दंतेवाड़ा में नक्सलियों की वापसी: 71 माओवादियों ने किया सरेंडर, शांति अभियानों की बड़ी जीत

30 ईनामी सहित 71 नक्सलियों ने छोड़ी हिंसा, जंगल से निकल लोकतंत्र पर जताया भरोसा, सरकार की नीति का असर साफ।

The Narrative World    24-Sep-2025
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छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में सोमवार को बड़ी सफलता मिली जब 30 ईनामी माओवादियों सहित कुल 71 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें 21 महिला और 50 पुरुष शामिल हैं। आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में कई शीर्ष कैडर भी हैं, जिन पर लाखों रुपये के इनाम घोषित थे। यह सरेंडर पुलिस और प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे लोन वर्राटू (घर वापस आईए) और पूना मारगेम (पुनर्वास से पुनर्जीवन) अभियानों की सफलता का परिणाम है।
 
सरेंडर करने वालों में बामन मड़कम (8 लाख रुपये इनामी), शमिला उर्फ सोमली कवासी (5 लाख), गंगी उर्फ रोहनी बारसे (5 लाख), देवे उर्फ कविता माड़वी (5 लाख) और जोगा मड़कम (2 लाख) जैसे नाम शामिल हैं। ये सभी पिछले वर्षों में हुई कई बड़ी मुठभेड़ों, टावर जलाने और पुलिस पर हमलों में सक्रिय रहे हैं। इसके अलावा अन्य माओवादी रोड खोदने, पेड़ काटने, बैनर-पोस्टर लगाने और ग्रामीणों पर दबाव बनाने जैसी गतिविधियों में शामिल थे।
 
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पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जंगलों की कठिनाइयां, माओवादी संगठनों के अंदरूनी मतभेद और स्थानीय जनता पर लगातार शोषण और अत्याचार से तंग आकर इन कैडरों ने हथियार छोड़ दिए। अभियान के दौरान लगातार संवाद, गांव-गांव प्रचार और शासन की पुनर्वास नीति के कारण माओवादी अब लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भरोसा जताने लगे हैं।
 
आत्मसमर्पण पुलिस अधीक्षक कार्यालय दंतेवाड़ा में हुआ। इसमें उप महानिरीक्षक दंतेवाड़ा रेंज कमलोचन कश्यप, सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी, पुलिस अधीक्षक गौरव राय और अन्य अफसर मौजूद रहे। आत्मसमर्पण कराने में डीआरजी, बस्तर फाइटर्स, विशेष शाखा और सीआरपीएफ की 111वीं, 195वीं, 230वीं और 231वीं बटालियन का अहम योगदान रहा।
 
सरेंडर करने वालों को छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति के तहत 50 हजार रुपये की तात्कालिक मदद, कौशल विकास प्रशिक्षण, रोजगार और कृषि भूमि जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। उन्हें सामाजिक पुनःस्थापना और मनोवैज्ञानिक परामर्श भी उपलब्ध कराया जाएगा ताकि वे हिंसा छोड़कर सम्मानजनक जीवन जी सकें।
 
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लोन वर्राटू अभियान की शुरुआत दंतेवाड़ा पुलिस ने की थी और यह अब तक 1000 से अधिक माओवादियों के आत्मसमर्पण का गवाह बन चुका है। वहीं पूना मारगेम पूरे बस्तर संभाग में लागू है। पिछले 19 महीनों में दंतेवाड़ा में 129 ईनामी माओवादी सहित 461 से अधिक नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़ चुके हैं। अब तक बस्तर क्षेत्र में कुल 1113 माओवादी आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौट चुके हैं।
बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि माओवादी संगठन अब टूट रहा है और उसका जनाधार लगातार कमजोर हो रहा है। सरकार और पुलिस का प्रयास है कि भटके हुए युवाओं को अवसर देकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाए। अधिकारियों ने माओवादियों से अपील की है कि वे हिंसा छोड़कर अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए शांति और विकास का रास्ता अपनाएं।
 
71 माओवादियों का आत्मसमर्पण बस्तर में शांति की दिशा में बड़ी उपलब्धि है। यह साबित करता है कि बंदूक और हिंसा से कुछ हासिल नहीं होता। सरकार की नीतियों और जनता के सहयोग से माओवादी विचारधारा अब धराशायी हो रही है।
 
हिंसा का मार्ग छोड़िए, शांति, पुनर्वास और सम्मान की राह अपनाइए अपने परिवार और बस्तर के लिए।
 
रिपोर्ट
शोमेन चंद्र