लाल किले के पास 10 नवंबर को हुई दिल दहला देने वाली घटना की जांच में जो खुलासे सामने आ रहे हैं, वे बताते हैं कि यह कोई साधारण वारदात नहीं थी। यह कायर, वहशी और देशद्रोही आतंकियों की बेहद बड़ी साजिश थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार इन गुनहगारों का मकसद 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की बरसी पर पूरे देश में खून बहाना था। इन दरिंदों ने इसके लिए 32 कारों का इंतजाम किया था, जिनमें बम और विस्फोटक भरे जाने थे। इनकी सोच इतनी जहरीली थी कि एक दिन में कई शहरों को दहलाने का प्लान तैयार कर चुके थे।
अब तक जांच एजेंसियां तीन गाड़ियां बरामद कर चुकी हैं। 10 नवंबर की जिस i20 कार में धमाका हुआ, वह इसी खतरनाक रिवेंज अटैक का हिस्सा थी। इस कार ब्लास्ट में अब तक 13 लोगों ने अपनी जान गंवाई है और 20 लोग घायल हुए हैं। तीन की हालत गंभीर बनी हुई है। यह हमला बताता है कि इन आतंकी दरिंदो का इरादा कितना खतरनाक था।
केंद्र सरकार ने भी साफ शब्दों में इसे आतंकी हमला माना है और बुधवार को कैबिनेट बैठक में इस पर प्रस्ताव पारित किया गया। सरकार ने संकेत दिए हैं कि इन आतंकियों को किसी भी हाल में छोड़ा नहीं जाएगा।
शुरुआत में पुलिस को शक था कि दिल्ली धमाके में शामिल आतंकियों के पास एक से अधिक कारें थीं। इसके बाद दिल्ली के साथ उत्तर प्रदेश और हरियाणा में अलर्ट जारी किया गया। बुधवार को हरियाणा के खंदावली गांव में एक लावारिस कार होने की जानकारी मिली। खबर मिलते ही NSG बॉम्ब स्क्वाड को बुलाया गया। गाड़ी अभी पूरी तरह खोली नहीं गई है। सूत्र बताते हैं कि जिस जगह यह कार मिली, वह आरोपी उमर के ड्राइवर की बहन का घर है। इससे शक और बढ़ गया है कि यह गाड़ी भी इसी नेटवर्क का हिस्सा थी।
फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी से पकड़े गए असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मुजम्मिल गनी और धमाके में मारे गए बताए जा रहे डॉ. उमर नबी ने जनवरी में कई बार लाल किले की रेकी की थी। मोबाइल डंप डेटा से पता चला है कि इन दोनों ने सुरक्षा और भीड़ का पैटर्न समझा था। पुलिस को शक है कि इन आतंकियों का प्लान 26 जनवरी के दिन हमला करने का था, जो किसी कारण नाकाम हो गया।
पूछताछ में गिरफ्तार आठ आरोपियों ने बताया कि उमर नबी 6 दिसंबर को दिल्ली में बड़ा हमला करना चाहता था। लेकिन मुजम्मिल की गिरफ्तारी ने पूरी साजिश को हिला दिया। यह पूरा मॉड्यूल फरीदाबाद से संचालित हो रहा था। हैरानी की बात है कि गिरफ्तार आतंकियों में 6 डॉक्टर हैं। कश्मीर का रहने वाला एक संदिग्ध डॉ. निसार अभी फरार है। वह डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ कश्मीर का अध्यक्ष भी था। जम्मू कश्मीर सरकार ने उसे बर्खास्त कर दिया है।
मुजम्मिल गनी किराए के कमरे में खाद की बोरी बताकर विस्फोटक जमा कर रहा था। करीब 20 दिन पहले वह कुछ बोरियां लेकर आया तो पड़ोसियों ने पूछा कि इसमें क्या है। उसने झूठ बोल दिया कि ये खाद के कट्टे हैं। इन्हें कश्मीर ले जाना है। कमरे से 100 मीटर दूर लगे CCTV कैमरों की फुटेज पुलिस ने जब्त कर ली है।
इन खूनी आतंकियों की इस साजिश ने ये तो साफ कर दिया है कि देश के भीतर बैठे ऐसे दुश्मनों से निपटना कितना जरूरी है। जिन लोगों ने डॉक्टर की डिग्री लेकर इंसानी जिंदगियां बचानी थीं, वही लोग मौत का सौदा कर रहे थे। यह पूरा गिरोह देश का बदला लेना चाहता था, देश को तोड़ना चाहता था। अब यह जांच जरूरी है कि इनका नेटवर्क कितना बड़ा है और इन्हें मदद कहां से मिल रही थी। देश यही उम्मीद करता है कि ऐसे आतंकियों को उनकी करतूत का ऐसा अंजाम मिले जिसे देखकर कोई भी देश विरोधी ताकत दोबारा सिर उठाने की हिम्मत न करे।
लेख
शोमेन चंद्र