जंगलों से निकल रही शांति की आवाज, टॉप नक्सली सोनू ने 60 माओवादियों संग किया आत्मसमर्पण

एक करोड़ के इनामी सोनू का 60 साथियों संग आत्मसमर्पण, माओवादी संगठन की कमर टूटी, लाल आतंक के अंत की आहट।

The Narrative World    14-Oct-2025
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माओवाद को लेकर देश की सबसे बड़ी खबर महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से आई है। सीपीआई (माओवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य और शीर्ष नेता मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू ने मंगलवार को 60 कैडरों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। सोनू पर एक करोड़ रुपये का इनाम था और उसका आत्मसमर्पण अबूझमाड़ में माओवाद की आखिरी सांस के रूप में देखा जा रहा है।
 
सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह एक ऐतिहासिक सफलता मानी जा रही है, वहीं माओवादी संगठन के भीतर यह बड़ी हार है। सोनू संगठन के उन वरिष्ठ नेताओं में से था जो माओवादी विचारधारा के चरम पर भी शीर्ष रणनीतिक फैसले लेते थे।
 
‘अब नहीं लड़ सकते, रास्ता गलत था’
 
पिछले सप्ताह खबर आई थी कि तेलंगाना निवासी सोनू ने माओवादी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। अपने पत्र में उसने अपने साथियों से अपील की थी कि वे ‘खुद को बचाएं’ और ‘व्यर्थ बलिदान न दें’। पत्र में उसने स्वीकार किया कि माओवादियों का रास्ता पूरी तरह गलत था और संगठन लगातार गलतियों से टूटता गया। उसने कहा कि अब हालात ऐसे नहीं हैं कि सशस्त्र संघर्ष जारी रखा जा सके।
 
नेतृत्व की नाकामी से टूटी माओवादी विचारधारा
 
सोनू के आत्मसमर्पण के साथ ही माओवादी संगठन में दरारें अब साफ दिख रही हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, उसे नॉर्थ और वेस्ट सब-जोनल ब्यूरो के कुछ वरिष्ठ माओवादियों का समर्थन भी मिला है, जिन्होंने भी मुख्यधारा में लौटने की इच्छा जताई है।
 
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जानकारी के अनुसार, सोनू ने 15 अगस्त को मौखिक और लिखित दोनों बयान जारी किए थे, जिसमें उसने युद्धविराम की इच्छा जताई थी। सितंबर में जारी बयान में उसने बताया था कि हथियार डालने का निर्णय पोलित ब्यूरो ने बसवराजु की मौत से पहले ही ले लिया था।
 
अमित शाह की रणनीति साबित हुई कारगर
 
यह समर्पण गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्रीय अभियान की बड़ी सफलता है, जिसका लक्ष्य 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करना है। केंद्र सरकार ने सख्त सुरक्षा अभियानों और लक्षित विकास योजनाओं के संयोजन से माओवाद को कमजोर किया है।
गृह मंत्रालय के अनुसार, बीते एक दशक में नक्सल हिंसा में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज हुई है। 2010 की तुलना में 2024 में वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी घटनाओं में 81 प्रतिशत और मौतों में 85 प्रतिशत कमी आई है।
 
सोनू का आत्मसमर्पण यह साबित करता है कि बंदूक से सत्ता हासिल करने की माओवादी सोच अब दम तोड़ रही है। जंगलों में छिपा आतंक खत्म होने की ओर है और भारत माओवाद मुक्त भविष्य की ओर बढ़ रहा है।
 
रिपोर्ट
शोमेन चंद्र