मतदाता सूची पर ममता की उग्र बयानबाज़ी; SIR में नाम हटे तो महिलाओं को अधिकारियों पर हमले के लिए उकसाया

क्या महिलाओं को औजारों के साथ विरोध के लिए आगे करने की अपील ममता की राजनीति में उग्रता बढ़ने का नया संकेत मानी जा सकती है?

    11-Dec-2025
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पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया चल रही है और इसी दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर टकराव की राजनीति को हवा दे दी। वह हर मंच से चुनाव आयोग पर सवाल उठाती हैं और वह मतदाता सूची को लेकर राज्य में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश भी करती दिखती हैं। राज्य 2026 के विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रहा है, लेकिन ममता बनर्जी और उनकी पार्टी TMC इस प्रक्रिया को अविश्वास और टकराव की दिशा में ले जा रही हैं।
 
ममता बनर्जी खुलकर कहती हैं कि वह अब तक अपना फॉर्म भी नहीं भरतीं और वह यह भी पूछती हैं कि क्या उन्हें अपनी नागरिकता किसी कथित दंगाई पार्टी के सामने साबित करनी चाहिए। वह चुनाव आयोग के अधिकारियों पर पक्षपात का आरोप लगाती हैं और दावा करती हैं कि ये अधिकारी दिल्ली से BJP का एजेंडा लेकर आते हैं। इस तरह के बयान राज्य में मतदाता सूची के सुधार कार्य को कमजोर बनाते हैं और प्रशासनिक व्यवस्था पर अनावश्यक दबाव डालते हैं।
 
आयोग ने बिहार के बाद अक्टूबर में दूसरे चरण की शुरुआत की थी और अब यह प्रक्रिया 12 राज्यों में चल रही है। आयोग ने बंगाल के लिए अंतिम सूची जारी करने की तारीख 14 फरवरी 2026 तय की है ताकि बड़े पैमाने पर हो रहे संशोधनों को सही समय और प्रक्रिया मिल सके। लेकिन TMC इस पूरे अभियान को BJP का फायदा बताते हुए लगातार जनता को भ्रमित करती है।
 
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कृष्णनगर की अपनी सभा में ममता बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर सीधा वार किया। वह उन्हें खतरनाक कहती हैं और दावा करती हैं कि उनकी नजरों में यह दिखता है। वह लगातार यह आरोप दोहराती हैं कि BJP बंगालियों को विदेशी बताकर डिटेंशन कैंप में डालना चाहती है। इस तरह के बयान माहौल को भड़काते हैं और आम लोगों में डर पैदा करते हैं, जबकि केंद्र ने इस तरह का कोई कदम बंगाल में नहीं उठाया है।
 
ममता बनर्जी यह भी कहती हैं कि SIR का उपयोग मतदाताओं को डराने के लिए हो रहा है। वह हर बार यह चेतावनी देती हैं कि यदि एक भी सही मतदाता का नाम हटता है तो वह धरने पर बैठ जाएंगी। इस तरह वह सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया को राजनीतिक हथियार में बदल देती हैं।
 
 
 
सबसे चिंताजनक बात यह है कि ममता बनर्जी अब महिलाओं को भी टकराव के लिए तैयार होने को कहती हैं। वह उनसे कहती हैं कि यदि उनके नाम हटते हैं तो वे रसोई के औजारों के साथ विरोध में खड़ी हों। इस तरह के बयान कानून व्यवस्था को चुनौती देते हैं और समाज को हिंसा की ओर धकेलते हैं। वह यह भी कहती हैं कि महिलाएं आगे चलें और पुरुष पीछे। यह सीधे तौर पर जनता को भावनात्मक उबाल में धकेलने की कोशिश है।
 
ममता बनर्जी धर्मनिरपेक्षता की बात करती हैं, लेकिन उनकी राजनीति हर बार समाज को बांटने, आयोग को बदनाम करने और केंद्र के खिलाफ उकसाने पर टिकी दिखती है। पश्चिम बंगाल को मजबूत प्रशासन की जरूरत है और TMC नेतृत्व उसे लगातार राजनीतिक टकराव में धकेल रहा है।
 
लेख
शोमेन चंद्र