कांग्रेस पार्टी एक बार फिर अपने गैरजिम्मेदार और देशविरोधी बयानों को लेकर कठघरे में खड़ी है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने हाल में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर ऐसे दावे किए, जिन्हें पाकिस्तान के सरकारी प्रवक्ताओं की भाषा कहना गलत नहीं होगा। चव्हाण ने खुलेआम कहा कि भारत पहले ही दिन हार गया, भारतीय वायुसेना पूरी तरह जमीन पर रही और पाकिस्तानी सेना ने भारत के विमानों को मार गिराया। उनके इन बयानों ने न केवल देश की सेना का मनोबल गिराने का काम किया, बल्कि दुश्मन देश के झूठे प्रचार को भी बल दिया।
चव्हाण ने दावा किया कि 7 तारीख को हुए आधे घंटे के हवाई संघर्ष में भारत को पूरी तरह पराजय झेलनी पड़ी। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना के विमान उड़ान तक नहीं भर सके क्योंकि पाकिस्तान से मार गिराए जाने का खतरा था। ऐसे बयान एक जिम्मेदार नेता नहीं, बल्कि पाकिस्तान के एजेंडे को आगे बढ़ाने वाला व्यक्ति ही दे सकता है। भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान और सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने अपने सभी लक्ष्य हासिल किए और किसी भी भारतीय सैन्य संपत्ति को नुकसान नहीं हुआ।
दिलचस्प तथ्य यह है कि अमेरिका की एक आयोग रिपोर्ट ने हाल ही में खुलासा किया कि भारत के राफेल विमानों को लेकर चीन ने फर्जी प्रचार अभियान चलाया। चीन ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से राफेल के मलबे की झूठी तस्वीरें फैलाईं ताकि अपने हथियारों को बढ़ावा दे सके। पाकिस्तान उसी चीनी हथियार प्रणाली पर निर्भर है और उसी झूठ को बार बार दोहराता रहा। कांग्रेस नेता उसी झूठ को बिना किसी शर्म के अपनाते नजर आए।
चव्हाण यहीं नहीं रुके। उन्होंने भारत की सैन्य ताकत पर भी सवाल उठाए और पूछा कि जब भविष्य की लड़ाइयां केवल मिसाइल और हवाई हमलों से लड़ी जाएंगी, तो क्या भारत को 12 लाख सैनिकों की जरूरत है। इस बयान से उन्होंने भारतीय सेना की भूमिका और बलिदान को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। यह वही तर्क है, जिसे पाकिस्तान कश्मीर में अपनी सेना की संख्या पर भारत को घेरने के लिए इस्तेमाल करता रहा है।
जब देशभर में उनके बयान पर विरोध हुआ, तो चव्हाण ने माफी मांगने से इनकार कर दिया और संविधान की आड़ ली। कांग्रेस पार्टी का यह पुराना तरीका रहा है कि पहले देशविरोधी बयान दिए जाएं और फिर संविधान या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की ढाल ली जाए। इससे पहले चव्हाण ने ऑपरेशन के नाम पर भी सवाल उठाते हुए इसे भावनात्मक लाभ से जोड़ा था।
कांग्रेस में यह कोई नया मामला नहीं है। राहुल गांधी ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया और पाकिस्तान के नैरेटिव को मजबूती दी। पवन खेड़ा ने इसे मुखबिरी तक कह दिया। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कथित तौर पर गिराए गए राफेल की संख्या पूछी। मणिकम टैगोर और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष राजा वड़िंग ने भी इसी तरह के निराधार दावे किए।
इतिहास गवाह है कि कांग्रेस ने पहले भी पुलवामा और बालाकोट जैसे मामलों में पाकिस्तान जैसी भाषा बोली। मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने पर भी कांग्रेस नेताओं ने सरकार पर राजनीति करने के आरोप लगाए। दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं ने तो हिंदुओं और राष्ट्रवादी संगठनों पर आईएसआई से संबंध तक के आरोप लगाए।
निष्कर्ष साफ है। कांग्रेस नेतृत्व की मोदी विरोध की राजनीति अब भारत विरोध की दिशा में बढ़ चुकी है। ऐसे बयान पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करता है। इसके बावजूद कांग्रेस ने न कभी सबक लिया और न ही आत्ममंथन किया। देश की सुरक्षा और सेना के सम्मान से ऊपर पार्टी हित रखना कांग्रेस की राजनीति का दुर्भाग्यपूर्ण सच बन चुका है।
लेख
शोमेन चंद्र