अटल बिहारी वाजपेयी: राजनीति से परे एक युगद्रष्टा व्यक्तित्व

पोखरण परमाणु परीक्षण से स्वर्णिम चतुर्भुज तक अटल बिहारी वाजपेयी ने सुरक्षा, विकास और आत्मनिर्भरता के संतुलन से सशक्त भारत की नींव रखी।

The Narrative World    25-Dec-2025
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भारत आज ऐसे नेता की जयंती मना रहा है, जिसने सत्ता को सेवा का माध्यम बनाया और विचारधारा से ऊपर राष्ट्रीय हित को रखा। अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ। उन्होंने शब्दों की ताकत, निर्णय की दृढ़ता और संवेदना की गरिमा से भारतीय लोकतंत्र को नई ऊंचाई दी। उनका व्यक्तित्व राजनीति की सीमाओं से आगे जाकर राष्ट्रनिर्माण का प्रतीक बना।
 
विकास की स्पष्ट दृष्टि के साथ नेतृत्व
 
वाजपेयी ने 1998 से 2004 तक देश का नेतृत्व किया और गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री के रूप में पूर्ण कार्यकाल पूरा कर राजनीतिक स्थिरता का नया अध्याय लिखा। उन्होंने विकास को शासन का केंद्र बनाया और निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता को प्राथमिकता दी। उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय राजनीति में मजबूती हासिल की और गठबंधन राजनीति को भरोसे का आधार मिला।
 
राष्ट्रसुरक्षा में निर्णायक कदम
 
1998 में पोखरण द्वितीय परमाणु परीक्षण के जरिए वाजपेयी ने भारत की रणनीतिक क्षमता को विश्व पटल पर स्थापित किया। अंतरराष्ट्रीय दबाव और प्रतिबंधों के बीच भी उन्होंने आत्मविश्वास के साथ देश के हितों की रक्षा की। इस कदम ने भारत को जिम्मेदार परमाणु शक्ति के रूप में पहचान दिलाई और सुरक्षा नीति में आत्मनिर्भरता का संदेश दिया।
 
आधुनिक अवसंरचना का विस्तार
 
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वाजपेयी की विकास दृष्टि का सबसे ठोस उदाहरण स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना रही। इस परियोजना ने दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को विश्वस्तरीय राजमार्गों से जोड़ा। इससे व्यापार को गति मिली, यात्रा समय घटा और क्षेत्रीय विकास को बल मिला। ग्रामीण भारत को जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने गांवों तक पक्की सड़कों का नेटवर्क पहुंचाया और रोजगार व अवसर बढ़ाए।
 
दूरसंचार और अर्थव्यवस्था में बदलाव
 
नई दूरसंचार नीति 1999 के जरिए वाजपेयी सरकार ने प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया और मोबाइल सेवाओं को आम लोगों तक पहुंचाया। निजी भागीदारी से सेवाएं सुलभ हुईं और डिजिटल भारत की नींव पड़ी। आर्थिक सुधारों ने निवेश का माहौल सुधारा और उद्यमिता को प्रोत्साहन मिला।
 
कूटनीति में संतुलन और साहस
 
वाजपेयी ने विदेश नीति में संवाद और दृढ़ता का संतुलन रखा। लाहौर बस सेवा की शुरुआत से उन्होंने शांति की पहल की और पड़ोसी देशों से संबंधों में सकारात्मकता का प्रयास किया। कारगिल संकट के दौरान उन्होंने सशस्त्र बलों का मनोबल बढ़ाया और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का पक्ष प्रभावी ढंग से रखा। अमेरिका के साथ संबंधों को नई दिशा देकर उन्होंने दीर्घकालिक रणनीतिक सहयोग की जमीन तैयार की।
 
कविता और संवेदना का संगम
 
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राजनीति के साथ साहित्य वाजपेयी की पहचान का अभिन्न हिस्सा रहा। उनकी कविताओं में राष्ट्रप्रेम, मानवीय संवेदना और आशा की झलक दिखी। संसद में उनके भाषण तर्क, मर्यादा और हास्य का संतुलित मिश्रण पेश करते रहे, जिससे वे विरोधियों के बीच भी सम्मान पाए।
 
लोकतंत्र और सहमति की राजनीति
 
वाजपेयी ने मतभेदों के बीच संवाद को प्राथमिकता दी। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में सर्व शिक्षा अभियान को गति दी और समाज के अंतिम पंक्ति तक अवसर पहुंचाने का संकल्प दिखाया। उनकी कार्यशैली ने साबित किया कि लोकतंत्र सहमति से मजबूत होता है।
 
सम्मान और स्मृति
 
देश ने 2015 में भारत रत्न से वाजपेयी का सम्मान किया। सरकार ने उनकी जयंती को सुशासन दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया, जो पारदर्शिता और जवाबदेही के उनके आदर्शों को रेखांकित करता है।
 
प्रेरणा का स्रोत
 
अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन आशावाद, साहस और करुणा का संगम रहा। उन्होंने चुनौतियों को अवसर में बदला और भारत को आत्मविश्वास से आगे बढ़ाया। उनकी विरासत आज भी नीति, नैतिकता और राष्ट्रहित की राह दिखाती है। जयंती के अवसर पर देश उनके मूल्यों को स्मरण करता है और सुशासन, समावेशिता तथा देशभक्ति के संकल्प को आगे बढ़ाने का आह्वान करता है।
 
लेख
शोमेन चंद्र