ईमानदारी का घोटाला ?

बढ़ते दबाव एवं नैतिकता पर पार्टी की भद्द पीटने की दृष्टि से मंगलवार को दोनों मंत्रियों ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को अपना इस्तीफा भी भेजा जिसे केजरीवाल द्वारा स्वीकार कर लिया गया है

The Narrative World    01-Mar-2023   
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ईमानदारी की डुगडुगी बजा कर राजनीति में कदम रखने वाले अरविंद केजरीवाल एवं कंपनी की फायरब्रांड 'ईमानदार राजनीति' का गुब्बारा अब फटता दिखाई दे रहा है, दरअसल अन्ना आंदोलन से लेकर अब तक अरविंद केजरीवाल के कथित ईमानदार राजनीतिक यात्रा में साये की तरह उनके साथ दिखाई देने वाले उनके बेहद करीबी एवं पार्टी में कथित रूप से नंबर 2 की हैसियत रखने वाले मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने सोमवार को आठ घंटे की मैराथन पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद न्यायालय ने उन्हें 4 मार्च तक के लिए सीबीआई की रिमांड में भेज दिया है।
 
सिसोदिया पर आर्थिक धोखाधड़ी, प्रमाण मिटाने, जांच को भटकाने, उसमें सहयोग ना करने, चुनिंदा वेंडरों को विशेष लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी प्रक्रिया की अनदेखी जैसे कई आरोप हैं जिसको लेकर विपक्षी भाजपा कई महीनों से उनपर लगातार आरोप भी लगा रही थी, हालांकि राजनीति में कदम रखने से लेकर अब तक स्वयं को ईमानदार राजनीति का स्वयंभू ब्रांड एंबेसडर घोषित करते आए केजरीवाल आर्थिक धोखाधड़ी एवं भ्रष्टाचार के विपक्ष के इन आरोपो पर गंभीरता दिखाने की बजाए अब तक उल्टे सीबीआई एवं केंद्र सरकार को ही ललकारते दिखाई दिए कि यदि कोई गड़बड़ी है तो अब तक आपने गिरफ्तारी क्यों नहीं की ?
 
खैर यह सबकुछ उस आबकारी (शराब) घोटाले से संबंधित है जिसे नवंबर 2021 में दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने यह कहते हुए लागू किया था कि यह आबकारी नीति ना केवल राज्य सरकार के रेवेन्यू को बढ़ाने वाली होगी अपितु इससे आबकारी विभाग में वयाप्त भ्रष्टाचार एवं शराब माफियाओं के वर्चस्व पर अंकुश लगाया जा सकेगा, हालांकि अपने दावों के विपरीत राज्य सरकार की इस नई आबकारी नीति ने शराब बिक्री में सरकार की भागीदारी को तो पूर्णत हटाया ही साथ ही इसी दौरान वेंडरों को अपनी इच्छा अनुसार छूट देने और अत्यधिक स्वतंत्रता से शराब बिक्री को बढ़ावा देने की खुली छूट दी।
 
परिणामस्वरूप इस नीति के लागू होने के बाद सरकारी आय में तो लगभग 27 % की बढ़ोतरी दर्ज की गई पर साथ ही साथ इसने राजधानी के भीतर शराब बिक्री को भी मनमाने रूप से बढ़ाया, हालांकि भाजपा के आरोपो के अनुसार इस पूरी नीति से सबसे अधिक लाभ आम आदमी पार्टी को पीछे के दरवाजे से वेंडरों के माध्यम से हुई करोड़ो की फंडिंग के रूप में हुआ जिसको पार्टी ने पंजाब जैसे राज्यों में चुनाव लड़ने के लिए लगाया।
 
अब तक हुई जांच के अनुसार इस नीति को लागू करने के उपरांत मनीष सिसोदिया ने कोरोना वायरस का हवाला देते हुए अधिकृत वेंडरों के लगभग 144 करोड़ रुपये की राशि (लाइसेंस फीस) को भी माफ किया जबकि इसी दौरान आयातित बियरों पर 50 रुपये प्रति नग के हिसाब से छूट भी प्रदान की गई, हालांकि फीस माफ करने एवं शुल्क कम करने को लेकर जानबूझकर उपराज्यपाल की अनुमति नहीं ली गई जो कानूनी रूप से दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम 2010 और व्यापार लेनदेन अधिनियम 1993 का स्पष्ट उल्लंघन है, यह इन अनिमियताओं के सामने आने के बाद ही था कि सरकार ने केवल 8 महीनों के भीतर ही जुलाई 2022 में अपनी नई आबकारी नीति को वापस ले लिया, जिसको लेकर अब सीबीआई द्वारा सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया है।
 
“वहीं इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में अरविंद केजरीवाल एवं सिसोदिया सहित पार्टी के शीर्ष नेताओं के करीबी अभिषेक नायर द्वारा हैदराबाद स्थित शराब कारोबारियों के साथ केजरीवाल की वीडियो कॉल पर बात कराने की बात सामने आ चुकी है, दरअसल अभिषेक नायर को इस पूरे घोटाले को अंजाम देने का आरोपी माना जाता है जिसने पार्टी की ओर से शराब कारोबारियों से धन उगाही को अंजाम दिया है।”
 
 
 
अब जहां एक ओर इस घोटाले से जुड़े तथ्य धीरे धीरे कर के स्पष्ट होते जा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर घोटाले की कलई खुलने और सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर केजरीवाल एवं कंपनी की बेचैनी बढ़ती दिखाई दे रही है, स्थिति यह है कि केजरीवाल एवं पार्टी के अन्य नेता पहले से धोखाधड़ी एवं अवैध आय के आरोपो में जेल में बंद आम आदमी पार्टी के कद्दावर मंत्री सत्येंद्र जैन जिन पर लगभग 16 करोड़ रुपये के अवैध आय समेत कई अन्य गंभीर आरोप हैं के तर्ज पर सिसोदिया की गिरफ्तारी को भी राजनीति से प्रेरित बताने में जुटी दिखाई दे रही है, हालांकि जहां केजरीवाल एवं कंपनी भ्रष्टाचार के इन गंभीर आरोपो को लेकर कितना भी हाय तौबा मचा लें, वास्तविकता तो यह ही है कि ना तो सत्येंद्र जैन और ना ही मनीष सिसोदिया पर लगे आरोपो को पार्टी की ओर से कोई ठोस प्रतिउत्तर दिया गया है।
 
इसमें भी संदेह नहीं कि आबकारी घोटाले एवं सत्येंद्र जैन को लेकर अब तक जांच में जितना कुछ सामने आया है उससे यह अनुमान लगाना कठिन नहीं कि कथित ईमानदार पार्टी के अगुवा रहे इन दोनों नेताओं के यह दाग आसानी से तो नहीं धुलने वाले यही कारण है कि बढ़ते दबाव एवं नैतिकता पर पार्टी की भद्द पीटने की दृष्टि से मंगलवार को दोनों मंत्रियों ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को अपना इस्तीफा भी भेजा जिसे केजरीवाल द्वारा स्वीकार कर लिया गया है।
 
हालांकि इन सब के बीच सबसे बड़ा प्रश्न तो यह है कि क्या दिल्ली से लेकर न्यूयॉर्क तक शिक्षा की डुगडुगी पीटने वाले मनीष सिसोदिया एवं सत्येंद्र जैन के इन कुकृत्यों से ईमानदार राजनीति के प्राणेता केजरीवाल अनजान थे ? जांच में जो सामने आया है उस अनुसार तो कतई नहीं, देखना तो यह है कि जनता की नब्ज टटोल कर पल पल रंग बदलने वाले यू टर्न केजरीवाल अब इन सभी गंभीर आरोपो पर कौन सा नया पैंतरा दिखाते हैं, इस क्रम में कल को यदि केजरीवाल इसे ईमानदारी का घोटाला बता दें तो अचरज नहीं किजिएगा।