रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया में ताकत का संतुलन तेजी से बदल रहा है। ऐसे समय में भारत एक ऐसा देश बनकर उभरा है, जो किसी दबाव में नहीं आता और अपने फैसले खुद करता है। पश्चिमी देशों का सैन्य गठबंधन नाटो अब भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर परेशान है। खबरें हैं कि नाटो भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की सोच रहा है। लेकिन यह सोच इस बात को नजरअंदाज करती है कि आज का भारत न तो कमजोर है और न ही झुकने वाला।
रूस पर पश्चिमी देशों ने भारी प्रतिबंध लगाए हैं। उनके अनुसार, जो भी देश रूस से व्यापार करेगा, वह उनके खिलाफ खड़ा माना जाएगा। लेकिन भारत ने इस दबाव को दरकिनार कर अपने देश के हित में फैसला लिया। रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिए जरूरी था, और सरकार ने वही किया।
नाटो को लगता है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश को रूस के खिलाफ उनके साथ खड़ा होना चाहिए। लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि उसकी विदेश नीति उसकी जरूरतों और राष्ट्रीय हितों पर आधारित है, न कि किसी दूसरे देश की मंजूरी पर। रूस भारत का पुराना और भरोसेमंद साथी रहा है। आज भी हमारी सेना का बड़ा हिस्सा रूस के हथियारों पर निर्भर है।
भारत ने कई बार कहा है कि वह युद्ध नहीं, शांति चाहता है। भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर बातचीत और समाधान का समर्थन किया है। लेकिन साथ ही उसने यह भी साफ कर दिया है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा। भारत की यह नीति संतुलित है और किसी के पक्ष में नहीं, बल्कि अपने देश के हित में है।
आज का भारत 1990 के दशक वाला भारत नहीं है। अब भारत आत्मनिर्भर, ताकतवर और वैश्विक मंच पर निर्णायक भूमिका में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने दुनिया को दिखा दिया है कि वह फैसले लेने में सक्षम है और किसी के दबाव में नहीं आता। चाहे S-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद हो या अनुच्छेद 370 का फैसला, भारत ने हर बार अपने हित को प्राथमिकता दी है।
नाटो की यह सोच कि भारत को उनके कहे अनुसार चलना चाहिए, असल में पुराने दौर की मानसिकता है। भारत कभी किसी सैन्य गठबंधन का हिस्सा नहीं रहा है। उसने हमेशा ‘रणनीतिक स्वतंत्रता’ की नीति अपनाई है और यही उसकी असली ताकत है।
भारत आज क्वाड जैसे समूहों में अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में काम कर रहा है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह अपने पुराने साझेदार रूस को छोड़ देगा। भारत हर दिशा में संतुलन बनाकर चलता है। यही उसकी रणनीति है और यही कारण है कि वह आज वैश्विक राजनीति में सबसे भरोसेमंद खिलाड़ी बन चुका है।
यूरोप के कई देश भी 2022 तक रूस से गैस खरीदते रहे हैं। फिर अगर भारत अपनी जनता के लिए सस्ता तेल ले रहा है, तो उसे गलत क्यों ठहराया जा रहा है? यह दोहरा रवैया भारत को मंजूर नहीं।
भारत आज न सिर्फ खुद के लिए, बल्कि दुनिया के कई देशों के लिए उम्मीद की किरण है। G20 की अध्यक्षता से लेकर ग्लोबल साउथ की आवाज उठाने तक, भारत ने हर जगह अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है।
नाटो को यह समझना होगा कि भारत को धमकियों से नहीं, सहयोग से जोड़ा जा सकता है। अगर वह भारत को सजा देने की सोचेंगे, तो यह उनकी सबसे बड़ी भूल होगी। क्योंकि आज का भारत सिर्फ एक बाजार नहीं, बल्कि एक मजबूत नेतृत्व करने वाला देश है। उसकी आवाज अब दुनिया अनदेखा नहीं कर सकती।
भारत न तो किसी के कहे पर चलता है, न किसी को आंखें दिखाता है। वह अपनी शर्तों पर साझेदारी करता है और यही उसकी पहचान है।
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़