नक्सलवाद का बढ़ता अंत, नारायणपुर ऑपरेशन बना टर्निंग पॉइंट

क्या नारायणपुर ऑपरेशन के बाद नक्सलवाद का अंत अब सच में करीब आ गया है और शांति की नई शुरुआत होने वाली है?

The Narrative World    28-May-2025
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एक समय था जब नक्सलवाद की वजह से छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा जैसे इलाकों में हर दिन मासूमों की जान चली जाती थी।
 
नक्सली बिना सोचे-समझे लोगों को मार डालते थे। उन्हें लगता था कि कुछ लोग उनके खिलाफ जा रहे हैं, जैसे पुलिस को खबर देना या उनकी बात न मानना।
 
नक्सलियों का डर इतना था कि गांव के लोग रात को घर से बाहर निकलने से भी डरते थे।
 
लेकिन अब हालात बदल गए हैं। आज वही नक्सली हर दिन मारे जा रहे हैं। भारत सरकार और सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई ने नक्सलवाद की कमर तोड़ दी है।
 
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हाल ही में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओइस्ट) के महासचिव बासवराजू और उनके साथ 26 नक्सलियों को मार गिराया गया। यह देखकर लगता है कि नक्सलवाद का खात्मा अब ज्यादा दूर नहीं है।
 
पहले नक्सली अपनी ताकत दिखाने के लिए मासूमों को निशाना बनाते थे। वे गांव वालों को धमकाते थे कि अगर किसी ने पुलिस से बात की, तो उसकी जान ले लेंगे।
 
कई बार तो छोटे-छोटे बच्चों और महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया। नक्सलियों ने स्कूल और अस्पताल तक जलाए, ताकि लोग डर में जिएं।
 
सिर्फ आम लोग ही नहीं, हमारे जवान भी इनका शिकार बनते थे। नक्सलियों ने कई बार जवानों पर हमला किया।
 
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2010 में दंतेवाड़ा में हुए हमले में 76 सीआरपीएफ जवान बलिदान हो गए थे। उस हमले के पीछे भी बासवराजू का ही हाथ था।
 
ऐसे कई हमलों में सैकड़ों जवान अपनी जान गंवा चुके हैं। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है।
 
21 मई 2025 को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के तहत डीआरजी जवानों ने बड़ी कार्रवाई की।
इस ऑपरेशन में बासवराजू समेत 27 नक्सलियों को मार गिराया गया। बासवराजू नक्सलियों का सबसे बड़ा नेता था, जिसके सिर पर 2 करोड़ रुपये का इनाम था।
 
वह नक्सल संगठन की रीढ़ था। उसकी मौत ने नक्सलवाद को बड़ा झटका दिया है।
 
इसके अलावा, पिछले कुछ महीनों में 300 से ज्यादा नक्सलियों को मारा जा चुका है। यह 2009 के बाद सबसे बड़ी कार्रवाई है।
 
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह नक्सलवाद के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी जीत है।
 
पिछले साल अमित शाह ने कहा था कि 31 मार्च 2026 तक भारत से नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा।
 
तब शायद लोगों को यकीन नहीं हुआ था, लेकिन अब यह बात सच लगने लगी है।
 
नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 2014 में 126 थी, जो अब घटकर सिर्फ 18 रह गई है।
 
पहले जो इलाके नक्सलियों के कब्जे में थे, वहां अब तिरंगा लहरा रहा है।
 
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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि बस्तर को नक्सल मुक्त बनाने का सपना जल्द पूरा होगा।
 
नक्सलियों की हार का एक बड़ा कारण यह भी है कि अब स्थानीय लोग उनका साथ नहीं दे रहे।
 
लोग समझ गए हैं कि नक्सलवाद से सिर्फ नुकसान ही हुआ है। अब वे सुरक्षा बलों का समर्थन कर रहे हैं।
 
नारायणपुर में जवानों का तिलक लगाकर स्वागत इसका सबूत है।
 
यह साफ है कि नक्सलवाद का समय अब खत्म होने वाला है।
 
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़