आंतरिक सुरक्षा के प्रति भारत सावधान हो

पश्चिम बंगाल मुस्लिम कट्टरपंथियों, वामपंथियों और रोहिंग्याओं के टंगुल में फंसता जा रहा है। वहाँ हिंदुओं के साथ वैसा ही सलूक हो रहा जैसा कश्मीर में किया गया था। हिंदुओं के घर जलाए जा रहे है, उनकी माताएं-बहनों के बलात्कार किए जा रहे हैं।

The Narrative World    08-Jul-2023   
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जम्बूद्वीपे भरतखंडे आर्यावर्ते भारतवर्षे


नित्यपूजा संकल्पों में भारतीयों द्वारा कही जाने वाली ये पंक्तियाँ हमें भारत की सहस्राब्दियों पुरानी भौगोलिक परिसीमा बताती हैं। यह उस कालखण्ड की बात है, जब आज के इंडोनेशिया से लेकर कश्मीर तक और हिन्दूकुश से लेकर म्यांमार तक भारतीय संस्कृति की पताका मानव को विश्वधर्म का संदेश देती थी।


इस कालखण्ड से लेकर आज तक हमारा यह देश यूनानी, शक, कुषाण, हूण, तुर्क, मुस्लिम, मुगल, यूरोपीय व्यापारी, ईसाई आदि अनेत विदेशी ताकतों से लड़ता रहा है।


पिछली सहस्राब्दी में इस देश ने गुलामी का एक लम्बा दौर देखा है। इसने विदेशी शासन में अपने मंदिरों, गुरुकुलों, विश्वविद्यालयों को मज़हबी सनक में टूटते देखा है। पिछली शताब्दी का इतिहास उपर्युक्त महान भूमि के खंड-खंड होने का साक्षी है। और आज भी तुष्टिकरण, स्वार्थसिद्धि और राजनीतिक महात्वाकांक्षाओं ने इस देश को बाँटने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।


ऐसा नहीं है कि इस देश का पूरा इतिहास ही ऐसा है और न ही पुरुषार्थ व पराक्रम की यहाँ कभी कमी रही। प्रत्युत, विश्व में भारत के सिवा शायद ही कोई देश ऐसा होगा, जहां की संतानों ने अपनी जननी-जन्मभूमि के लिए मर-मिटने का अमित शौर्य दिखाया हो, जहाँ शीश कटाकर भी देह ने मातृभूमि के लिए युद्ध लड़ा हो। भारतीय योद्धा आज भी विश्व में शक्ति, पराक्रम और मानवता के पर्याय हैं।


इक्सीसवीं सदी में भी भारत के पास एक विशाल और सुसज्ज आधुनिक सेना है। बाह्य आक्रमणों का हमें भय भी नहीं है, फिर भी, हमें देश की सुरक्षा की इतनी चाक-चौबंद तैयारियाँ करनी पड़ती है; भला क्यों और किससे? इसका उत्तर बड़ा आसान है।


आज चोट घर के अंदर से ही की जा रही है। तो आइए, हम यह जानने का प्रयास करें कि भारत की आंतरिक सुरक्षा से जुड़े मुख्य विषय क्या हैं?


आज आए दिन आपको कश्मीर से आजादी के स्वर सुनने को मिलते होगें। यह सर्वविदित है कि आदिकाल से ही कश्मीर भारत का हिस्सा रहा है और भारत सरकार भी इस पर बार-बार जोर देती है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।


कश्मीरी हिंदुओं के साथ होते आ रहे उत्पीड़न से भी कोई अनभिज्ञ नहीं है। लेकिन फिर भी, आज यदि पूरा विश्व कश्मीर को पाकिस्तान के नक्शे में दिखाता है, तो इसका कारण भारत के भीतरघातिए ही हैं।


मानसरोवर हमने स्वतः ही चीन को यह कह कर दे दिया कि यह जमीन उपजाऊ नही है। देव भूमि के नाम से जानी जाने वाले उत्तराखंड की आज जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) बदल गई है। वो दिन दूर नही जब उत्तराखंड में भी कश्मीर जैसी स्थिति पैदा हो।


उत्तराखंड गठन के समय डेढ़ फीसदी मुस्लिम आबादी थी, जो आज 18 फीसदी हो गई है। हिमाचल प्रदेश पाकिस्तान द्वारा तस्करी के माध्यम से पहुँचाए जा रहे नशे के कब्जे में है। हिमाचल प्रदेश की हवाओं में अब चिट्टे (Chitta) का जहर घुलने लगा है। हरियाणा में आरक्षण की मांग को लेकर जाट प्रदर्शनकारियों ने जैसा खौफनाक कहर ढाया और आंदोलन के नाम पर जातीय दंगे सरीखे जो हालात उत्पन्न किए वे बेहद चिंताजनक हैं।


पंजाब खलिस्तान की मांग और प्रबल हो रही है ये आप देख रहे है। यहां कुछ लोगों में अपने देश भारत से ज्यादा कनाडा के लिए हमदर्दी है। दिल्ली में बड़े-बड़े केंद्रीय विश्वविद्यालयों से आपको भारत विरोधी सुनने को मिलेंगे।


भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह-इंशा अल्लाहके नारे को कौन भूल सकता है। राजस्थान में ऐसे अनेक जातीय संगठन मिल जाएंगे, जिनके जातीय स्वर देश में जहर घोलते दिखाई पड़ते हैं।


जहाँ के रणबांकुरों ने इस देश और धर्म की अस्मिता के लिए जीवन पर्यंत संघर्ष किया, आज वहाँ देश विरोधी और धर्म विरोधी विचारधाराओं का बोल बाला है।


मध्यप्रदेश में जनजातीय वर्गों में हिंदू मान्यताओं के प्रति विरोध के भाव भरे जा रहे हैं। इस्लाम और ईसाईयत में मतांतरण जोर-शोर से चल रहा है। अलग विंध्य प्रदेश और गोण्डवाना की मांग आप यहाँ सुन सकते है। छत्तीसगढ़ आज भी नक्सल समस्याओं से उबर नहीं पाया है। यहां बोरी भर चावल और क्रोसिन के दम पर मतांतरण जोरों पर है।


उत्तर प्रदेश और बिहार में भी जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) बदल गई है। कई जिलों में अल्पसंख्यक माने जाने वाले मतावलम्बी बहुसंख्यक बन गए हैं। आपको यहां राम और रामचरित मानस के विरोध के स्वरों के साथ-साथतिलक, तराजू और तलवार, जूते मारो इनको चारसरीखे जातीय विद्वेष में डुबे नारे भी आमतौर पर सुनाई देंगे। समाजवादी बिहार में वामपंथ और मुस्लिम तुष्टिकरण चरम पर है।


पशुपति से तिरुपति तक, ओडिशा, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, . बंगाल इत्यादि राज्यों में बना रेड कॉरिडोर देश को दीमक की तरह खोकला करने में लगा है। भारत के दक्षिणी राज्यों को उत्तरी राज्यों के विरुद्ध भड़काया जा रहा है।


मूलनिवासी द्रविड़ और आक्रमणकारी आर्य का झूठ गढ़ देश के विखण्डन के प्रयास किए जा रहे हैं। केरल, तेलांगना जैसे राज्य वामपंथी और इस्लामी कट्टरवाद के कब्जे में है।


महाराष्ट्र गैर-मराठियों के साथ बदसलूकी और उत्तरप्रदेश व बिहार से आए लोगों के साथ आए दिन मार-पीट की घटनाएँ शोचनीय हैं। गोवा शराब, भांग, चरस, ड्रग्स के नशे में धूत्त पड़ा है और पूरे देश में सप्लाई करा कर झूमा रहा है।


पश्चिम बंगाल मुस्लिम कट्टरपंथियों, वामपंथियों और रोहिंग्याओं के टंगुल में फंसता जा रहा है। वहाँ हिंदुओं के साथ वैसा ही सलूक हो रहा जैसा कश्मीर में किया गया था। हिंदुओं के घर जलाए जा रहे है, उनकी माताएं-बहनों के बलात्कार किए जा रहे हैं।


बाकि उत्तर-पूर्व के सातों राज्य ईसाइयों द्वारा मतांतरण की कार्यशाला बना दिए गए हैं। जनजातियों में देश और हिंदुओं के प्रति उदासीनता है बाकि राज्यो में अपने-अपने क्षेत्रीय द्वंद्व हैं।


ये सब भारतविभाजनकारी शक्तियों द्वारा किया जा रहा है। इन्हें यदि आज चिह्नित नही किया गया तो देश का भविष्य खतरे में होगा। हम भले ही विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे और दुनिया में सबसे आगे होंगे, लेकिन हम अपने ही घर पर हार चुके होंगे। अतएव सतर्क रहना समय की मांग है।


लेख


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बरुण कुमार मिश्रा

यंगइंकर

इंदौर, मध्यप्रदेश