बस्तर में ढेर होता लाल आतंक

अभी शुरुआती 4 महीनों के जो आंकड़ें सामने आये हैं, उनमें से यह भी समझा जा सकता है कि पूर्व की कांग्रेस सरकार यदि चाहती तो माओवादियों के विरुद्ध सख्त एक्शन ले सकती थी, लेकिन उसने ना सिर्फ एक्शन लेने में ढिलाई बरती, बल्कि माओवादियों का परोक्ष रूप से समर्थन भी किया।

The Narrative World    02-May-2024   
Total Views |

Representative Image
छत्तीसगढ़ में माओवादी आतंकियों को धूल चटाते हुए सुरक्षाकर्मियों ने
15 दिन के भीतर ही दूसरा बड़ा एनकाउंटर किया है। बीते मंगलवार (30 अप्रैल, 2024) को माओवादियों के मांद में घुसकर सुरक्षा बल के जवानों ने ऐसे ऑपरेशन को अंजाम दिया है, जिसके बाद पहले से ही बैकफुट पर बैठे माओवादियों के हौसले अब पूरी तरह से पस्त हो गए हैं।


नारायणपुर जिले में सुरक्षा बल के जवानों द्वारा किए गए इस ऑपरेशन में 10 माओवादी ढेर किए गए हैं, जिसमें 3 महिला माओवादी भी शामिल हैं।


पुलिस अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार अबूझमाड़ के क्षेत्र में हुई इस मुठभेड़ में मारे गए माओवादियों की शिनाख्त भी हो गई है, जिसमें जोगन्ना और विनय जैसे खूंखार इनामी माओवादी भी शामिल हैं।


अबूझमाड़ के टेकमेटा और काकुर गांव के क्षेत्र में स्थित जंगल में हुई इस मुठभेड़ के बाद जवानों ने मारे गए माओवादी आतंकियों के शव समेत कुछ हथियार जिसमें एके-47 भी है, और विस्फोटक भी बरामद किए।


माओवादियों के सबसे बड़े गढ़ में से एक अबूझमाड़ के इस क्षेत्र में हुई यह मुठभेड़ अब माओवादियों के ढहते किले की निशानी है।


इस मुठभेड़ को लेकर बस्तर आईजी का भी कहना है कि लगभग चार घंटे तक चले इस ऑपरेशन में जवानों को जबरदस्त सफलता हाथ लगी है।


दरअसल जिस तरीके से छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा की सरकार बनते ही माओवादियों के विरुद्ध ताबड़तोड़ ऑपरेशन शुरू हुए हैं, उससे यह प्रतीत होता है कि अब माओवादी आतंक छत्तीसगढ़ से जल्द ही समाप्त होने वाला है।


नक्सल ऑपरेशन में माओवादियों के मारे जाने की बात करें तो केवल अप्रैल माह में ही 50 अधिक माओवादी मारे जा चुके हैं। वहीं अगर हम वर्ष 2024 की बात करें तो पहले क्वार्टर अर्थात शुरुआती 4 माह में 91 माओवादी आतंकी ढेर हुए हैं। गौरतलब है कि ये सभी माओवादी बस्तर क्षेत्र में मारे गए हैं।


“इन माओवादियों के पास से भारी मात्रा में बंदूक, हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किया गया है। माओवादियों के विरुद्ध चल रहे इस आक्रामक अभियान के चलते अब माओवादी संगठन बौखलाया हुआ है, लेकिन सच्चाई यह भी है माओवादी संगठन किसी भी बड़े हमले करने की क्षमता को खो चुका है।”


सुरक्षाबलों की मुस्तैदी, आक्रामक अभियान और माओवादियों को ढेर करने की रणनीति के बाद अब माओवादियों के सभी षड्यंत्र ना सिर्फ विफल हो रहे हैं, बल्कि मुठभेड़ों में माओवादी ढेर भी हो रहे हैं।


अभी शुरुआती 4 महीनों के जो आंकड़ें सामने आये हैं, उनमें से यह भी समझा जा सकता है कि पूर्व की कांग्रेस सरकार यदि चाहती तो माओवादियों के विरुद्ध सख्त एक्शन ले सकती थी, लेकिन उसने ना सिर्फ एक्शन लेने में ढिलाई बरती, बल्कि माओवादियों का परोक्ष रूप से समर्थन भी किया।


आज जब हम छत्तीसगढ़ प्रदेश में माओवादियों के विरुद्ध इस अभियान को देखते हैं तो समझ आता है कि सुरक्षा बल के जवान इस माओवादी आतंक को खत्म करने में पूरी तरह सक्षम है, केवल इन्हें मजबूती से आगे बढ़ाने की आवश्यकता ही है।


इसका सबसे बड़ा उदाहरण अप्रैल में के तीनों मुठभेड़ हैं, जिसमें पहले 2 अप्रैल को 13 माओवादियों को ढेर किया गया, फिर 16 अप्रैल को 29 माओवादी मारे गए और अब 30 अप्रैल को 10 माओवादी ढेर हुए हैं।


गौरतलब है कि 16 अप्रैल, 2024 को हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों को मिली सफलता अब तक माओवादियों के विरुद्ध मिली सबसे बड़ी कामयाबी थी, जिसने ना सिर्फ माओवादी संगठन को बल्कि अर्बन नक्सल समूह को भी बड़ा झटका दिया था।


माओवादियों ने बीते 5 वर्षों (2018-2023) में भाजपा नेताओं को टारगेट कर उनकी हत्याएं की थी, और 2023 में भाजपा की सत्ता आने के बाद भी यह बदस्तूर जारी था।


लेकिन अब जिस तरीके से माओवादियों का खात्मा किया जा रहा है, उससे यह स्पष्ट है कि बस्तर जल्द ही लाल आतंक से मुक्त होने वाला है, जहां अब 'लाल सलाम' नहीं बल्कि 'दंतेश्वरी माता' और 'सोनदई माता' के नाम के ही जयकारे लगेंगे।