बंगाल की बाढ़ पर ममता का नया खेल, जिम्मेदारी से बचने के लिए अब दूसरों पर ठीकरा फोड़ा

क्या बिहार, झारखंड और भूटान पर दोष डालकर ममता बनर्जी अपने प्रशासन की नाकामी से जनता का ध्यान भटकाना चाहती हैं?

The Narrative World    07-Oct-2025
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पश्चिम बंगाल में बाढ़ से अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी सरकार की लापरवाही छिपाने में जुटी हैं। सोमवार को ममता ने केंद्र सरकार, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, सिक्किम और भूटान तक को दोषी ठहराते हुए कहा कि यह “मानव निर्मित बाढ़” है, जो दामोदर वैली कॉरपोरेशन द्वारा छोड़े गए पानी से हुई है।
 
ममता ने आरोप लगाया कि झारखंड को बचाने के लिए मैथन और पंचेत जलाशयों से पानी छोड़ा गया, जिससे बंगाल में बाढ़ आई। उन्होंने कहा कि “हम बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड का पानी झेलते हैं, अब और कितना सहें?” ममता ने यहां तक कहा कि भूटान और सिक्किम से आई नदियों का पानी भी बंगाल में तबाही मचा रहा है।
 
लेकिन सवाल उठता है कि क्या हर बार केंद्र और पड़ोसी राज्यों को दोष देकर बंगाल सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच सकती है? दामोदर वैली प्रोजेक्ट कोई आज का नहीं, बल्कि दशकों पुरानी योजना है, जिसका उद्देश्य ही बाढ़ नियंत्रण और जल प्रबंधन था। अगर बंगाल में तैयारी सही होती, तो हालात इतने भयावह नहीं होते।
 
ममता के आरोपों का केंद्र सरकार ने तुरंत जवाब दिया। जल शक्ति मंत्रालय ने साफ कहा कि अब तक 1290 करोड़ रुपये की राशि पश्चिम बंगाल को बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत दी जा चुकी है। मंत्रालय ने यह भी बताया कि भारत और भूटान के बीच नदी प्रबंधन को लेकर कई स्तरों पर बैठकें हो रही हैं। इनमें पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारी भी शामिल हैं।
 
 
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दरअसल, केंद्र ने यह भी स्पष्ट किया कि गंगा-हुगली नदी की खुदाई और दामोदर घाटी परियोजना के डीसिल्टेशन जैसे कार्य राज्यों की जिम्मेदारी का भी हिस्सा हैं, लेकिन बंगाल सरकार ने इन पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
 
यह पहला मौका नहीं जब ममता बनर्जी ने किसी आपदा का ठीकरा केंद्र पर फोड़ा हो। पिछले महीने ही उन्होंने कोलकाता की बारिश और जलभराव के लिए बिहार और उत्तर प्रदेश को जिम्मेदार ठहराया था। दुर्गा पूजा से पहले जब शहर का आधा हिस्सा डूबा, तब भी उन्होंने अपनी नाकामी छिपाने के लिए बाहरी कारणों का हवाला दिया।
 
ममता बनर्जी का यह रवैया किसी जिम्मेदार मुख्यमंत्री का नहीं, बल्कि राजनीतिक मंच से दिए गए भाषण जैसा लगता है। हर बार केंद्र से पैसा लेने के बाद भी, जब भी आपदा आती है, तो “भाजपा सरकार पर हमला” उनका पहला रिफ्लेक्स बन जाता है। इससे साफ झलकता है कि ममता प्रशासनिक विफलता की बजाय राजनीतिक लाभ देखने में अधिक दिलचस्पी रखती हैं।
 
बंगाल के कई इलाकों जैसे धूपगुड़ी, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग और कालीम्पोंग में राहत और बचाव के इंतजाम नाकाफी हैं। स्थानीय लोग लगातार शिकायत कर रहे हैं कि प्रशासन ने पहले से कोई तैयारी नहीं की थी। ममता सरकार के पास जवाब नहीं है, इसलिए अब दूसरों पर आरोप लगाकर ध्यान भटकाने की कोशिश हो रही है।
 
ममता बनर्जी का हर बयान अब एक पैटर्न बन चुका है! जब सफलता मिले तो श्रेय खुद को, और जब असफलता आए तो दोष केंद्र और पड़ोसी राज्यों को। लेकिन इस बार जनता सब देख रही है। बंगाल की बाढ़ ने एक बार फिर दिखा दिया कि तृणमूल सरकार प्रशासन नहीं, केवल राजनीति करती है।
 
लेख
शोमेन चंद्र