छत्तीसगढ़ में जारी है निर्दोष नागरिकों की हत्याओं का दौर, जनप्रतिनिधि समेत ग्रामीण की माओवादियों ने की बर्बरता से हत्या

The Narrative World    29-Mar-2023   
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representational image (चित्र : सोशल मीडिया)
 
 
छत्तीसगढ़ के माओवाद (नक्सलवाद/कम्युनिस्ट आतंकी) प्रभावित सुकमा एवं नारायणपुर में एक बार फिर माओवादियों की बर्बरता देखने को मिली है, जानकारी के अनुसार दोनों जिलों में घटी दो अलग अलग घटनाओं में माओवादियों ने एक जनप्रतिनिधि समेत दो लोगों की हत्या कर दी है, पहली घटना सुकमा जिले के भेज्जी अंतर्गत अँधेरपारा गांव में घटी है जहां माओवादियों ने एक ग्रामीण की हत्या कर दी है, घटना मंगलवार देर रात की है जब प्रतिबंधित माओवादी संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओइस्ट) के लगभग आधा दर्जन सशस्त्र कैडर गांव में घुस आए और एक ग्रामीण को घर से निकालकर जंगलो की ओर ले गए।
 
जानकारी है कि जंगल में ले जाकर माओवादियों ने युवक की गला रेत कर हत्या कर दी जिसके बाद मृतक का शव गांव के समीप फेंककर वापस जंगलो में भाग गए, मृतक ग्रामीण की पहचान राजू मड़काम के रूप में की गई है, सूचना के अनुसार माओवादियों ने शव के पास पर्चे भी छोड़े हैं जिसमें माओवादियों की कोंटा एरिया कमेटी ने हत्या की जिम्मेदारी ली है।
 
नारायणपुर में जनप्रतिनिधि की हत्या
 
घटनास्थल पर छोड़े गए पर्चे में माओवादियों ने राजू पर पुलिस मुखबिरी का आरोप मढ़ते हुए लिखा है कि राजू बीते तीन वर्षो से पुलिस मुखबिरी कर रहा था जिसको लेकर संगठन की ओर से उसे चेताया भी गया था, बावजूद इसके उसने मुखबिरी जारी रखी इसलिए संगठन के आदेश पर उसकी हत्या की गई है। जानकारी है कि अगली सुबह ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस की टीम गांव पहुंची जिसके बाद टीम ने शव को कब्जे में लेकर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
 
वहीं राज्य में माओवादियों से संबंधित एक अन्य घटनाक्रम में नारायणपुर जिला अंतर्गत झारा गांव में सशस्त्र माओवादी कैडरों ने एक पूर्व उपसरपंच की गला घोंट कर हत्या कर दी है, मृतक की पहचान झारा गांव के पूर्व उपसरपंच रामजी दोदी के रूप में की गई है, जानकारी है कि मंगलवार देर शाम को प्रतिबंधित माओवादी संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के 4 सशस्त्र कैडर उस समय रामजी दोदी के घर आ धमके जब वे पास ही के गांव की ओर निकले थे, सूचना के अनुसार माओवादियों ने घर की ओर लौटते रामजी को उनके दो परिजनों के साथ आधे रास्ते से ही अपहृत कर लिया और जंगलो में ले गए।
 
जानकारी है कि जंगल में ले जाने के बाद माओवादियों ने पहले तो रामजी दोदी को लाठी डंडों से पीटा फिर बाद में गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी, हत्या के बाद माओवादी परिजनों को रामजी का शव एवं पर्चा देकर जंगलो के भीतर चले गए, पर्चे में माओवादियों ने रामजी पर पुलिस मुखबिर होने का आरोप मढ़ा है, वहीं घटना की जानकारी पाकर घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने रामजी को निर्दोष बताया है, पुलिस के अनुसार दोदी का पुलिस से कोई भी संबंध नहीं था, घटना के बाद पुलिस द्वारा क्षेत्र में सघन तलाशी अभियान चलाए जाने की सूचना है।
 
बता दें कि छत्तीसगढ़ में माओवादी लगातार निर्दोष नागरिकों को निशाना बना रहे हैं और इस क्रम में बीते दिनों में माओवादियों ने छत्तीसगढ़ एवं समीप के क्षेत्रों में ऐसी दसियों हत्याएं की है, माओवादियों ने इन हत्याओं को लेकर निर्दोष ग्रामीणों पर पुलिस मुखबिरी होने का आरोप मढ़ा है जबकि माओवादियों द्वारा निशाना बनाये गए ज्यादातर लोग या तो सामान्य पृष्टभूमि से आने वाले किसान थे अथवा शहरों से संबंध रखने वाले छात्र।
 
बौखलाहट में हो रही हत्याएं
 
वहीं सुरक्षा विशेषज्ञों की मानें तो माओवादियों द्वारा आम लोगों को निशाना बनाये जाने की इन घटनाओं के पीछे कमजोर पड़ते संगठन की बौखलाहट छुपी है जो क्षेत्र में सुरक्षाबलों की बढ़ती उपस्थिति को रोकने एवं उनसे प्रत्यक्ष रूप से लोहा लेने में असमर्थ दिखाई दे रहा है, यही कारण है कि नक्सली सॉफ्ट टार्गेट्स को अपना निशाना बना रहे।
 
दरअसल बीते कुछ वर्षों में सुरक्षाबलों एवं प्रशासन के साझा प्रयासों से धुर माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को युद्ध स्तर पर बढ़ाया गया है जिससे जहां एक ओर दशकों से विकास की मुख्यधारा से वंचित रहे क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं को बढ़ावा दिया गया है तो वहीं सड़को के निर्माण से दुर्गम क्षेत्रों में भी सुरक्षाबलों की पहुंच सहज हुई है।
 
अब ऐसे में प्रत्यक्ष संघर्ष में सुरक्षाबलों से लोहा लेने में असमर्थ संगठन की बंदूकें निर्दोष नागरिकों पर जमकर बरस रही हैं जिसके माध्यम से माओवादियों का प्रयास ग्रामीणों में संगठन के प्रति कम होते भय को स्थापित रखने का ही दिखाई पड़ता है।