अजमेर 92 : इस्लाम और कांग्रेसी दबदबे के बल पर 100 से अधिक हिंदु लड़कियों का बलात्कार करने वाले जिहादियों की सच्चाई उजागर करने वाली फ़िल्म

30 May 2023 18:15:13

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The Kerala Story
के बाद अजमेर सेक्स स्कैंडल पर बनी फिल्म "Ajmer 92" 14 जुलाई को आ रही है. हाल ही में आई फिल्म द केरला स्टोरी दर्शकों के दिलो दिमाग को झकझोर रही है. गंगा जमुनी तहजीब के नाम पर इस देश में धर्म की आड़ में किस तरह से एक समुदाय विशेष के कुछ लोग दूसरे समुदाय की मासूम लड़कियों को अपने नफरती दिवालियेपन का शिकार बनाते हैं, ये फिल्म उस दर्द को बयान करती है.


देश में ये अकेला प्रदेश नहीं है जहां धर्म विशेष कि लड़कियों को टारगेट किया गया. राजस्थान में साल 1992 में एक ऐसा ही दिल दहलाने वाला वाकया हुआ जिसने कई मासूमों को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया था.


मजहबी चोले की आड़ में हैवानियत की कहानी - अजमेर 92


हम बात कर रहे हैं, राजस्थान के अजमेर शहर में 1992 (AJMER 92) में हुए चिश्ती सेक्स कांड की. एक ऐसी घटना जिसने लोगों की रुहें कंपा दी थी. साल 1992 में अजमेर शहर ने वो खौफनाक मंजर देखा जिसमें एक के बाद एक गई लड़कियां पेड़ों पर लाश बन कर लटकी नजर आई.


इस घटना पर आधारित एक फिल्म 14 जुलाई को ही भारतीय सिनेमा जगत के पर्दे पर आने वाली है, जो उन तमाम सवालों को उठायेगी जो 1992 सेक्स कांड (AJMER 92 ) के दौरान पूछे नहीं जा सके थे, या किसी ने बोलने की हिम्मत नहीं जुटाई.


अब टीवी इंडस्ट्री के एक दिग्गज निर्देशक पुष्पेंद्र सिंह 1992 के अजमेर कांड पर एक फिल्म लेकर आ रहे हैं जिसमें सवालों के जवाब ढूंढ़ने की कोशिश है.


यह फिल्म राजस्थान के अजमेर (AJMER 92 ) में हुए उस बलात्कार काण्ड पर आधारित है जिसमें जिसमें द्वेष और कट्टरपंथ की आग में कुछ हैवानों ने सैकड़ों हिन्दू लड़कियों का यौन शोषण कियाइसे करने वाले लोगों में मुस्लिमों के अजमेर शरीफ दरगाह से जुड़े चिश्ती परिवार के लोग शामिल थे.


क्या है अजमेर 1992 की कहानी ?

बात 1992 की है, जब अजमेर दरगाह के खादिम फारूक चिश्ती को 100 लड़कियों के गैंगरेप कांड में दोषी पाया गया. लेकिन कहा जाता है कि अनऑफिशियली ये आकड़ा 300 से ज्यादा का था.


लोग इसे देश का सबसे बड़ा बलात्कार कांड और अजमेर दरगाह काण्ड के नाम से भी जानते हैंआज से लगभग तीन दशक पहले अजमेर के सोफिया गर्ल्स स्कूल और सावित्री स्कूल की कई बच्चियों को सामूहिक दुष्कर्म का शिकार बनाया गया था.


पहले स्कूल की मासूम हिंदू लड़कियों के साथ दोस्ती का नाटक किया जाता था. उसके बाद न सिर्फ उनका शोषण किया जाता था, बल्कि उन्हें तरह-तरह से ब्लैकमेल भी किया जाता था.


उनकी नग्न तस्वीरों के जरिए उनसे उनकी दोस्त, बहन और भाभी को भी बुलाने के लिए कहा जाता था. जबरन उनके साथ भी यौन शोषण किया जाता था. ये खबर सामने आने के बाद तत्कालीन सीएम भैरो सिंह शेखावत की कुर्सी तक हिल गई थी.


अजमेऱ शरीफ दरगाह के खादिम को हुई उम्र कैद की सजा


इस पूरे वाकये में सबसे अहम किरदार या कहें वो हैवान था, राजस्थान के अजमेर जिला में मौजूद अजमेर शरीफ दरगाह का चिश्ती, जिसने बलात्कार और ब्लैकमेलिंग का घिनौना खेल खेला.


इस पूरे खेल के मास्टरमाइंड का सीधा कनेक्शन अजमेर दरगाह के खादिम से था. बताया जाता है कि इस स्कैंडल का मास्टरमाइंड फारूक चिश्ती, अनवर चिश्ती और नफीस चिश्ती था.


इन तीनों का संबंध राजनीति से भी था. तीनों ही यूथ कांग्रेस के नेता थे. अजमेर दरगाह का खादिम होने और सियासी रसूख के दम पर इन सबने सैकड़ों हिंदू लड़कियों के साथ घिनौने वारदात को अंजाम दिया.


अमीरी के रसूख ने उम्रकैद से बचाया


ऐसा बताया जाता है कि इस शहर पर दाग लगाने वाले कोई और नहीं, बल्कि अजमेर दरगाह के खादिम थे, साथ ही अमीर और सफेदपोश लोग थे. ये लोग पैसे और प्रभाव दोनों से बेहद मजबूत थे. उन्हें देखकर कोई ऐसा नहीं कह सकता था कि वो कोई अपराधी होंगे.


किसी ने समाजसेवी का चोला ओढ़ रखा था तो किसे ने राजनीति का तो किसी ने इस्लाम का. शुरुआती दिनों में जब केस शुरू हुआ तो सिर्फ 8 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था. हालांकि जांच बढ़ती गई और आरोपियों की संख्या 18 तक पहुंच गई.


प्रिंट लैब की तस्वीरों ने खोली थी रेप कांड की पोल


जिन लोगों के खिलाफ सेक्स स्कैंडल का मामला दर्ज हुआ वे लोग सूफी फकीर कहे जाने वाले ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह की देखरेख में लगे हुए थे. वो सारे खुद को चिश्ती का वंशज मानते थे.


उस वक्त उनका ऐसा रसूख था कि प्रशासन भी उनके खिलाफ कार्रवाई करने से परहेज़ करता था. इस मामले में जब कोई भी लड़की पुलिस के पास शिकायत करने जाती तो यही लोग उन्हें धमकी देते कि उनकी नग्न तस्वीरें पूरे देश में दिखा दी जायेगी. जिसके बाद लड़कियां चुप्पी साध लेती थीं.


लेकिन एक दिन कुछ तस्वीरें लीक हो गईं. दरअसल नफीस और फारुक समेत सारे दोषी एक कलर लैब में तस्वीरों को प्रिंट कराते थे. यहीं से कुछ तस्वीरें बाहर आने लगीं और मामला लोगों के सामने खुलने लगा.


तस्वीरें सामने आने के बाद कई लड़कियों ने आत्महत्या की. 27 मई 1992 को पुलिस ने कुछ आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत नोटिस जारी किया.


सितंबर 1992 में अजमेर ब्लैकमेल कांड में पहली चार्जशीट फाइल की गई. जिसमें आठ आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई.


जब जांच आगे बढ़ी तो मासूम बच्चियों और लड़कियों के यौन शोषण के इस मामले में 10 और आरोपियों के नाम जोड़े गए.


गवाहों की कमी ने केस कमजोर किया


अजमेर रेप और ब्लैकमेल कांड जिला अदालत से हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, फास्ट ट्रैक कोर्ट और पॉक्सो कोर्ट के बीच घूमता रहा. शुरुआत में 17 लड़कियों ने अपने बयान दर्ज करवाए लेकिन बाद में ज्यादातर लड़कियां अपने बयान से मुकर गईं.


1998 में अजमेर की एक कोर्ट ने आठ दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट ने 2001 में उनमें से चार को बरी कर दिया.


2003 में सुप्रीम कोर्ट ने बाकी चारों दोषियों की सजा घटाकर 10 साल कर दी. इनमें मोइजुल्ला उर्फ पुत्तन इलाहाबादी, इशरत अली, अनवर चिश्ती और शम्शुद्दीन उर्फ माराडोना शामिल था.


फारुक चिश्ती ने खुद को पागल घोषित करवा कर सजा कम कराई


2007 में अजमेर की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फारूक चिश्ती को भी दोषी ठहराया, जिसने खुद को दिमागी तौर पर पागल घोषित करवा लिया था.


2013 में राजस्थान हाईकोर्ट ने फारुक चिश्ती की आजीवन कारावास की सजा घटाते हुए कहा कि वो जेल में पर्याप्त समय सजा काट चुका है.


2012 में सरेंडर करने वाला सलीम चिश्ती 2018 तक जेल में रहा और जमानत पर रिहा हो गया.


अजमेर रेप कांड का ये मामला रसूख और पैसों के प्रभाव के कारण दबा दिया गया लेकिन अब ये मामला एक फिल्म बनकर सिनेमा घरों में सुनामी लाने वाला है.


इस फिल्म का नाम है "अजमेर 92." 14 जुलाई को आने वाली इस फिल्म को लेकर डायरेक्टर पुष्पेंद्र सिंह आपके सामने हाज़िर होंगे ऐसी जानकारी आई है.

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