पहलगाम हमले के जवाब में भारत क्या-क्या करेगा, यह तो आपको टीवी, वेबसाइट और चौक-चौराहों पर हो रही चर्चा से पता चल ही गया होगा। जो पता चला होगा, उसके आसपास ही मुझे भी पता है। मुझे भी नहीं मालूम कि मोदी सरकार क्या एक्शन लेगी या लेगी भी या नहीं, परंतु फिर भी मैं आपको बताता हूं, होने क्या जा रहा है।
राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसलों पर कोई जानकारी होगी भी तो यहां लिख नहीं सकता। फिलहाल यह जान लीजिए कि मोदी सरकार इस समय मौन नहीं बैठने वाली। न ही कोई ऐसा करने वाली है जो वह पहले कर चुकी है।
पाकिस्तान की राजनीतिक हालत बहुत ज्यादा अस्थिर और खराब है। आर्थिक हालात तो सबने देखे ही हैं। एक तरफ बलूच एरिया में विद्रोह जारी है तो दूसरी तरफ अफगान से सटे इलाकों में भी अनरेस्ट है।
भारत ने कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया। भारत शांतिवादी देशों में शुमार है। मोदी की सरकार वह करने के लिए जानी जाती है, जिसकी लोग कल्पना नहीं कर पाते। एक सस्पेंस थ्रिलर की तरह।
इसलिए क्या करेगी, इसकी कोई मुकम्मल जानकारी अगर कोई दे भी रहा हो तो मानिए मत। लेकिन मेरी बात सुनिए गौर से। मैं आपको बता रहा हूं भारत के पास कुल विकल्प कितने हैं?
विकल्प एक: मौन रहना - यह संभव नहीं। क्योंकि देश ने ऐसी सरकार का चुनाव आज के दिन के लिए ही किया है। इसलिए भारत मौन नहीं रहेगा।
विकल्प दो: मीटिंगें करते रहें, एक्शन खोदा पहाड़ निकली चुहिया सिद्ध हो। यह भी संभव नहीं है। 30 सेकंड की रील में 30 हजार सालों का दुनिया का इतिहास बयान करने वाले पूरा अस्थिपिंजर निकालकर बता देंगे, कहा क्या था, किया क्या?
विकल्प तीन: कोई हाईपर लोकल स्ट्राइक- यह भी नहीं हो पाएगी। पाकिस्तान डर के साथ ही सही किंतु करो या मरो की स्थिति में है। ऐसी स्थिति में भारत किसी सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक आदि जैसे शॉर्ट स्टेप्सनहीं उठाएगा। क्योंकि इनसे जनता का पेट नहीं भरने वाला।
विकल्प चार: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सेना भेजकर जमीनी, आसमानी लड़ाई शुरू कर दे। इसे इंटरनल ऑपरेशन का नाम दिया जाए। यह भी मोदी सरकार नहीं करेगी, क्योंकि इससे पंगा बड़ा, रिस्क बड़ा और फायदे बहुत छोटे हैं।
विकल्प पांच: युद्ध की घोषणा कर दे। छद्मयुद्ध से कुछ नहीं होगा, अब ओपन वॉर से ही फैसला होगा। यह लोकलुभावन कदम तो होगा, लेकिन इसके टेक्निकल अलग-अलग लेयर पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेंगे। जिसकी जद में भारत भी आएगा और दुनिया भी।
अब सुनिए करना क्या चाहिए- भारत को मेरे हिसाब से युद्ध करना चाहिए और भारत युद्ध की ओर ही बढ़ रहा है। याद कीजिए वर्ष 2001 सितंबर का महीना। अमेरिका के पेंटागन पर हमला। दुनियाभर में हलचल। शुरू के महीने लगा अमेरिका कभी भी हमला करेगा, लेकिन अमेरिकी जैसे देश को रिटेलिएट करने में 4 महीनों का समय लग गया। भारत की दुनिया में आज की स्थिति ऐसी नहीं है कि कोई देश उसकी उपेक्षा कर पाए।
ऐसे में भारत के पास अवसर है कि वह पाकिस्तान जैसे नासूर को खत्म करे। लेकिन सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान इतना कमजोर है जो खत्म हो जाएगा। बिल्कुल नहीं होगा।
लेकिन पाकिस्तान की हैसियत इतनी कमजोर जरूर है कि भारत कर सकता है जिससे दुनिया में संदेश जाए। पाकिस्तान पर भारत के हावी होने का मतलब है चीन की चमक पर प्रतिकूल असर पड़ना, बांग्लादेश पर चढ़े भूत को उतारना, भारत के भीतर बैठे कथित चिल्ला-चोंचवादियों का शमन, दमन हो जाना, दुनिया के फलक पर भारत का नए ढंग से अभ्युदय होना, साउथ, नॉर्थ में बंटे राष्ट्र का एकीकरण हो जाना, म्यांमार की म्याऊं पकड़ में आ जाना, भारत सीधा उत्तरी एशिया की जमीन से जुड़ जाएगा।

अंत में मैं दावे से कह सकता हूं, भारत युद्ध करेगा, युद्ध करेगा और युद्ध करेगा। लेकिन यह भी कह रहा हूं कि भारत खुद से युद्ध की शुरुआत नहीं करेगा। वह किसी घटना के जरिए उकसाएगा।
पाकिस्तान इसे हमला समझेगा और रिएक्ट करेगा, बस फिर युद्ध शुरू हुआ तो हुआ। आज का भारत अब वह नहीं जो था, न इसे वह रहने की जरूरत है जो था। यह नया भारत है।
ज्ञान भी भर-भरकर देना जानता है, लात-घूसे भी और युद्ध की शुरुआत करना भी जानता है और खात्मा करना भी। दुनिया को इस द्विपक्षीय युद्ध से दूर रखने में सक्षम भी है।
आंतरिक बुराइयों, चीटियों को संभालने में भी अब भारत सक्षम है। इसलिए भारत युद्ध करेगा। इससे नीचे कुछ नहीं।
लेख
बरुण सखाजी श्रीवास्तव
राजनीतिक विश्लेषक