103 माओवादी हथियार डाल चुके, बीजापुर में आतंक की विचारधारा को करारा झटका

बीजापुर में नक्सलवाद को करारी चोट, 103 माओवादी आत्मसमर्पण कर हिंसा से दूर हुए, प्रशासन ने इसे विचारधारा की निर्णायक हार बताया।

The Narrative World    02-Oct-2025
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छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में गांधी जयंती के दिन बड़ी कामयाबी मिली। कुल 1 करोड़ 6 लाख 30 हजार के इनामी 49 समेत 103 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर हिंसा की राह छोड़ दी।
 
बीजापुर पुलिस लाइन में आयोजित इस कार्यक्रम में उप पुलिस महानिरीक्षक दंतेवाड़ा रेंज कमलोचन कश्यप, डीआईजी बीएस नेगी और पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव सहित कई सुरक्षा अधिकारियों की मौजूदगी में माओवादियों ने हथियार डाले। आत्मसमर्पण करने वालों में डीव्हीसीएम, पीपीसीएम, एसीएम, जनताना सरकार अध्यक्ष और मिलिशिया कमांडर जैसे उच्च पदस्थ नक्सली भी शामिल रहे।
 
संगठन में बढ़ती दरार और मोहभंग
 
प्रशासन का कहना है कि यह सिर्फ आत्मसमर्पण नहीं बल्कि उस विचारधारा की हार है, जो बरसों तक हिंसा और खून-खराबे के सहारे टिकी रही। लंबे समय से शीर्ष माओवादी नेताओं के मारे जाने और कई वरिष्ठ कैडरों के संगठन छोड़ने से माओवादियों की रीढ़ कमजोर पड़ गई है।
 
जनताना सरकार और रेवोल्यूशनरी पीपुल्स कमेटी (RPC) के बड़े पैमाने पर टूटने से संगठन की पकड़ तेजी से खत्म हो रही है। खुद माओवादी भी मान चुके हैं कि अब उनका जनाधार लगातार घट रहा है।
 
विकास और सुरक्षा रणनीति का असर
 
बीजापुर और आसपास के इलाकों में सुरक्षा कैम्पों की स्थापना, सड़कों का विस्तार, पानी-बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता और सामुदायिक पुलिसिंग ने ग्रामीणों को राहत दी है। डीआरजी, एसटीएफ, कोबरा और केरिपु बलों की संयुक्त सक्रियता ने माओवादियों पर लगातार दबाव बनाया है।
 
नवीन "नियद नेल्लानार योजना" और छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति ने भी माओवादियों को हिंसा छोड़कर मुख्यधारा अपनाने की राह दिखाई है। आत्मसमर्पण करने वालों को रोजगार, शिक्षा, आर्थिक सहायता और पुनर्वास की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
 
आत्मसमर्पण के पीछे कारण
 
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माओवादियों ने बताया कि संगठन में आंतरिक कलह, नेतृत्वहीनता और क्रूर व्यवहार से वे निराश हो चुके थे। भविष्य की चिंता और परिवार के साथ सामान्य जीवन जीने की चाह ने भी उन्हें आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया।
 
इसके अलावा, लगातार मुठभेड़ों में वरिष्ठ नेताओं की मौत और संगठन से अपेक्षित बदलाव न आने से निचले स्तर पर भी असंतोष गहराता गया। यही वजह रही कि अब बड़ी संख्या में माओवादी आत्मसमर्पण कर रहे हैं।
 
पुलिस की अपील
 
समर्पित माओवादियों को 50-50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी गई। बीजापुर पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने कहा:
"सरकार की पुनर्वास नीति माओवादियों को आकर्षित कर रही है। उनके परिवार भी चाहते हैं कि वे सामान्य जीवन जिएं। माओवादियों को अब भ्रामक विचारधाराओं को त्यागकर समाज की मुख्यधारा में लौट आना चाहिए।"
 
लगातार कमजोर हो रहा माओवादी संगठन
 
आंकड़ों की बात करें तो जनवरी 2024 से अब तक जिले में 924 माओवादी गिरफ्तार हुए हैं, 599 ने आत्मसमर्पण किया और 195 मारे गए। इनमें से अकेले 2025 में ही 410 ने आत्मसमर्पण किया और 137 ढेर हुए।
 
स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ सरकार और सुरक्षा बलों की रणनीति से माओवादी संगठन बुरी तरह टूट चुका है। अब यह सिर्फ वक्त की बात है जब जंगलों से हिंसा और खून-खराबे का अध्याय पूरी तरह खत्म हो जाएगा।
 
रिपोर्ट
शोमेन चंद्र