी है। इसके अलावा यह जानकारी भी सामने आई कि इस पूरे माओवादी आतंक का नेतृत्व जंगलों में नहीं, बल्कि शहरों में है।
शहरों में बैठे तथाकथित पत्रकार, लेखक एवं तमाम तरह के सामाजिक-मानवाधिकार-कानूनी कार्यकर्ता नक्सली संगठन के षड्यंत्रों में शामिल हैं, जो ना सिर्फ माओवादियों को वैचारिक ढाल प्रदान कर रहे हैं, बल्कि उनके लिए नेटवर्क भी बना रहे हैं।
इसी शहरी नक्सलवाद का एक बड़ा सिपहसालार छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर क्षेत्र से गिरफ्तार हुआ है। दरअसल 2 दिन पूर्व छत्तीसगढ़ पुलिस ने मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले से सूरजु टेकाम को गिरफ्तार किया है, जिस पर नक्सलियों का सहयोगी होने का आरोप लगा है।
पुलिस ने गिरफ्तारी के दौरान माओवादी पर्चा, नक्सली साहित्य, बारूद एवं बैटरी समेत कॉर्डेक्स वायर और डेटोनेटर भी बरामद किया है। गौरतलब है कि इन्हीं वस्तुओं के माध्यम से माओवादी विस्फोटक का निर्माण करते हैं, जिनका उपयोग सुरक्षाबलों पर हमले के लिए किया जाता है। जिला पुलिस का कहना है कि गुप्त सूचना के आधार पर सुरजू टेकाम के घर मे छापेमारी की गई, जिसके बाद यह चीजें बरामद हुईं हैं।
कांग्रेस विधायक के साथ मंच साझा कर दिया था भाजपा नेताओं को काटने का बयान
बीते वर्ष जुलाई के माह में सुरजू टेकाम ने मानपुर में एक सभा करते हुए भाजपा नेताओं की हत्या करने का आह्वान किया था। इस आह्वान के बाद क्षेत्र में एक भाजपा नेता की हत्या भी की गई थी, जिसकी जिम्मेदारी बाद में नक्सलियों ने ली थी। सुरजू टेकाम ने कहा था कि यदि भाजपा के नेता इस क्षेत्र में प्रचार करने आते हैं, तो उन्हें काट डाला जाएगा, हत्या कर के फेंक दिया जाएगा।
इस घटना के बाद भाजपा ने पूछा था कि क्या 'भाजपा के प्रचार करने पर हत्या कर दी जाएगी और कांग्रेस का प्रचार करने पर सुरक्षा दी जाएगी ?' यह देखा गया है कि कांग्रेस लगातार भाजपा नेताओं की टारगेट किलिंग कर रही है, वहीं कांग्रेस नेताओं को ऐसा कोई खतरा नज़र नहीं आता है।
हिंदु विरोध और लोकसभा का किया था अपमान
सुरजू टेकाम ने नक्सलियों के हर उस विचार का प्रसार-प्रचार किया था, जिसे माओवादी शहरों तक ले जाना चाहते हैं। चाहे वो लोकतंत्र विरोध का हो या हिंदुओं के विरोध का, अलगाववाद का हो या कथित रूप से कांग्रेस के समर्थन का। सुरजू टेकाम ने कांग्रेस विधायक के साथ मंच साझा करते हुए कहा था कि जितने भी सांसद और नेता संसद में बैठे हैं, वो सभी के सभी बलात्कारी हैं।
इस बयान को सुनने के बाद भी कांग्रेस के विधायक इंद्रशाह मंडावी ने सुरजू को रोकने का प्रयास नहीं किया। इस बयान के बाद राजनांदगांव के सांसद ने सुरजू पर कार्रवाई करने की बात कही थी, लेकिन कांग्रेस सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
वहीं सुरजू ने हिंदु संस्कृति एवं परंपराओं का भी अपने क्षेत्र में विरोध किया था। कांवड़ यात्रा के दौरान सुरजू ने कांवड़ियों को बीच सड़क में ही रोक दिया, तथा उनके साथ दुर्व्यवहार किया था। इसके अलावा मानपुर क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष विजयदशमी के अवसर पर वह क्षेत्र के जनजाति समाज को भड़काने का प्रयास करता था, जिसके बाद क्षेत्र में दशहरा उत्सव का भी विरोध होने लगा।
जनजाति नेता बनकर कर रहा था नक्सल विचारधारा का प्रचार
सुरजू टेकाम ने खुद को क्षेत्र में जनजाति नेता के रूप में स्थापित कर लिया था। मीडिया रिपोर्ट्स से लेकर सामाजिक मंचों में उसे जनजाति नेता के रूप में ही संबोधित किया जाता था। ऐसे में भोले-भाले जनजाति समाज को दिग्भ्रमित कर उन्हें माओवादी विचारधारा से प्रभावित करने का प्रयास कर रहा था।
जिस तरह से सुरजू ने स्थानीय जनजातीय समाज के सामने सांसदों को बलात्कारी बताने की कोशिश की, वह केवल और केवल भारतीय लोकतांत्रिक संसदीय परंपरा से जनजाति समाज का विश्वास खत्म करने का कुत्सित प्रयास था। उसी प्रकार जनजाति समाज को अलगाववादी गतिविधियों में शामिल करने में सुरजू टेकाम सक्रिय रहा है।
बीते 5 वर्षों में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रहने के कारण सुरजू टेकाम के हौसले बुलंद रहे। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी जानकारी सामने आई कि जो भी व्यक्ति या संगठन सुरजू की अनैतिक गतिविधियों का विरोध करता उसे नक्सलियों की ओर से धमकी भरा पत्र भेज दिया जाता था।