जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान माओवादियों से संबंधो को नवलखा ने नकारा, एनआईए की जांच के अनुसार अर्बन नक्सल्स समूह का अहम सदस्य है गौतम नवलखा

28 Feb 2023 16:10:42

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एल्गार परिषद माओवादी (नक्सली/कम्युनिस्ट आतंकी) प्रकरण में आरोपी गौतम नवलखा ने अपने काउंसिल (अधिवक्ता ) के माध्यम से अपने ऊपर लगे हुए उन आरोपों को निराधार बताने का प्रयास किया है जिसमे नवलखा के प्रतिबंधित माओवादी संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओइस्ट) के सदस्य होने की बात कही गई थी।
 
इस संदर्भ में मुम्बई उच्च न्यायालय में नवलखा की जमानत याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान नवलखा ने अपने वकील युग मोहित चौधरी के माध्यम से कहा कि प्रतिबंधित सीपीआई माओइस्ट के साथ उसकी गहरी संलिप्तता के आरोप निराधार हैं, सुनवाई के दौरान चौधरी ने कहा कि नवलखा एक विद्वान व्यक्ति एवं अनुसंधानकर्ता रहे हैं जो माओवादियों की हिंसा के विरुद्ध रहे हैं।
 
चौधरी ने न्यायालय से कहा कि माओवादियों की हिंसा के विरुद्ध नवलखा के स्टैंड को लेकर माओवादियों की दृष्टि में वे सरकारी एजेंट हैं, चौधरी ने कहा कि यह इस बात को ही प्रमाणित करता है कि नवलखा पक्षपाती दृष्टि के बजाए स्वतंत्र दृष्टिकोण रखते हैं इसलिए ही सरकार एवं माओवादी दोनों ही उनका विरोध करते रहे हैं।
 
इस दौरान राष्ट्रीय अन्वेषण ब्यूरो (एनआईए) द्वारा अपने आरोप-पत्र में नवलखा के विरुद्ध लगाए गए आरोपों के विषय पर अपना मत रखते हुए नवलखा के वकील चौधरी ने कहा कि नवलखा के किसी भी प्रकार की हिंसक गतिविधि में शामिल रहने के कोई भी प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए नवलखा के विरुद्ध गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए ) के तहत दर्ज की गई धाराएं वैध नहीं हैं।
 
बता दें कि यह सुनवाई गौतम नवलखा द्वारा न्यायालय के समक्ष दायर की गई उनकी जमानत याचिका से संबंधित हैं जिस पर न्यायमूर्ति अजय गडकरी एवं प्रकाश डी नायक की डिवीज़न बेंच एनआईए का पक्ष सुनने के बाद नवलखा का पक्ष सुन रही है।
 
 
क्या है पूरा मामला
 
 
ज्ञात हो कि यह सारा मामला वर्ष 2017 में आयोजित किये गए एल्गार परिषद से जुड़ा हुआ है जिसकी जांच में यह सामने आया कि यरह आयोजन प्रतिबंधित माओवादी संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओइस्ट) की फ्रंटल इकाइयों एवं अर्बन नक्सल्स द्वारा आयोजित किया गया था जहां दिए गए भड़काऊ भाषणों के बाद अगले दिन पुणे से सटे भीमा कोरेगांव में जातीय हिंसा फैल गई थी।
 
इस मामले की जांच के दौरान पुणे पुलिस और फिर एनआईए ने माओवादियों की फ्रंटल इकाई कबीर कला मंच के सदस्यों के अतिरिक्त वरवरा राव, स्टेन स्वामी, रोना विल्सन, प्रोफेसर हैनी बाबू, नवलखा समेत कुल 15 लोगों को अभियुक्त बनाया है, इनमें से ज्यादातर लोग अभी मुंबई के तलोजा जेल में बंद है जबकि कथित स्वास्थ्य कारणों से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वरवरा राव को स्थाई जमानत तो वहीं गौतम नवलखा को हाउस अरेस्ट की विशेष सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
 
 
कौन है गौतम नवलखा
 
 
ज्ञात हो कि कथित सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा द ई-कॉनॉमिक एवं पोलिटिकल वीकली जैसे जर्नल्स का संपादक रह चुका है जिस पर राष्ट्रीय अन्वेषण ब्यूरो (एनआईए) के आरोप-पत्र के अनुसार प्रतिबंधित माओवादी संगठन भाकपा माओवादी (सीपीआई माओइस्ट) के सक्रिय सदस्य होने के गंभीर आरोप हैं।
 
आरोप पत्र के अनुसार नवलखा को संगठन ने शहरी क्षेत्रों में छात्रों एवं युवाओं को कथित रेवोलुशन से जोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी थी जिसको लेकर नवलखा ने राजधानी दिल्ली, मुंबई एवं छत्तीसगढ़ के कई युवाओं को माओवादियों के लिए लड़ने के लिए तैयार भी किया था।
 
इसके अतिरिक्त गौतम नवलखा के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट गुलाम नबी फाई के साथ भी बेहद करीबी संबंध रहे हैं जिसको लेकर भी एनआईए ने अपने आरोप-पत्र के साथ साक्ष्य प्रस्तुत किये हैं।
 
बता दें कि नवलखा कश्मीरी अलगाववादियों से बेहद करीबी रूप से जुड़ा रहा है और अमेरिका में कश्मीरी अलगाववादी समुहों को संबोधित करने के अतिरिक्त अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सार्वजनिक रूप से आतंकी बुरहान वानी का भी समर्थन कर चुका है।
 
द इकनोमिक एंड पोलिटिकल वीकली के अतिरिक्त , नक्सलियों के अर्बन नक्सल्स समूह का अहम सदस्य माना जाने वाला नवलखा माओवादियों की फ्रंटल इकाई सीडीआरओ एवं पीयूओडी से भी जुड़ा रहा है जिसको हाउस अरेस्ट जैसी सुविधा दिए जाने का एनआईए द्वारा पुरजोर विरोध जताया जा चुका है।
 
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