भारत की जगह पाकिस्तान की भाषा बोल रही कांग्रेस? सोनिया गांधी के लेख से उठे सवाल

ईरान पर मोदी सरकार को घेरा, पर पाकिस्तान समर्थक बयानों पर चुप क्यों? सोनिया के लेख से कांग्रेस की विदेश नीति पर उठे सवाल!

The Narrative World    03-Jul-2025
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कांग्रेस एक बार फिर विदेश नीति को लेकर विवादों में है। पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक लेख में ईरान पर इज़राइल की कार्रवाई को “गंभीर और गैरकानूनी” बताया और मोदी सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या कांग्रेस अब भारत के बजाय पाकिस्तान के नजरिए से सोचने लगी है?
 
सोनिया गांधी का लेख 'It is still not too late for India’s voice to be heard' इस बात का ताजा उदाहरण है कि कैसे कांग्रेस वैश्विक घटनाओं का इस्तेमाल घरेलू राजनीति के लिए कर रही है। लेख में उन्होंने भारत की पुरानी नैतिक विदेश नीति का हवाला देकर मोदी सरकार पर हमला बोला, लेकिन ईरान के भारत विरोधी बयानों और पाकिस्तान समर्थक रवैये पर एक शब्द नहीं कहा।
 
कांग्रेस को याद है 1994, पर 2024 भूल गई
 
सोनिया गांधी ने लेख में 1994 में ईरान द्वारा कश्मीर पर भारत का समर्थन करने का जिक्र किया, लेकिन यह नहीं बताया कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद ईरान ने भारत की निंदा की थी। 2024 में ईरानी सुप्रीम लीडर ने कश्मीर, म्यांमार और भारत के मुसलमानों पर चिंता जताई थी। इन बयानों पर सोनिया गांधी की चुप्पी को भाजपा और विशेषज्ञ कांग्रेस की ‘चुनिंदा याददाश्त’ बता रहे हैं।
 
गाजा और ईरान पर संवेदना, हिंदुओं के लिए खामोशी
 
कांग्रेस ने गाजा में हो रही हिंसा पर तो चिंता जताई, लेकिन बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर पार्टी हमेशा मौन रही है। क्या कांग्रेस की नैतिकता सिर्फ वोटबैंक तक सीमित है? विपक्ष का आरोप है कि कांग्रेस की विदेश नीति अब राष्ट्रीय हित नहीं, बल्कि मुसलमानों को साधने की रणनीति बन गई है।
 
जब कांग्रेस ने पाकिस्तान की भाषा दोहराई
 
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सफल हमला किया था। लेकिन कांग्रेस नेताओं ने इसकी सफलता पर सवाल उठाए। राहुल गांधी ने पूछा था, “पाकिस्तान ने कितने विमान गिराए?” यह बयान पाकिस्तान के मीडिया में खूब उछाला गया और उनके प्रचार का हिस्सा बन गया।
 
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इसी तरह, जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में श्रद्धालु मारे गए, तब कांग्रेस नेताओं ने धर्म का एंगल नकार दिया। जबकि चश्मदीदों ने बताया कि आतंकी पहचान पूछकर निशाना बना रहे थे। कांग्रेस नेता रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि भारत में मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ये बयान भी पाकिस्तान के एजेंडे से मेल खाते हैं।
 
कांग्रेस की हताशा दिखा रही है विदेश नीति की चाल
 
कांग्रेस अब न तो मुस्लिम वोटरों का भरोसा पूरी तरह जीत पा रही है और न ही हिंदू वोटरों से संवाद बना पा रही है। क्षेत्रीय दलों ने भी उसकी जगह हथिया ली है। ऐसे में पार्टी अब विदेश नीति जैसे गंभीर मुद्दों पर भी सस्ती राजनीति कर रही है। भारत और इज़राइल के बीच रक्षा और तकनीकी रिश्तों को नजरअंदाज कर कांग्रेस इरादतन ईरान का पक्ष ले रही है, जबकि ईरान खुद भारत की नीति पर सवाल उठा चुका है।
 
क्या कांग्रेस बन चुकी है पाकिस्तान की प्रॉक्सी?
 
भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस अब वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की 'प्रॉक्सी प्रवक्ता' बन गई है। न तो कश्मीर पर भारत का पक्ष मजबूती से रखती है, न ही भारत की रणनीतिक सफलता को स्वीकार करती है। हर मुद्दे को तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति के चश्मे से देखती है।
 
निष्कर्ष: कांग्रेस की विदेश नीति या राजनीतिक नौटंकी?
 
सोनिया गांधी का लेख इस बात का प्रमाण है कि कांग्रेस अब विदेश नीति का इस्तेमाल देशहित के लिए नहीं, बल्कि आंतरिक सियासत के लिए कर रही है। ईरान, गाजा और कश्मीर जैसे मुद्दों पर उसका रुख नीतिगत नहीं, बल्कि राजनीतिक है।
 
अब यह जनता को तय करना है कि वह भारत की बात सुनना चाहती है या पाकिस्तान के एजेंडे को देश में घुमाने वाली कांग्रेस की।
 
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़