पंजाब और बंगाल कर्ज में डूबे, खर्चे पूरे करने को उधारी का सहारा: CAG की रिपोर्ट

विकास कार्यों के बजाय कर्ज का पैसा वेतन और सब्सिडी में खप रहा, CAG रिपोर्ट ने खोली सच्चाई!

The Narrative World    21-Sep-2025
Total Views |
Representative Image
 
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने एक अहम रिपोर्ट जारी की है, जिसमें राज्यों की वित्तीय हालत पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। इस रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि देश के कई राज्य अपनी आय से कहीं ज्यादा कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं।
 
रिपोर्ट के मुताबिक, बीते एक दशक में 28 राज्यों का सार्वजनिक कर्ज तीन गुना से भी अधिक बढ़ गया है। 2013-14 में जहां यह 17.57 लाख करोड़ रुपये था, वहीं 2022-23 में यह 59.60 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह आंकड़ा बताता है कि राज्यों की आर्थिक स्थिति कितनी असंतुलित हो चुकी है।
 
पंजाब सबसे ज्यादा संकट में
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि आम आदमी पार्टी (AAP) शासित पंजाब का कर्ज उसकी अर्थव्यवस्था (GSDP) का 40.35% है। यानी पंजाब लगभग अपनी आधी सालाना कमाई के बराबर कर्जदार है।
 
पंजाब में यह समस्या नई नहीं है। लंबे समय से राज्य की आय सीमित है, जबकि खर्चे लगातार बढ़ते गए हैं। अब हालात यह हैं कि राज्य विकास पर खर्च करने के बजाय उधार के पैसे से अपनी रोजमर्रा की ज़रूरतें जैसे वेतन और सब्सिडी पूरी करने को मजबूर है। पहले से ही बेरोजगारी और खेती की बदहाली झेल रहा पंजाब अब निवेश और विकास कार्यों के लिए भी संसाधन जुटाने में असमर्थ हो रहा है।
 
बंगाल भी पीछे नहीं
 
ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (TMC) शासित पश्चिम बंगाल की स्थिति भी गंभीर है। राज्य का कर्ज उसकी अर्थव्यवस्था का 33.7% है, जो देश में सबसे ऊंचे स्तरों में गिना जा रहा है।
 
पिछले दस सालों में बंगाल के कर्ज में भारी बढ़ोतरी हुई है। पंजाब की तरह यहां भी कर्ज का बड़ा हिस्सा विकास कार्यों पर खर्च होने के बजाय प्रशासनिक खर्च, वेतन और सब्सिडी में खप रहा है। इससे राज्य की लंबी अवधि की वित्तीय सेहत और बिगड़ रही है।
 
चिंताजनक आंकड़े
 
CAG रिपोर्ट बताती है कि औसतन राज्यों का कर्ज उनकी कुल आय का डेढ़ गुना है। यानी जितनी आमदनी होती है, उससे कहीं ज्यादा रकम वे उधार ले चुके हैं। कोविड काल में यह समस्या और गंभीर हुई, जब आर्थिक उत्पादन घटने से कर्ज का अनुपात 25% तक पहुंच गया।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 11 राज्यों में पूंजीगत खर्च (capital expenditure) उनकी कुल उधारी से भी कम है। आंध्र प्रदेश और पंजाब में तो केवल 17% और 26% कर्ज ही विकास परियोजनाओं में लगाया गया, बाकी पैसा सिर्फ घाटा पूरा करने में चला गया।
 
किन राज्यों ने संभाली स्थिति?
 
जहां पंजाब, पश्चिम बंगाल और नागालैंड जैसे राज्य कर्ज की दलदल में फंस गए हैं, वहीं ओडिशा, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने अपने वित्तीय अनुशासन से स्थिति को नियंत्रण में रखा है।
 
CAG की यह रिपोर्ट बताती है कि यदि राज्यों ने जल्द ही अपनी वित्तीय नीतियों में सुधार नहीं किया, तो आने वाले समय में विकास कार्यों और बुनियादी सुविधाओं पर गंभीर असर पड़ सकता है।
 
रिपोर्ट
शोमेन चंद्र