कहानी उसकी जो इस्‍लाम के रास्‍ते पर चलकर बन बैठा आतंकी

मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जब नौ मई को पुलिस के आतंकवाद-रोधी दस्ते (एटीएस) ने कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) के पहले भारतीय मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था, तब कोई सोच भी नहीं सकता था कि इस्‍लाम के रास्‍ते पर चलकर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देनेवाला व्‍यक्‍ति खुद धर्म परिवर्तन कर लोगों का ब्रेन वॉश कर दूसरों का धर्म बदलवाकर इस्‍लाम में लाने के लिए लगा हुआ है और आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।

The Narrative World    23-May-2023
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बेटे के इंतजार में समय से पहले बुढ़ापा आ गया है, जिस इकलौते बेटे को वे इतना लाड़-प्‍यार दे रहे थे और उसकी हर ख्‍वाहिश को पूरा कर उसे वहां भेजा जहां उनका बेटा चाहता था, उन्‍हें क्‍या पता था कि एक दिन यही उसकी मांगों को पूरा करते रहने की बेटे की जिद उसे न सिर्फ अपने खून के रिश्‍तों से दूर कर देगी बल्‍कि उसे एक दिन ऐसा बना देगी जो रास्‍ता बदनामी की ओर जाता है। अब रिश्‍ते भी गए, धर्म भी गया और आतंक के रास्‍ते पर चलकर ये बेटा देश का गुनहगार भी बन चुका है।


दरअसल, मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल के बैरसिया इलाके में यह दर्द उस पिता का है जोकि अपने बेटे के फिर से उनके जीवन में वापिस आने की राह देख रहे हैं। मां भी गुमसुम है, बोलते ही गला रुंध जाता है, आवाज भरभरा उठती है! कंपित आवाज यह साफ संकेत देती है कि ये बूढ़ी मां अपने बेटे को लेकर पहले से कितनी दुखी थी, रही-सही कसर उसके आतंकी गतिविधियों में संलिप्‍त होने के साक्ष्‍यों ने पूरी कर दी है।


माँ बसंती जैन अपने बेटे की यादों को एलबम में संजोएं बैठी है। वे एक के बाद एक फोटो दिखाती है, कैसे बड़ा हुआ, कैसे शादी की, घर का माहौल कितना खुशनुमा था, लेकिन पता नहीं इस हंसते - खेलते घर को किसकी नजर लग गई कि बेटे सौरभ ने अपने को सनातन जैन पंथ का अंग मानना ही बंद कर दिया।


मां कहती है वह अपने पिता की कही हर बात में कमियां निकालने लगा था। बात-बात पर पिता-पुत्र में झगड़ा होना जैसे आम बात हो गई थी।


पढ़ाई के दौरान बेटे के संपर्क में उसका एक सीनियर आता है, डॉ. कमाल खान और जैसे उसके बाद इन बूढ़ों का हमेशा के लिए बुढ़ापे का सहारा चार बहनों का इकलौता भाई धर्म बदलकर दूर हो जाता है।


न सिर्फ दूर होता है बल्‍कि ओरों को भी इस्‍लाम के रास्‍ते पर चलने के लिए योजना बनाकर काम में लग जाता है यहां कमाल खान ने अपना कमाल दिखा दिया.... इन बूढ़ों से बेटा तो छीना ही, बहू भी छीन ली।


बेटे ने उसका भी धर्म परिवर्तित करा दिया, यह कहकर कि जहां मैं वहां तुम। सात फेरे लेकर इस घर में मेरे साथ आई हो, जीने मरने की साथ कसम खाई है, तो अब जहां तुम्‍हारा पति रहेगा वहीं तुम्‍हें भी रहना होगा।


पति इस्‍लाम कबूल करता है तो तुम भी आज से इस्‍लाम को मानोगी, और देखिए समय का खेल कि पत्‍नि अपने पति के लिए जीवन भर का, अब तक का अपना धर्म भी बदलने को तैयार हो जाती है। और फिर इसके बाद कल तक का सौरभ अब सलीम बन धर्मांतरण का वह खेल खेलता है।


मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जब नौ मई को पुलिस के आतंकवाद-रोधी दस्ते (एटीएस) ने कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) के पहले भारतीय मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था, तब कोई सोच भी नहीं सकता था कि इस्‍लाम के रास्‍ते पर चलकर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देनेवाला व्‍यक्‍ति खुद धर्म परिवर्तन कर लोगों का ब्रेन वॉश कर दूसरों का धर्म बदलवाकर इस्‍लाम में लाने के लिए लगा हुआ है और आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।


भोपाल के सेवानिवृत्त आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. अशोक जैन राजवैद्य के यहां पैदा हुआ आज सौरभ राजवैद्य से सलीम बन चुका यह बेटा देश के लिए इतना खतरनाक साबित होगा यह कोई स्‍वप्‍न में भी नहीं सोच सकता था, लेकिन हुआ यही है।


पिता बताते हैं कि कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही उनके बेटे का ब्रेनवॉश इस्‍लामिक कट्टरपंथियों ने कर दिया था। मेरे बेटे को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए ब्रेनवाश करने वाले का नाम डॉक्टर कमाल है। यह वही डॉक्टर कमाल है, जो टीआईटी कॉलेज में मेरे बेटे का सीनियर था। बेटा मुझसे झूठ बोलता रहा, यह कह कर कि मैं सत्य की खोज कर रहा हूं और ध्यान कर रहा हूं मुझे दोनों बातों से कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन बाद में पता चला कि वह कुछ और ही कर रहा था।


सलीम के माता-पिता अपनी स्‍मृतियों में जाते हैं और पुराने दिनों को याद करते हैं, फिर कहना शुरू करते हैं। पिता बोलते हैं - बात सन् 2010-11 की है। मुझे सौरव का इस्लाम के प्रति प्रेम नजर आया था। कयोंकि हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और इसलिए हमने कभी इस बात पर आपत्ति नहीं ली, लेकिन इस्लाम के नाम पर मुझे ज्यादा आपत्ति तब हुई जब देश विरोधी कार्यों पर भी उसके द्वारा कुतर्क किया जाता था।


वर्ष 2014 के रक्षाबंधन के दिन जब सौरभ ने अपनी बहनों से राखी बंधवाने से भी इंकार कर दिया तब मुझे ऐसा लगा कि यह आदमी (बेटा) घर में बहुत दिक्कत कर रहा है, इसका जीने का स्टाइल 36 के आंकड़े पर पहुंच गया है। हमारे घर के खिलाफ हो गया है तो मैंने कहा- अब तुम्हारे लिए इस घर में कोई गुंजाइश नहीं है अब तुम इस घर में नहीं रह सकते। मैंने उसे 30 अगस्त 2014 को घर से निकाल दिया।


पिता कहते हैं कि इस्लाम कबूल करवाने के लिए भोपाल में एक गैंग काम कर रहा है, जाकिर नाइक एंड गैंग बहुत सक्रिय है, उनके नंबर भी मैंने बेटे को घर से निकालते वक्‍त पुलिस को दिए थे और कहा था कि हो सके तो आप इस गैंग को ऐसा करने से रोकिए। कुछ कर सकते हैं तो जरूर करें। यह जाकिर नाइक वाले भोले-भाले लोगों को गुमराह कर रहे हैं और देश के खिलाफ लोगों को उकसाते हैं बेटा विवादास्पद कट्टरपंथी इस्लामिक उपदेशक डॉ. जाकिर नाइक के वीडियो सुनने-सुनते कब सौरभ से सलीम बन गया कुछ पता नहीं चला।


पिता आगे याद कर बताते हैं कि उनकी बहू मानसी रायला बन चुकी है, जबकि मानसी बुरहानपुर के अग्रवाल परिवार से ताल्लुक रखती है। उन्होंने पोते अनुनय और वत्सल का नाम बदलकर यूसुफ और इस्माइल कर दिया है। सलीम के पिता बताते हैं कि उसने अपने भांजे को भी इस्‍लाम में लाने का प्रयास किया था, कुछ समय तक भांजे पर इसका प्रभाव भी दिखा, किंतु मध्यप्रदेश शासन का जो धर्मांतरण विरोधी कानून बना उसके कारण से वह आगे इस्‍लाम में कन्‍वर्ट नहीं हुआ


पिता ने कहा वे किसी पंथ के विरोध में नहीं हैं, लेकिन इस तरह से किसी को मतांध कर दिया जाए, किसी के मत, पंथ या धर्म को छोटा बताया जाए, इसे मैं कहीं से भी ठीक नहीं मानता हूं। बुजुर्ग पिता जैन कहते हैं कि आप जिस बहुसंख्यक समाज के साथ रहते हैं उन्हीं के खिलाफ साजिश करते हैं, यह धर्म का हिस्सा नहीं है। यह तो एक राजनीतिक महत्वाकांक्षा है।


पिता कहते हैं कि यदि वह सौरव बनकर जैसा वह प्यारा बेटा था, हर बात मानने वाला बेटा ईमानदारी से जीवन चलाने वाला बेटा और सबकी सुनने वाला बेटा, जैसा पहले था, वह बेटा अगर वापिस आ जाए तो बहुत अच्‍छा है, उसका स्‍वागत है अन्‍यथा नहीं।


आपको बता दें कि नौ मई को एंटी टेरर स्क्वाड ने तेलंगाना पुलिस की मदद से भोपाल, छिंदवाड़ा और हैदराबाद से कथित रूप से HuT (हिज्ब-उत-तहरीर)आतंकी संगठन से जुड़े 16 लोगों को गिरफ्तार किया था। सभी आरोपित अभी तक रिमांड पर हैं। HuT (हिज्ब-उत-तहरीर) का आतंकी नेटवर्क आज दुनिया के कई देशों में फैला हुआ है।

लेख

डॉ. मयंक चतुर्वेदी