इस्लामिक जिहाद की सच्ची कहानी से तिलमिलाए कांग्रेसी और कम्युनिस्ट नेता

दरअसल कांग्रेस और कम्युनिस्ट समूहों के द्वारा इस फ़िल्म का विरोध किया जाना उस तिलमिलाहट का संकेत है, जिससे इनके बनाए हुए प्रोपेगेंडा ध्वस्त होते हैं। दशकों तक इस्लामिक तुष्टिकरण और तृप्तिकरण की राजनीति करने वाली ये दोनों पार्टियां अब सच देख कर घबरा रहीं हैं। इन्हें इस बात का डर है कि कहीं अब प्रदेश की जनता इनके द्वारा किए गए पापों का हिसाब ना मांगने लग जाए।

The Narrative World    05-Apr-2024   
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एक कथन सोशल मीडिया पर लंबे समय से चलता रहा है कि
'यदि आप इस्लाम की आलोचना करेंगे, तो मुस्लिम बुरा मान जाएंगे और यदि आप आईएसआईएस या हिजबुल या इस्लामिक आतंक की निंदा करेंगे तो मुस्लिम और स्वघोषित लिबरल दोनों बुरा मान जाएंगे।' यही स्थिति हमने बीते कुछ वर्षों में देखी है।


जब 'द कश्मीर फाइल्स' सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई तब मुस्लिम कट्टरपंथियों समेत देश के तमाम स्वघोषित लिबरल समूह और कांग्रेसी-कम्युनिस्ट विचारकों एवं नेताओं ने इसका विरोध किया था। कम्युनिस्ट विचारकों ने तो इस पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की थी।


वहीं जब इस्लामिक आतंक और उसके नेक्सस को उजागर करती हुई फ़िल्म 'द केरल स्टोरी' आई, तब तो कम्युनिस्टों ने एक कदम आगे बढ़कर कोर्ट से भी इसको बैन करने की मांग कर डाली। हालांकि यह फ़िल्म मई 2023 में सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई और इसके बाद फ़िल्म को पूरे देश में काफी सराहना मिली।


फ़िल्म में जिस तरह से आईएसआईएस का नेटवर्क और इस्लामिक जिहाद की रणनीति को उजागर किया गया था, उससे घबराकर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने हटाया।


सिनेमाघरों में लगभग 300 करोड़ रुपये की कमाई करने वाली यह फ़िल्म ना सिर्फ दर्शकों को पसंद आई, बल्कि यह व्यावसायिक दृष्टि से भी ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी।


हालांकि कम्युनिस्ट समूह और विचारक हमेशा इस फ़िल्म में दिखाई गई सच्चाई को नकारते रहे, लेकिन बावजूद इसके इस फ़िल्म ने आम जनमानस में अपनी जगह बनाई।


इस बीच अब 5 अप्रैल, 2024 (शुक्रवार) को दूरदर्शन चैनल में इस फ़िल्म को टेलीकास्ट किया जाना है, जिसे लेकर एक बार फिर कम्युनिस्ट और कांग्रेस समूह में खलबली मच गई है।

 

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इस्लामिक जिहादियों को बचाने से लेकर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली इन दोनों पार्टियों के बड़े नेताओं ने इस फ़िल्म को दूरदर्शन में दिखाने का विरोध किया है।


सबसे पहले केरल के मुख्यमंत्री और कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं में शुमार पी विजयन ने इस प्रसारण को लेकर विरोध जताया है। पी विजयन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए दूरदर्शन की निंदा की है।

 

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पी विजयन ने लिखा है कि 'दूरदर्शन द्वारा ध्रुवीकरण एवं भड़काऊ फ़िल्म द केरल स्टोरी का प्रसारण अत्यंत निंदनीय है।' पी विजयन ने इसका विरोध करते हुए दूरदर्शन को भाजपा-आरएसएस की प्रचार मशीन ना बनने की बात कही है।


गौरतलब है कि ये वही पी विजयन हैं जिनके सत्ता में रहते हुए केरल में इस्लामिक जिहाद और जिहादी आतंक अपने चरम पर है। पीएफआई का भारत विभाजन और इस्लामिक आतंक का मॉड्यूल हो या आईएसआईएस का मॉड्यूल, सभी का केंद्र इस समय केरल ही है।


एक तरफ जहां केरल में गैर-मुस्लिम लड़कियों को लव जिहाद में फंसाने की पूरी रणनीति को उजागर करती हुई फ़िल्म है, जिससे पूरा कम्युनिस्ट-इस्लामिक तंत्र बौखला रहा है, वहीं दूसरी ओर यही तंत्र अंदरूनी तौर से इन सभी गतिविधियों को अंजाम भी दे रहा है।


इसके अलावा द केरल स्टोरी फ़िल्म का प्रसारण दूरदर्शन द्वारा किए जाने पर केरल कांग्रेस के शीर्ष नेता एवं राज्य की विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीशन ने भी इसका विरोध किया है।


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वीडी सतीशन ने तो चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर मांग की है कि इस फ़िल्म के टेलीकास्ट को रोका जाए। सतीशन के अनुसार यह फ़िल्म चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करती है, साथ ही केरल की खराब छवि पेश करती है।


“लेकिन सतीशन और उनके नेता राहुल गांधी से यह पूछा जाना चाहिए कि आखिर क्या कारण है कि कांग्रेस पार्टी केरल में गैर-मुस्लिमों के साथ हो रहे षड्यंत्र को नहीं दिखाना चाहते ? उनसे यह भी पूछा जाना चाहिए कि आखिर केरल की हिंदु और ईसाई पीड़िताओं के लिए कांग्रेस पार्टी कब आवाज़ उठाएगी ? यह भी पूछा जाना चाहिए कि क्या कांग्रेस अब केवल मुस्लिमों की पार्टी बनकर रह गई है, जिसमें उन्हें अब हिंदुओं और अन्य समूहों से कोई मतलब नहीं ? ”


दरअसल कांग्रेस और कम्युनिस्ट समूहों के द्वारा इस फ़िल्म का विरोध किया जाना उस तिलमिलाहट का संकेत है, जिससे इनके बनाए हुए प्रोपेगेंडा ध्वस्त होते हैं। दशकों तक इस्लामिक तुष्टिकरण और तृप्तिकरण की राजनीति करने वाली ये दोनों पार्टियां अब सच देख कर घबरा रहीं हैं। इन्हें इस बात का डर है कि कहीं अब प्रदेश की जनता इनके द्वारा किए गए पापों का हिसाब ना मांगने लग जाए।


हालांकि दूरदर्शन ने 5 अप्रैल, अर्थात आज शुक्रवार को रात्रि 8 बजे 'द केरल स्टोरी' फ़िल्म को प्रसारित करने का निर्णय लिया है, जो कि एक कमर्शियल ब्लॉकबस्टर फ़िल्म है, और जिसे दिखाने का एक प्रसारणकर्ता को पूरा अधिकार है।


ऐसे में किसी भी प्रकार के प्रोपेगेंडा एवं दबाव में आए बिना दूरदर्शन को इसका प्रसारण करना चाहिए, ताकि समाज को यह संदेश जाए कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट समूह अब कभी भी और किसी भी समय किसी फिल्म-गीत-संगीत और नाटक का प्रसारण नहीं रोक सकते, क्योंकि भारत में लोकतंत्र है और यहां सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है।

 
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