केरल में कम्युनिस्टों और जिहादियों का आतंक

10 Mar 2024 14:22:12

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वर्तमान भारत में केवल एक ऐसा राज्य है जहां कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता में है
, और यह राज्य है केरल। कम्युनिस्ट विचार की नीतियों एवं अक्षमताओं के चलते पूरा राज्य अलग-अलग प्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है।


आर्थिक स्थिति को लेकर जहां न्यायालय से फटकार मिल रही है, वहीं रोजगार के मामले में भी यह पीछे है। आईएसआईएस का भर्ती मॉड्यूल भी इसी राज्य से संचालित होता हुआ नजर आया है। लेकिन सबसे बड़ी बात है यहां की कानून व्यवस्था एवं कम्युनिस्टों एवं इस्लामिक जिहादियों की गतिविधियां।


दरअसल जिस इस्लामिक आतंकी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई - PFI) को आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के चलते प्रतिबंधित किया गया, उसकी जड़ें एवं पूरी सक्रियता केरल में ही रही हैं। यही कारण है कि अब उस संगठन में लगे प्रतिबंध के बावजूद उससे जुड़े लोगों के द्वारा विभिन्न गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है।


“कम्युनिस्टों के इस गढ़ में इस्लामिक जिहादियों ने इतने अंदर तक तंत्र में घुसपैठ कर ली है कि गोपनीय एवं महत्वपूर्ण न्यायिक एवं प्रशासनिक दस्तावेज गायब हो रहे हैं।”


दरअसल वर्ष 2018 में केरल में कम्युनिस्टों की छात्र इकाई एसएफआई (स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया) और इस्लामिक आतंकी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की छात्र इकाई सीएफआई (कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया) एवं उसकी राजनीतिक इकाई एसडीपीआई के नेताओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी।


इस हिंसक झड़प में एर्नाकुलम स्थित महाराजा कॉलेज के छात्र अभिमन्यु की इस्लामिक जिहादियों ने हत्या कर दी थी। अभिमन्यु कम्युनिस्ट संगठन एसएफआई से जुड़ा हुआ था।

 

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इस पूरे विषय को लेकर असिस्टेंट कमिश्नर ने 5,000 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी, साथ ही इसमें अभिमन्यु की हत्या के मामले में 26 लोगों को आरोपी बनाया था। इसके अतिरिक्त इस पूरे केस से संबंधित अन्य दस्तावेजों को भी पुलिस ने एर्नाकुलम सेशन कोर्ट में जमा किया था।


लेकिन कम्युनिस्टों के इस शासन तंत्र में इस्लामिक आतंकी संगठन की घुसपैठ को इससे समझा जा सकता है कि 5,000 पन्नों के इस चार्जशीट के साथ-साथ 11 महत्वपूर्ण दस्तावेज अब रहस्यमयी तरीके से 'गायब' बताए जा रहे हैं। सेशन कोर्ट ने इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय को भी जानकारी दी है।


चार्जशीट में स्पष्ट रूप पीएफआई से जुड़े सीएफआई के इस्लामिक जिहादियों को आरोपी बनाया गया था, जिन्होंने 2 जुलाई, 2018 को हथियारों से अभिमन्यु की हत्या की थी। गौरतलब है कि जब भारत सरकार ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया, तब भी इस हत्याकांड को प्रमुखता से नोटिफिकेशन लिस्ट में शामिल किया गया था।


प्रदेश में कम्युनिस्ट सरकार की 'इस्लामिक तुष्टिकरण' की नीतियों के कारण जिस बेखौफ तरीके से पीएफआई के जिहादी अभी भी सक्रिय रूप से अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं, उससे सभी स्तब्ध हैं।


मृतक अभिमन्यु के भाई का कहना है कि जब उन्हें दस्तावेजों के 'गायब' होने की जानकारी मिली, तो वो पूरी तरह से आश्चर्यचकित थे। उन्होंने इन दस्तावेजों के गायब होने के विषय की भी गहन जांच करने की मांग की है।


“गायब दस्तावेजों में चार्जशीट के अलावा, पोस्टमार्टम की रिपोर्ट, गवाहों के बयान और मृतक के शरीर में पड़े घाव की रिपोर्ट थी। इस पूरे मामले को बीते 6 वर्षों से देख रहे कुछ लोगों का कहना है कि जिस तरह से यह सभी दस्तावेज गायब हुए हैं, यह केवल अपराधियों को बचाने के लिए किया गया है। लोग यह भी पूछ रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या कारण था जिसके चलते बीते 6 वर्षों तक कोर्ट में ट्रायल भी शुरू नहीं किया गया था।”


देखा जाए तो केरल की सत्ता में स्थापित कम्युनिस्ट पार्टी हमेशा से इस्लामिक कट्टरपंथियों-जिहादियों के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रखती आई है, लेकिन इसका अंजाम केरल की आम जनता भुगत रही है।


वायनाड में एक और छात्र की हत्या


वहीं दूसरी ओर हाल ही में केरल के वायनाड में सिद्धार्थ नामक एक छात्र की हॉस्टल में हत्या कर दी गई। यह हत्या केरल के पशु चिकित्सा महाविद्यालय के हॉस्टल में की गई। इस मामले में भी अपराधियों का कनेक्शन कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ा हुआ आया है।


दरअसल वायनाड में स्थित पशु चिकित्सा कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र सिद्धार्थ को पहले हॉस्टल में कम्युनिस्ट संगठन एसएफआई से जुड़े छात्रों ने नग्न किया और उसकी देर रात तक पिटाई की, जिसमें उसकी मौत हो गई। इसके बाद उसके शव को ऐसे रखा गया, जिससे वह आत्महत्या लगे, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि यह आत्महत्या नहीं है।


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इस मामले को लेकर पुलिस ने जो केस फ़ाइल किया है, उसमें शामिल आरोपियों में बड़ी संख्या में एसएफआई से जुड़े कम्युनिस्ट छात्र नेता हैं। विपक्षी नेताओं के दबाव एवं मृतक छात्र के परिजनों की बढ़ती मांग के बाद इस केस को सीबीआई को सौंपने का फैसला किया गया है।


कुल मिलाकर देखें तो पूरे राज्य में कम्युनिस्ट और इस्लामिक जिहादी, दोनों तत्व बिना किसी डर के अपराधों को अंजाम दे रहे हैं, क्योंकि उन्हें यह पता है कि सरकार में बैठे कम्युनिस्ट नेता और तंत्र में बैठे इस्लामिक जिहादी उन्हें कुछ नहीं होने देंगे।

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