भारत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो दिवसीय ऐतिहासिक यात्रा ने मोदी सरकार की बड़ी रणनीतिक जीत और कांग्रेस की जोरदार गिरावट को साफ दिखा दिया क्योंकि विपक्ष पूरी तरह बिखर गया।
राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी ने नई दिल्ली में व्यापार बढ़ाने, रक्षा सहयोग मजबूत करने और रिश्तों को अगले दशक तक सुरक्षित बनाने का रोडमैप तय किया। इसके उलट कांग्रेस ने विदेश नीति को सड़क की राजनीति में बदल दिया। कांग्रेस नेताओं ने भारत रूस रिश्तों पर चोट करने की कोशिश की और देश की छवि को नुकसान पहुंचाया।
यात्रा के दौरान केरल कांग्रेस ने सबसे विवादित कदम उठाया। उसने अपने आधिकारिक X हैंडल पर पुतिन को निशाना बनाकर बेहद भद्दा पोस्ट किया। उसने लिखा कि पुतिन मोदी समर्थकों का नया पाव-पाव बन गए हैं। यह भाषा किसी जिम्मेदार राजनीतिक दल की नहीं बल्कि ट्रोल राजनीति की लग रही थी।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच राहुल गांधी ने नया विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने वीडियो जारी कर कहा कि सरकार ने उन्हें राष्ट्रपति भवन के भोज में नहीं बुलाया क्योंकि सरकार उन्हें पुतिन से मिलने नहीं देना चाहती। राहुल ने खुद को पीड़ित दिखाने की कोशिश की लेकिन यह कोशिश ज्यादा देर नहीं चली। कांग्रेस के ही सांसद शशि थरूर ने भोज में शामिल होकर साफ कर दिया कि सरकार ने कांग्रेस को नहीं बल्कि राहुल को ही नहीं बुलाया। थरूर ने कूटनीतिक माहौल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और कांग्रेस की आंतरिक खींचतान को उजागर कर दिया।
इस विरोधाभास ने कांग्रेस की हालत साफ कर दी। राहुल सोशल मीडिया पर शिकायत करते रहे और केरल कांग्रेस रूस के राष्ट्रपति का मजाक उड़ाती रही। इसी दौरान थरूर सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत करने में लगे रहे। यह तस्वीर बताती है कि कांग्रेस खुद नहीं समझ पा रही कि वह आखिर चाहती क्या है।
कांग्रेस असली परेशानी यह देख रही है कि पुतिन यात्रा ने मोदी सरकार की हर आलोचना को गलत साबित कर दिया। दोनों देशों ने व्यापार बढ़ाने का बड़ा लक्ष्य तय किया। रक्षा उत्पादन, S-400 अपग्रेड और SU-57 के सहयोग पर सहमति बनी। यह कदम दिखाता है कि भारत अपनी रणनीतिक आजादी को और मजबूत कर रहा है। अमेरिका के दबाव की बात करने वाली कांग्रेस खुद को असहज महसूस करने लगी।
मोदी ने आतंकवाद पर कड़ा रुख दोहराया और रूस के साथ दोस्ती को संतुलित तरीके से रखा। पुतिन ने कहा कि मोदी के साथ रिश्ता सामान्य से आगे जाता है। यह बयान कांग्रेस की उस दलील को खत्म कर देता है जिसमें वह भारत को वैश्विक मंच पर अकेला बताती रही।
देश रणनीतिक जीत का जश्न मना रहा था और कांग्रेस मीम, रोना और भ्रम फैलाने में लगी रही। उसने एक महाशक्ति का अपमान किया और खुद को ही कटघरे में खड़ा कर लिया। यह व्यवहार बताता है कि कांग्रेस अब रचनात्मक राजनीति नहीं कर पा रही। वह केवल नाराजगी और अविश्वसनीय आरोपों में फंसी हुई है।
भारत रूस रिश्ते नई मजबूती की ओर बढ़ रहे हैं और कांग्रेस अपनी ही गलतियों से सबसे बड़ी हार देख रही है।
लेख
शोमेन चंद्र