विश्व में बीते 3-4 वर्षों में जिस तरह का माहौल बना है उससे एक बात स्पष्ट होती नजर आ रही है कि पूरी दुनिया में चीन के विरुद्ध एक मनोदशा निर्मित हो चुकी है। चीन सार्वभौमिक मूल्यों और लोकतांत्रिक विचारों के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है।
इसके अलावा चीन सैन्य नजरिए से भी पूरे विश्व के लिए एक बड़ा खतरा है। यदि कोई आपसे कहे कि भारतीय सेना को वर्तमान में केंद्र सरकार के बजाय भारतीय जनता पार्टी की एक इकाई में बदल दिया जाए तो आप क्या सोचेंगे? संभवत आपका सबसे पहला विचार यही होगा कि यह एक मूर्खतापूर्ण बात है।
कल्पना कीजिए यदि ऐसा हो जाए तो क्या एक लोकतांत्रिक व्यवस्था से कानून और व्यवस्था का कोई राज होगा? जी नहीं! बिल्कुल भी नहीं।
लेकिन चीन में यही व्यवस्था है। चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी चीनी सरकार से संबंधित ना होकर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की एक शाखा या एक इकाई है।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के पीपल्स लिबरेशन आर्मी में 20 लाख के करीब सैन्य जवान हैं। हालांकि चीन हमेशा से दावा करता रहा है कि उसकी सैन्य शक्ति पूरी दुनिया में सबसे बड़ी है। हमने यह भी देखा है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अपनी सेना का गलत इस्तेमाल कर पड़ोसियों के साथ विवाद में रहने की कोशिश करती है।
उदाहरण के लिए देखे तो वर्ष 2020 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और भारतीय सेना के बीच पिछले 45 वर्षों में सबसे खराब हिंसक झड़प हुई। इस खूनी संघर्ष में भारतीय सेना के 20 जवान बलिदान हुए।
भारतीय सेना ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को मुंहतोड़ जवाब देते हुए उनके 45 से अधिक सैनिकों को मार गिराया जिसमें कमांडिंग ऑफिसर शामिल था।
इसके अलावा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की पीपल्स लिबरेशन आर्मी और वायु सेना और नौसेना ने लगातार वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया को दक्षिण चीन सागर में परेशान करने की नीति अपनाई है।
साथ ही जापान और ताइवान जैसे देशों को भड़काने और धमकाने के लिए लगातार सैन्य बलों का इस्तेमाल किया है।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इस मिलिट्री पावर के गैर जिम्मेदाराना तरीके से इस्तेमाल करने की वजह से पूर्वी एशियाई क्षेत्र और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में एक गंभीर खतरा पैदा हो गया है।
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अर्थात चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सेना का चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की एक इकाई होना आज भी दुनिया के लिए एक अचंभा है।
बहुतायत में ऐसे लोग हैं जिन्हें यह जानकारी नहीं कि चीनी सेना चीनी सरकार की नहीं बल्कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सैन्य शाखा है।
क्लाइव हैमिल्टन (Clive Hamilton) एवं मार्के ओहेलबेर्ग (Mareike Ohlberg) की किताब "एक्सपोजिंग हाउ द चाइनीस कम्युनिस्ट पार्टी इज रिशेपिंग द वर्ल्ड" में इस विषय पर विस्तार से सभी तथ्यों एवं सूत्रों के साथ जानकारी दी गई है।
किताब में लेखिका ने लिखा है कि "यह समझने के लिए कि अन्य संस्थानों को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी किस हद तक नियंत्रित करती है आपको यह जानना आवश्यक है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी देश की सेना नहीं है बल्कि वह कम्युनिस्ट पार्टी की सशस्त्र इकाई है।"
इसका मतलब यह है कि पूरी दुनिया में जिस तरह सभी देशों की सेनाएं अपने देश के विचारों, देश की अखंडता, देश की संप्रभुता, देश के नागरिक और देश की सभ्यता की रक्षा के लिए युद्ध लड़ती हैं और उनकी सुरक्षा करती है, लेकिन ऐसा चीन में नहीं है।
चीन में वामपंथी दल की सत्ता होने की वजह से वहां की सेना चीनी नागरिकों की सुरक्षा के बजाय चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सुरक्षा, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के विचारों के लिए और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के निर्देश के अनुसार कार्य करती है।
इसका दूसरा अर्थ यह भी है कि यदि दुनिया के तमाम देश चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पर दबाव बनाकर चीन में लोकतंत्र की स्थापना करने की कोशिश करते हैं तो भी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी देश में लोकतंत्र की स्थापना में एक बड़ी रुकावट बन कर उभरेगी।
यह ऐसे तथ्य हैं जो सामान्य नागरिकों तक इसलिए नहीं पहुंच पाते क्योंकि चीन का प्रोपेगेंडा चलाने वाली संस्थाएं, मीडिया से जुड़े लोग, पत्रकार साहित्यकार यह जानकारी नहीं देना चाहते। चीन के साथ-साथ उसकी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी भी पूरे विश्व के लिए एक बड़ा खतरा है।