भारत में दलाई लामा की जासूसी करने का प्रयास कर रहा चीन, बोधगया से एक चीनी जासूस गिरफ्तार

30 Dec 2022 12:51:50
chinease spy 
 
भारत के विरुद्ध चीन की नापाक हरकते सीमा से लेकर अंदरूनी क्षेत्रों में लगातार जारी है। सीमाई क्षेत्रों में घुसपैठ की नाकाम कोशिश के बाद अब चीनी कम्युनिस्ट सरकार भारत में जासूसों के माध्यम से साजिश रच रही है। चीन के इस षड्यंत्र का खुलासा बिहार में एक संदिग्ध चीनी जासूस के गिरफ्तार होने के बाद स्पष्ट रूप से सामने आया है।
 
दरअसल तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा अभी बिहार के बोधगया में मौजूद हैं, जहां वो प्रवचन देने के लिए शहर के कालचक्र मैदान के समीप आने वाले हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने 2 दिन पूर्व यह अलर्ट जारी किया था कि इस स्थान में दलाई लामा पर निगरानी रखने के लिए किसी चीनी जासूस की गतिविधि देखी गई है, जिसके बाद उस संदिग्ध जासूस के स्केच को जारी किया गया था।
 
अब पुलिस ने इस मामले में कार्यवाई करते हुए चीनी जासूस को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार इस संदिग्ध चीनी जासूस को उसी स्थान से गिरफ्तार किया गया है, जहां दलाई लामा प्रवचन देने वाले हैं। अभी तक सामने आई जानकारी के अनुसार गिरफ्तार चीनी महिला लगभग 50 वर्ष की है, जो वर्ष 2020 में भारत आई थी।
 
भारत आने के बाद 90 दिनों के भीतर इसे वापस जाना था, लेकिन इसने नियमों का उल्लंघन कर पहले धर्मशाला फिर नेपाल और फिर अन्य भारतीय क्षेत्रों में अपने ठिकाने बनाए और अवैध रूप से रहने लगी। पुलिस ने यह बताया कि अभी गिरफ्तार चीनी महिला से पूछताछ की जा रही है। हालांकि दलाई लामा के संबंध में पुलिस ने कोई जानकारी नहीं दी है।
 
इसके अलावा पुलिस ने यह भी बताया कि बीते 22 दिसंबर से यह बोधगया में मौजूद है, जहां वह एक गेस्ट हाउस में ठहरी हुई थी।गौरतलब है कि 3 वर्षों के बाद दलाई लामा भी एक महीने के प्रवास पर बोधगया पहुंचे हैं। 1 जनवरी को दलाई लामा यहां चक्र पूजन में भी शामिल होने वाले हैं। ऐसे में इस चीनी महिला जासूस का दलाई लामा के पीछा करना यह स्पष्ट करता है कि चीन दलाई लामा को लेकर कुछ खतरनाक षड्यंत्र रच रहा है, जिसे फिलहाल तो भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने नाकाम कर दिया है।
 
दरअसल यह पहला मौका नहीं है जब चीनी कम्युनिस्ट सरकार द्वारा दलाई लामा की जासूसी की जा रही हो, इससे पहले भी इस चीनी षड्यंत्र के खुलासे हो चुके हैं। अगस्त 2020 में दिल्ली में एक चीनी जासूस के गिरफ्तार होने के बाद यह जानकारी निकल कर सामने आई थी कि चीन दलाई लामा की निगरानी के लिए जासूसों का उपयोग कर रहा है।
 
दिल्ली से गिरफ्तार हुए चीनी जासूस के साथ संबंध रखने के आरोप में हिमाचल पुलिस ने एक चीनी महिला और एक अन्य संदिग्ध व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया था, जो हिमाचल में दलाई लामा की गतिविधियों पर निगरानी रख रहे थे। इस घटना के बाद हिमाचल पुलिस और केंद्रीय बलों ने दलाई लामा की सुरक्षा और कड़ी कर दी थी। इस मामले को लेकर हिमाचल के तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी बयान दिया था, जिसमें उन्होंने इस पूरे मामले की जांच करने की बात कही थी।
 
इससे पूर्व हिमाचल में ही दलाई लामा पर नजर रखने वाले संदिग्ध लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। वर्ष 2012 में 8 ऐसे संदिग्ध चीनी जासूसों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था जो मंडी जिले में एक निर्माणाधीन बंगले में रह रहे थे। इनके पास से भारी मात्रा में नगद रकम और ढेर सारे सिम कार्ड भी बरामद हुए थे।
 
वर्ष 1997 में मैक्लोडगंज में दलाई लामा के निवास स्थल के समीप एक बौद्ध विद्यालय में हत्याकांड की घटना हुई थी, जिसमें 3 लोग मारे गए थे। इस घटना के पीछे भी चीनी जासूसों का हाथ बताया गया था। वहीं हाल ही में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अक्टूबर महीने में बौद्ध भिक्षु का भेष धारण कर रही एक चीनी जासूस को गिरफ्तार किया था। चीनी महिला जासूस की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली के एक न्यायालय ने महिला जासूस को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
 
इस महिला जासूस की गिरफ्तारी के बाद यह जानकारी सामने आई थी कि वह भारत विरोधी गतिविधियों के साथ-साथ दलाई लामा की निगरानी संबंधित गतिविधियों में भी शामिल थी। सूत्रों से यह जानकारी निकल कर सामने आई थी कि यह गिरफ्तार चीनी जासूस अच्छी तरह स प्रशिक्षित थी और सुरक्षा एजेंसियों को गुमराह करने का कार्य कर रही थी। गिरफ्तार चीनी जासूस के पास से कुछ डिजिटल उपकरण भी प्राप्त हुए थे।
 
वहीं कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन के समय एक चीनी नागरिक और चीनी जासूस के रूप में कार्य कर रहे एक पत्रकार को भी गिरफ्तार किया गया था, जो दलाई लामा को लेकर भ्रामक खबरें प्रसारित कर रहा था। एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई थी कि चीनी कम्युनिस्ट सरकार तिब्बती मूल के नागरिकों को 'प्रलोभन' देकर दलाई लामा पर निगरानी रखने का प्रयास कर रही है।
 
अगस्त 2020 में चीन से चलने वाले एक हवाला रैकेट के भंडाफोड़ के बाद यह खुलासा हुआ था कि चीनी जासूस भारत में तिब्बतियों को रिश्वत देकर नया दलाई लामा चुनने के लिए चीन के पक्ष में खड़े होने की बात कर रहे हैं। दिल्ली से गिरफ्तार हुए चीनी जासूस को लेकर कहा गया था कि वह दलाई लामा के करीबी एवं विश्वसनीय लोगों को फंसाकर दलाई लामा के विरुद्ध साजिश करने का प्रयास कर रहा था, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया।
 
चीन की यह सभी षड्यंत्रकारी गतिविधियां बताती है कि कैसे वह एक संन्यासी, साधु, बौद्ध भिक्षु से भी इतना घबराता है कि उसकी निगरानी के लिए चीन ने जासूसों का मायाजाल फैला रखा है। दरअसल वास्तव में चीन को नहीं, बल्कि उस कम्युनिस्ट विचारधारा को दलाई लामा का भय है जो अपने राष्ट्र (तिब्बत) और अपने धर्म (बौद्ध) के प्रति निष्ठावान एवं समर्पित हैं, जिसे वामपंथ जैसा फरेबी और आयतित विचार कभी नहीं समझ सकता।
 
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