माओवादियों का जनपितुरी सप्ताह : मुठभेड़ में 3 माओवादी हुए ढेर, सुरक्षाबलों से डरकर भाग निकला माओवादी आतंकी हिड़मा

बीते दिनों एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें सुरक्षाबलों के सूत्रों के हवाले से यह दावा किया गया था कि सुरक्षाबल के जवानों जल्द ही हिड़मा और उसकी बटालियन के खूंखार माओवादी आतंकियों को मुठभेड़ में मार गिरा सकते हैं या उन्हें सुकमा एवं बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्र के जंगलों से पूरी तरह से खदेड़ सकते हैं। इसके लिए सुरक्षाबलों की टीम ने अलग-अलग तकनीक की सहायता लेते हुए एक व्यापक रणनीति बनाई थी।

The Narrative World    08-Jun-2023   
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छत्तीसगढ़ के घोर माओवाद से प्रभावित बस्तर संभाग के बीजापुर एवं सुकमा जिले की सीमा पर बुधवार
, 7 जून को सुरक्षाबलों एवं माओवादियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई है। शुरुआती जानकारी के अनुसार इस मुठभेड़ में माओवादी आतंकी संगठन के 3 आतंकी मारे गए हैं।


हालांकि सुरक्षाबलों के द्वारा जिस शीर्ष खूंखार माओवादी आतंकी कमांडर हिड़मा को दबोचने के लिए यह ऑपरेशन चलाया गया था, वही हिड़मा इस मुठभेड़ के दौरान भाग निकला है।


अभी तक सामने आई जानकारी के अनुसार जिन 3 माओवादियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया है, उन्हें नक्सली अपने साथ ले गए हैं। इसके अलावा ऐसी जानकारी भी निकल कर सामने आई है कि सुरक्षाबलों के द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई के दौरान हुए इस मुठभेड़ में कई माओवादी आतंकी घायल भी हुए हैं।


बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने इस पूरी घटना की पुष्टि की है। दरअसल बस्तर क्षेत्र में माओवादी आतंक का खात्मा करने के लिए सुरक्षाबलों की टीम बीते महीनों से अपनी योजना बना रही थी।


इस दौरान माओवादी आतंकी संगठन के प्लाटून नंबर वन के ठिकानों तक फोर्स पहुंच चुकी थी। माओवादी आतंकी संगठन के इस प्लाटून के कमांडर हिड़मा के गढ़ को सुरक्षाबलों ने भेद दिया था।


केंद्रीय सुरक्षाबलों और राज्य पुलिस के बीच उचित तालमेल के चलते प्लाटून नंबर 1 के प्रभावी क्षेत्रों में सुरक्षा बलों ने अपने कैंप स्थापित कर दिए हैं, वहीं अन्य क्षेत्रों में भी कैंप स्थापित करने की योजना बना ली है।


बीते दिनों एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें सुरक्षाबलों के सूत्रों के हवाले से यह दावा किया गया था कि सुरक्षाबल के जवानों जल्द ही हिड़मा और उसकी बटालियन के खूंखार माओवादी आतंकियों को मुठभेड़ में मार गिरा सकते हैं या उन्हें सुकमा एवं बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्र के जंगलों से पूरी तरह से खदेड़ सकते हैं। इसके लिए सुरक्षाबलों की टीम ने अलग-अलग तकनीक की सहायता लेते हुए एक व्यापक रणनीति बनाई थी।


सुरक्षाबलों की टीम ने अपने ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए माओवादियों के द्वारा चलाए जाने वाले जनपितुरी सप्ताह को चुना और ऑपरेशन लॉन्च कर दिया।


सुरक्षाबलों के द्वारा चलाए जा रहे हैं इस अभियान के दौरान ही सुकमा एवं बीजापुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र के भीतरी जंगलों में माओवादी आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ शुरू हुई।


बुधवार सुबह लगभग 10:00 से 11:00 के बीच यह मुठभेड़ शुरू हुई जो लंबे समय तक चलती रही। एक तरफ जहां कोबरा और एसटीएफ के जवान माओवाद विरोधी अभियान में जुटे हुए थे वहीं दूसरी ओर माओवादी आतंकियों ने उन पर गोलीबारी शुरू कर दी।


माओवादियों के द्वारा की गई गोलीबारी का जवाब देते हुए सुरक्षाबल के जवानों ने जवाबी कार्रवाई की। सुरक्षाबलों को भारी पड़ता देख माओवादी मुठभेड़ स्थल से भाग निकले। स्थिति ऐसी थी कि अपने साथियों की मौत और अपने माओवादी आतंकी साथियों को गोली लगते देख माओवादी कमांडर हिड़मा भी डरकर मुठभेड़ स्थल से भाग निकला।


सुरक्षाबल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह मुठभेड़ लगभग 2 घंटे तक चली थी जिसके बाद जवानों ने पूरे घटनास्थल की तलाशी ली। इस दौरान उन्हें कई स्थानों पर खून के धब्बे मिले।


देर शाम जब जवान जब वापस लौटे तब पूरी जानकारी सामने आई और बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक ने दावा करते हुए यह जानकारी दी कि करीब दो से तीन माओवादी इस मुठभेड़ में मारे गए हैं। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि जो माओवादी मारे गए हैं एवं जो घायल हुए हैं वो हिड़मा के करीबी हैं।


जनपितुरी सप्ताह के दौरान हुए इस मुठभेड़ में माओवादियों को बड़ा झटका लगा है। दरअसल माओवादी जून के महीने में अपना जनपितुरी सप्ताह मनाते हैं, जिसमें वो अपने प्रभावित क्षेत्र के अंदरूनी गांवों में सभा एवं सम्मेलनों का आयोजन करते हैं।


इस दौरान माओवादी आतंकी संगठन के नक्सली ग्रामीणों को माओवादी विचारधारा के बारे में बताते हैं साथ ही संगठन से उन्हें जोड़ने के लिए विभिन्न रणनीतियों का इस्तेमाल करते हैं।


इसके अलावा इस सप्ताह के दौरान माओवादी अपने संगठन के मारे गए माओवादियों की स्मृति में कार्यक्रम करते हैं। ऐसे में सुरक्षाबल के जवानों ने जिस तरह से माओवादी आतंकी संगठन के प्लाटून नंबर 1 को बैकफुट पर जाने पर मजबूर किया है, उससे यह बात तो स्पष्ट है कि माओवादियों के लिए यह एक बड़ा झटका है।


वहीं हिड़मा को घेरने की जो योजना सुरक्षाबलों के द्वारा बनाई गई थी उसमें भी उन्हें सफलता हाथ लगी है। हालांकि इस मुठभेड़ में वह भाग निकला है लेकिन उसके बटालियन के साथियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया है।


दरअसल हिड़मा बस्तर के सबसे खूंखार माओवादी आतंकियों में से एक है। इस पर ₹25 लाख का इनाम घोषित है। वर्ष 2010 में ताड़मेटला में जब देश का सबसे बड़ा माओवादी आतंकी हमला हुआ था, तब इस घटना को अंजाम देने में हिड़मा का भी हाथ था।


इसके बाद वर्ष 2013 में हुए झीरम घाटी हमले से लेकर वर्ष 2017 के बुर्का पाल हमले में और 2022 के चिंतागुफा हमले में भी हिड़मा का ही हाथ रहा है। हिड़मा माओवादी आतंकी संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी के शीर्ष सेंट्रल कमेटी का सदस्य है।


दिलचस्प बात यह है कि हिड़मा एकमात्र ऐसा सेंट्रल कमेटी का सदस्य है जो दंडकारण्य से है, अन्यथा इस समूह के बाकी कमांडर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना या अन्य प्रांतों से हैं।