Delhi Bomb Blast: जांच जारी, मगर सियासत ने पहले ही सुना दिया फैसला

धमाके से गमगीन दिल्ली, जांच तेज लेकिन राजनीतिक बयानबाजी ने पीड़ित परिवारों के दर्द पर नमक छिड़का।

The Narrative World    10-Nov-2025
Total Views |
Representative Image
 
दिल्ली में सोमवार शाम लाल किले के पास सुभाष मार्ग ट्रैफिक सिग्नल पर चलती i20 कार में जोरदार धमाका हुआ। इस भीषण विस्फोट में 11 लोगों की मौत हो गई और 24 लोग घायल हुए। घटना के तुरंत बाद गृह मंत्री अमित शाह LNJP अस्पताल पहुंचे और घायलों का हाल जाना। पुलिस ने पूरे इलाके को घेर लिया है, फॉरेंसिक और बम निरोधक टीमें मौके पर जांच में जुटी हैं। एनआईए और एनएसजी को भी घटनास्थल पर बुलाया गया है।
 
दिल्ली पुलिस कमिश्नर सतीश गोलचा ने बताया कि धमाका शाम करीब 06:52 बजे हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह मंत्री से बात कर स्थिति की जानकारी ली और कहा कि “पीड़ितों को हर संभव सहायता दी जा रही है।” दिल्ली, मुंबई, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड में हाई अलर्ट घोषित किया गया है।
 
एनआईए की प्रारंभिक जांच में आशंका जताई गई है कि कार में विस्फोटक सामग्री पहले से मौजूद थी। इससे कुछ घंटे पहले ही दिल्ली पुलिस ने 2,900 किलो संदिग्ध अमोनियम नाइट्रेट और 2,500 किलो अन्य विस्फोटक सामग्री बरामद की थी, जिससे राजधानी पर आतंकी हमले की साजिश की आशंका जताई जा रही थी।
 
 
Representative Image
 
लेकिन जैसे ही हादसे की खबर आई, कुछ राजनीतिक दलों ने इसे सियासत का मुद्दा बना दिया। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने बिना जांच पूरी हुए केंद्र सरकार पर हमला बोला और कहा कि “मोदी के हाथों में देश सुरक्षित नहीं है।” टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग कर दी, जबकि कांग्रेस नेता पप्पू यादव ने भी सरकार को निशाने पर लिया।
 
एक ओर सरकार की एजेंसियां जांच में लगी हैं, दूसरी ओर इस संवेदनशील घटना पर बयानबाजी शुरू हो गई है। जब देश के नागरिक दहशत में हैं और पीड़ित परिवार शोक में हैं, तब ऐसे बयान देना न केवल असंवेदनशील है बल्कि देश की एकता पर भी आघात है।
 
गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कहा कि “सभी संभावनाओं पर जांच होगी।” सुरक्षा एजेंसियों ने आसपास के सभी सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरू कर दिए हैं और जांच तेज कर दी गई है।
 
ऐसे गंभीर हादसों पर राजनीति करना किसी भी जिम्मेदार लोकतंत्र की पहचान नहीं हो सकती। जरूरत है कि इस त्रासदी को राजनीतिक मंच नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे के रूप में देखा जाए।
 
रिपोर्ट
शोमेन चंद्र