चीनी जनता के समक्ष अपनी छवि बचाने युद्ध की ओर बढ़ सकती है चीनी कम्युनिस्ट सरकार

03 Feb 2023 17:46:13

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बीते सप्ताह अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट सामने आई थी
, जिसमें भारतीय पुलिस अधिकारियों के हवाले से कहा गया था कि आने वाले समय में हिमालयी क्षेत्रों में, विशेषतः लद्दाख के क्षेत्र में, भारत और चीन की सेना के बीच कुछ संघर्ष देखें जा सकते हैं।


दरअसल इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा गया था कि चीनी कम्युनिस्ट सरकार जिस प्रकार से सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर में बढ़ोतरी कर रहा है, साथ ही भारत के सीमाई क्षेत्रों में घुसपैठ की कोशिश कर रहा है, वह संघर्ष का एक बड़ा कारण बन सकता है।


दरअसल वर्ष 2020 में जब पूरी दुनिया चीन के द्वारा फैलाए गए कोरोना वायरस से जूझ रही थी, तब चीनी कम्युनिस्ट सेना ने भारत की सीमा पर घुसपैठ की कोशिश की थी, जिसका मुंहतोड़ जवाब भारतीय सेना ने दिया था।


इस दौरान दोनों ओर की सेनाओं के बीच हिंसक संघर्ष दिखाई दिया, जिसके परिणामस्वरूप भारत के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे, वहीं भारतीय सेना ने चीन के 50 से अधिक सैनिकों को मार गिराया था।


इस घटना के बाद से ही भारत और चीन के बीच सीमा में तनाव की स्थिति बनी हुई है। इन सब के बीच यह कहा जा रहा है कि चीन किसी बड़े युद्ध की तैयारी कर रहा है।


वर्ष 2022 के अगस्त महीने में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया था कि ताइवान के साथ बढ़ते तनाव के बीच चीन ने अपनी सेना को लामबंद करना शुरू कर दिया है।


इस दौरान चीन की पूर्वी क्षेत्रीय सेना के हवाले से कई ऐसे वीडियो जारी किए गए जिसमें सैन्यबल दिखाई दे रहे थे।


इस दौरान चीनी कम्युनिस्ट सरकार बार-बार अपने देश में सुरक्षा संकट और सीमा संकट का उल्लेख कर रही थी।


अब हाल ही में चीनी कम्युनिस्ट सरकार के आधिकारिक सैन्य समाचार पत्र 'द पीएलए डेली' में एक लेख में यह दावा किया गया है कि सुरक्षा को लामबंद किया जा रहा है और साथ ही युद्ध की तैयारी भी की जा रही है।


गौरतलब है कि चीनी कम्युनिस्ट तानाशाह शी जिनपिंग ने अपने कार्यकाल के दौरान विशेष तौर पर एक नए सैन्य विभाग का गठन किया था, जिसका नाम उन्होंने ने 'राष्ट्रीय रक्षा लामबंद' (national defence mobilization) रखा था, अब इसी विभाग की तमाम गतिविधियों पर चर्चा की जा रही है।


एक तरफ जहां चीनी कम्युनिस्ट सरकार सैन्य लामबंदी, भारत से सीमा में तनाव, ताइवान के साथ युद्ध की स्थिति और प्रशांत महासागर में विवाद की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करवाना चाहती है।


वहीं कुछ विषेशज्ञों का मानना है कि चीन में आम जनता के बीच चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और शी जिनपिंग के प्रति जैसे-जैसे अविश्वास बढ़ता जाएगा, वैसे-वैसे ही चीनी कम्युनिस्ट सरकार युद्ध की ओर बढ़ती जाएगी।


चीन की रक्षा प्रणाली पर विशेष ध्यान देने वाले कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत और ताइवान, यह दो ऐसे मुद्दे हैं जिसमें शी जिनपिंग पूरी तरह से घिर चुके हैं।


एक तरफ जहां भारत की सरकार और सेना चीन को उसी की भाषा में जवाब दे रही है, वहीं दूसरी ओर ताइवान का साथ देने के लिए अमेरिका, यूके और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने आगे बढ़कर कार्य किया है, इस कारण चीनी कोई भी सख्त कदम उठाने से घबरा रहा है।


ताइवान वाले विषय के चलते चीन एवं अमेरिका के बीच भी राजनयिक संबंध खराब हो चुके हैं, जिसका नुकसान भी चीन को उठाना पड़ रहा है।


दरअसल चीन में आंतरिक रूप से भी शी जिनपिंग का काफी विरोध देखा जा रहा है, जिसके चलते हाल ही में कुछ विरोध प्रदर्शन भी देखें गए हैं।


इन विरोध प्रदर्शनों में आम चीनी जनता ने सड़कों पर उतर कर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और शी जिनपिंग के खिलाफ नारेबाजी की थी।


वहीं बाह्य दृष्टि से देखें तो चीन के अपने पड़ोसियों से भी संबंध पूरी तरह से शत्रुतापूर्ण हैं।


एक तरफ भारत के साथ तनाव है, जापान ने सीधे तौर पर चीन को घेरा ही है, दक्षिण चीन सागर और हिन्द महासागर के देश चीन से पहले ही नाराज चल रहे हैं, वहीं अमेरिका के साथ चीन के संबंध अपने निम्न स्तर पर आ चुके हैं।


ऐसी परिस्थितियों में चीन की आम जनता का विश्वास भी शी जिनपिंग से उठता जा रहा है, ऐसे में शी जिनपिंग किसी बड़े युद्ध या छोटे संघर्षों को अंजाम देने की योजना कर सकते हैं, ताकि कुछ समय के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर वह अपनी पकड़ को मजबूत रख सकें।


हालांकि विषेशज्ञों का कहना है कि चीन के किए ताइवान पर हमला करना इतना भी आसान नहीं होगा, लेकिन फिर भी शी जिनपिंग कुछ ऐसी गतिविधियों को अंजाम दे सकते हैं जिससे स्थिति तनावपूर्ण बनी रहे।


अपनी विश्वसनीयता को मजबूत करने, अपनी छवि को बचाने, सारे नियम बदलकर तीसरी बार राष्ट्रपति बनने की घटना को सही ठहराने और चीनी कम्युनिस्ट सरकार के विरुद्ध उठ रही आवाजों को ठंडा करने के लिए शी जिनपिंग अब किसी ना किसी हथकंडे अपनाने की फिराक में हैं।


कुछ पत्रकारों का मानना है कि ताइवान मसले पर शी जिनपिंग और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अब इतना आगे बढ़ चुके हैं कि उनका लौटना मुश्किल होगा, वहीं कुछ विषेशज्ञ यह कह रहे हैं कि चीन की सोच के अनुसार ताइवान बिना लड़े ही हथियार डाल देगा, लेकिन ऐसा होना संभव नहीं है।


हालांकि चीनी कम्युनिस्ट तानाशाह शी जिनपिंग ने अपने खास सॉन्ग ताओ को इस काम के लिए लगाया हुआ है, ताकि ताइवान बिना संघर्ष के ही हार मान ले।


ऑस्ट्रेलिया में निवासरत एक चीनी मूल के विशेषज्ञ युआन होंगबिंग का कहना है कि वर्ष 2025 तक चीन ताइवान पर हमला कर सकता है।

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