भारत ने मारी बाजी: 30 लाख iPhone निर्यात कर चीन को छोड़ा पीछे

मार्च 2025 में भारत ने अमेरिका को 30 लाख से अधिक iPhone निर्यात कर चीन को पछाड़ दिया और टॉप एक्सपोर्टर बन गया। इस उपलब्धि ने भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित किया। "मेक इन इंडिया" और PLI स्कीम की सफलता ने 1.85 लाख नौकरियाँ भी पैदा कीं। क्या भारत अब तकनीकी निर्यात में नई ऊँचाइयाँ छूएगा?

The Narrative World    30-May-2025   
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भारत ने तकनीकी निर्यात के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान रच दिया है। अप्रैल
2025 में भारत ने अमेरिका को 30 लाख से अधिक iPhone भेजे हैं। इस उपलब्धि ने भारत को iPhone निर्यात में नंबर एक देश बना दिया, जिसने लंबे समय से इस क्षेत्र में राज करने वाले चीन को पछाड़ दिया। यह भारत की बढ़ती विनिर्माण शक्ति का प्रतीक है।


यह सब तब संभव हुआ जब अमेरिका ने चीन से आयात पर भारी टैरिफ लगाए। Apple ने इस स्थिति का फायदा उठाने के लिए भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया। तमिलनाडु और कर्नाटक में Foxconn और Pegatron की फैक्ट्रियाँ पहले से ही काम कर रही थीं। इसने भारत को Apple के लिए एक भरोसेमंद केंद्र बना दिया।


भारत की इस कामयाबी के पीछे कई कारण हैं। सरकार की "मेक इन इंडिया" पहल और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना ने Apple को भारत में उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। PLI योजना के तहत Apple को सब्सिडी और टैक्स में छूट दी गई, जिससे उसने उम्मीद से ज़्यादा उत्पादन किया।


भारत में iPhone के पुर्जों का स्थानीय उत्पादन भी बढ़ा, जिससे लागत कम हुई। साथ ही, अमेरिका ने भारत से आयात पर टैरिफ को 26% तक सीमित रखा, जबकि चीन पर अधिक टैरिफ लगाया। इससे भारत Apple के लिए एक किफायती विकल्प बन गया।


2024 में भारत ने 12.8 बिलियन डॉलर के iPhone निर्यात किए, जो पिछले साल की तुलना में 42% ज़्यादा था। इस साल मार्च में 30 लाख iPhone की शिपमेंट ने इस रफ्तार को और तेज़ कर दिया। भारत में Apple की मैन्युफैक्चरिंग ने 1.85 लाख नौकरियाँ भी पैदा कीं, जिसमें ज़्यादातर महिलाएँ हैं। तमिलनाडु की Foxconn फैक्ट्री, जहाँ 42,000 कर्मचारी काम करते हैं, भारत की सबसे बड़ी निजी फैक्ट्री बन गई है।


चीन को पछाड़ने में भारत ने कई रणनीतिक फायदे हासिल किए। जहाँ चीन में मज़दूरी और उत्पादन लागत बढ़ रही थी, वहीं भारत में सस्ता श्रम और सरकारी सहायता ने कंपनियों को लुभाया। साथ ही, अमेरिका-चीन व्यापार तनाव ने Apple को "चाइना प्लस वन" रणनीति अपनाने के लिए मजबूर किया, जिसमें भारत सबसे बड़ा लाभार्थी बना।


इस सफलता का भारत की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ा है। यह निर्यात देश के विदेशी मुद्रा भंडार को मज़बूत करेगा। भारत अब वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की राह पर है। Apple की योजना 2026 तक अमेरिका में बिकने वाले ज़्यादातर iPhone भारत में बनाने की है। लेकिन चुनौतियाँ भी हैंभारत में उत्पादन लागत अभी भी चीन से 5-8% ज़्यादा है, और आयात शुल्क को कम करने की ज़रूरत है।