ट्रंप के दावों पर पीएम मोदी की दो टूक, “न मध्यस्थता हुई, न होगी”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के मध्यस्थता दावों को ठुकराते हुए कहा, “न मध्यस्थता हुई, न होगी।” सीजफायर पाकिस्तान के आग्रह पर हुआ। कश्मीर पर भारत का रुख स्पष्ट। क्या यह कूटनीतिक जीत है?

The Narrative World    18-Jun-2025   
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भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों ने एक बार फिर वैश्विक कूटनीति में हलचल मचा दी थी। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ट्रंप के साथ करीब 30 मिनट की फोन कॉल में इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया।


पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि न तो भारत-पाक संबंधों में कभी कोई मध्यस्थता हुई और न ही भविष्य में होगी। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर सीजफायर पाकिस्तान के आग्रह पर लागू किया गया, न कि किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप से। इस बयान ने न केवल ट्रंप के दावों को खारिज किया, बल्कि भारत की कश्मीर नीति पर उसकी दृढ़ता को भी रेखांकित किया।


ट्रंप के बयान और उत्पन्न विवाद


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वाशिंगटन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दावा किया था कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने को तैयार हैं। ट्रंप ने कहा, “मैं भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने में मदद कर सकता हूँ। दोनों देशों के नेता मेरे अच्छे दोस्त हैं, और मैं इस मुद्दे को सुलझाने में भूमिका निभा सकता हूँ।


ट्रंप का यह बयान भारत में तीखी प्रतिक्रियाओं का कारण बना। विपक्षी दल कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा कि आखिर क्यों अमेरिका बार-बार कश्मीर पर मध्यस्थता की बात उठाता है, जबकि भारत इसे अपना आंतरिक मामला मानता है।


पीएम मोदी का स्पष्ट जवाब

बुधवार को, पीएम मोदी ने ट्रंप के साथ फोन पर बातचीत में इन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया। इस कॉल में पीएम मोदी ने ट्रंप को दो टूक शब्दों में कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा है, और इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हाल ही में एलओसी पर लागू हुआ सीजफायर पाकिस्तान की ओर से आए आग्रह का परिणाम था, न कि अमेरिका या किसी अन्य देश के दबाव का।


विदेश मंत्रालय के सचिव विक्रम मिसरी ने एक प्रेस ब्रीफिंग में इसकी पुष्टि करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति ट्रंप को भारत की स्थिति से अवगत कराया। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, और हमारा रुख इस पर हमेशा स्पष्ट रहा है। किसी भी प्रकार की मध्यस्थता का सवाल ही नहीं उठता।


सीजफायर का पृष्ठभूमि और पाकिस्तान की भूमिका


हाल ही में, नियंत्रण रेखा पर बढ़ती झड़पों के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर था। पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें हिंदू पर्यटक मारे गए थे, ने भारत को और सख्त रुख अपनाने के लिए मजबूर किया था। हालाँकि, सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान ने पिछले महीने बैकचैनल कूटनीति के जरिए सीजफायर की माँग की थी।


एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “पाकिस्तान की आर्थिक और आंतरिक स्थिति ठीक नहीं है। जनरल मुनीर की बयानबाजी के बावजूद, उनकी सरकार सीमा पर तनाव कम करना चाहती थी। यह सीजफायर उनकी पहल पर हुआ, और भारत ने इसे स्वीकार किया ताकि क्षेत्र में शांति बनी रहे।


भारत की कूटनीतिक जीत

विदेश नीति के विशेषज्ञों ने पीएम मोदी के इस रुख को भारत की कूटनीतिक जीत बताया है। रिटायर्ड राजनयिक और कश्मीर मामलों के जानकार ने कहा, “मोदी ने ट्रंप के बयानों को सिरे से खारिज कर भारत की संप्रभुता को और मजबूत किया है। यह स्पष्ट संदेश है कि भारत अपने आंतरिक मामलों में किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेगा।


वहीं, सामरिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी ने X पर लिखा, “ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश उनकी पुरानी रणनीति का हिस्सा है, जिसे वह भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का लाभ उठाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। लेकिन मोदी का जवाब इस बार और सख्त था, जो भारत की बढ़ती वैश्विक ताकत को दर्शाता है।


पाकिस्तान की आंतरिक उथल-पुथल


पाकिस्तान में जनरल असीम मुनीर की स्थिति पहले से ही विवादास्पद है। उनकी हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान वाशिंगटन में पाकिस्तानी प्रवासियों द्वारा किए गए विरोध ने उनकी छवि को और नुकसान पहुँचाया। प्रदर्शनकारियों ने मुनीर कोहत्याराऔरलोकतंत्र का दुश्मनकरार दिया। इसके अलावा, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने मुनीर पर उनकी पत्नी बुशरा बीबी को निशाना बनाने का आरोप लगाया, जिसने पाकिस्तान की सियासत में नया तनाव पैदा किया।


विपक्ष की प्रतिक्रिया


भारत में, कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “ट्रंप का बार-बार मध्यस्थता की पेशकश करना भारत की कूटनीतिक नाकामी को दर्शाता है। अगर सरकार का रुख इतना स्पष्ट है, तो फिर यह बार-बार क्यों उठता है?” हालाँकि, सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भारत ने हमेशा इस मुद्दे पर दृढ़ता दिखाई है।


स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव


ट्रंप के बयानों और मोदी के जवाब ने न केवल भारत-पाक संबंधों, बल्कि दक्षिण एशिया की कूटनीति पर भी गहरा प्रभाव डाला है। अमेरिका, जो लंबे समय से पाकिस्तान का सहयोगी रहा है, अब भारत के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने की कोशिश में है। ऐसे में, ट्रंप का मध्यस्थता का दावा भारत के लिए एक कूटनीतिक चुनौती था, जिसे मोदी ने अपनी स्पष्टता से निष्प्रभावी कर दिया।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता के दावों को खारिज कर भारत की कश्मीर नीति को और मजबूत किया है। उनकी यह स्पष्टता न केवल ट्रंप को, बल्कि पाकिस्तान को भी संदेश देती है कि भारत अपने आंतरिक मामलों में किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा।


सीजफायर के पीछे पाकिस्तान की पहल का खुलासा भी भारत की कूटनीतिक ताकत को दर्शाता है। लेकिन, कश्मीर में स्थायी शांति के लिए भारत और पाकिस्तान को बैकचैनल कूटनीति को और मजबूत करना होगा। क्या यह घटनाक्रम दोनों देशों के बीच तनाव को कम करेगा, या नई चुनौतियाँ खड़ी करेगा? यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है।