विदेश में सीक्रेट मीटिंग के बाद नेहरू ने ब्रिटिश नागरिक से किया था भारत में कम्युनिस्ट पार्टी को बढ़ाने का वादा

अपनी भारत यात्रा के दौरान रजनी पालमे दत्त ने यहां के कम्युनिस्ट नेता पीसी जोशी समेत गांधी, नेहरू और जिन्ना से भी मुलाकात की थी। दिलचस्प है कि ब्रिटेन की कम्युनिसि पार्टी के नेता को भारत में स्थापित ऑल इंडिया रेडियो में भी उन्हें ब्रॉडकास्ट के लिए बुलाया गया।

The Narrative World    16-Apr-2024   
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कम्युनिस्टों के द्वारा वामपंथी विचार को प्रसारित करने के लिए स्थापित किए गए
'पीपल्स पब्लिशिंग हॉउस' का मुख्यालय दिल्ली के झंडेवालान में है। यहां कम्युनिस्टों ने दूसरी मंजिल पर जाने के लिए बनी सीढ़ियों के सामने एक ब्रिटिश नागरिक की तस्वीर लगाई हुई थी, जो 1946 में ली गई थी।


यह तस्वीर हाल ही के समय तक इसी पब्लिशिंग हॉउस में लगी रही। कुछ समय पूर्व ही कम्युनिस्ट नेताओं ने इसे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के मुख्यालय अजॉय भवन में लगा दिया है। यह तस्वीर है RPD की, अर्थात रजनी पालमे दत्त की, जो एक ब्रिटिश नागरिक थे।


रजनी पालमे दत्त के नाम पर ही कम्युनिस्टों ने अपने पब्लिशिंग हॉउस के भवन का नाम आर. पालमे दत्त भवन रखा था। रजनी दत्त का प्रभाव भारत के कम्युनिस्टों पर इतना अधिक था कि आज भी कम्युनिस्ट उन्हें लेकर गुणगान करते नहीं थकते।


“लेकिन ये रजनी पालमे दत्त थे कौन ? आख़िर एक ब्रिटिश नागरिक के नाम पर कम्युनिस्टों ने अपने भवन का नाम क्यों रखा था ?”


दरअसल ऐसा है कि रजनी पालमे दत्त 'ग्रेट ब्रिटेन की कम्युनिस्ट पार्टी' के संस्थापक नेताओं में से एक थे, जो बाद में पार्टी के सर्वोच्च नेता भी बने। 1939 से 1941 के बीच वो ग्रेट ब्रिटेन की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के पद पर थे।


ब्रिटिश नागरिक रजनी पालमे दत्त ने लेनिन से प्रभावित होकर लेबर मंथली नामक एक पत्रिका का आरंभ किया, जिसका वो जीवन भर संपादन करते रहे। लेकिन आप सोच रहे होंगे कि हम इस रजनी पालमे दत्त के बारे में इतनी चर्चा क्यों कर रहे हैं।


ऐसा है कि रजनी पालमे दत्त ही वो व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत में कम्युनिस्ट पार्टी और विचार को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और इसमें उनका साथ दिया था कांग्रेस के नेता और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने।


“जवाहरलाल नेहरू ने रजनी पालमे दत्त को यह वचन दिया था कि वो कांग्रेस अध्यक्ष के नाते पूरी ऊर्जा एवं शक्ति से कम्युनिस्ट पार्टी को बढ़ावा देने के लिए वो सब करेंगे जो संभव हो सके। उन्होंने एक सूची भी ली थी, जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने रजनी दत्त को भरोसा दिलाया था।”


इस पूरी कहानी को समझने के लिए हमें पहले रजनी पालमे दत्त को समझना होगा। दरअसल दत्त ग्रेट ब्रिटेन की कम्युनिस्ट पार्टी की प्रोपेगेंडा मशीनरी के प्रमुख थे, अर्थात वो पार्टी के साप्ताहिक अखबार वर्कर्स वीकली के संपादक की भूमिका निभा रहे थे।


इसके बाद उन्होंने 1923 में सोवियत संघ का दौरा किया, जहां वो कम्युनिस्ट इंटरनेशनल के कार्यकारी समिति की बैठक में शामिल हुए। दत्त ने बेल्जियम और स्वीडन में कॉमिन्टर्न (कम्युनिस्ट इंटरनेशनल) के प्रतिनिधि के रूप में रहे जहां उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी का विस्तार किया।



1921 में ही रजनी पालमे दत्त ने भारत का दौरा किया था, इस दौरान वो यहां के कई कम्युनिस्ट नेताओं से मिले थे। सिर्फ इतना ही नहीं, रजनी दत्त ने कई स्थानों पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के लिए रैलियां भी की थीं।


अपनी भारत यात्रा के दौरान रजनी पालमे दत्त ने यहां के कम्युनिस्ट नेता पीसी जोशी समेत गांधी, नेहरू और जिन्ना से भी मुलाकात की थी। दिलचस्प है कि ब्रिटेन की कम्युनिसि पार्टी के नेता को भारत में स्थापित ऑल इंडिया रेडियो में भी उन्हें ब्रॉडकास्ट के लिए बुलाया गया।


अब उस दौर को याद कीजिए जब नेहरू ने रजनी पालमे दत्त को यह भरोसा और वचन दिया था कि वो कांग्रेस अध्यक्ष के नाते जितना बन पड़ेगा उतना प्रयास करेंगे कि कम्युनिस्ट पार्टी का विस्तार हो सके। लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने रजनी दत्त को यह वचन कहाँ दिया था ?


यह किस्सा कुछ ऐसा है कि स्विट्ज़रलैंड का एक शहर है लुसान, जहां जवाहरलाल नेहरू की मुलाकात बेंजामिन फ्रांसिस ब्रैडले से हुई थी। बेंजामिन ब्रैडले ब्रिटिश मूल के एक घोर कम्युनिस्ट नेता थे। दोनों की मुलाकात लुसान के एक अस्पताल में हुई थी, जहां नेहरू अपनी पत्नी कमला नेहरू का उपचार कराने गए थे।


“जिस दौरान नेहरू और ब्रैडले की मुलाकात हुई, उसी समय वहां रजनी पालमे दत्त भी मौजूद थे। इस दौरान नेहरू और दत्त ने अस्पताल में ही तीन दिन बिताए, जिसके बाद दोनों में काफी नजदीकियां बढ़ चुकी थी। गौरतलब है कि इस मुलाकात को हमेशा संयोग कहा जाता है, लेकिन जिस तरह से इसके बाद नेहरू और दत्त के वार्तालाप सामने आए, यह संयोग से अधिक दिखाई देता है।”


जिस अस्पताल के किस्से का उल्लेख हमने किया है, उसे नेहरू के आधिकारिक जीवनीकार सर्वपल्ली गोपाल ने खुद अपनी पुस्तक में लिखा है। एक तरफ रजनी पालमे दत्त, जो ब्रिटिश कम्युनिस्ट पार्टी के दिमाग थे, वहीं दूसरी ओर जवाहरलाल नेहरू, जो भारत में बड़े नेता के रूप में स्थापित किए जा रहे थे, और दोनों के बीच की एक कड़ी, वो थी ग्रेट ब्रिटेन।


इस पूरे मुलाकात पर कांग्रेस पार्टी के वर्तमान राष्ट्रीय महासचिव एवं संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने पुस्तक में लिखा है कि 'रजनी पालमे दत्त ने ब्रैडले की बीमारी का बहाना बनाकर नेहरू से मुलाकात की थी, जिसके बाद उन्होंने कम्युनिस्टों के अंतरराष्ट्रीय मंच कॉमिन्टर्न को एक रिपोर्ट भेजी थी। इस रिपोर्ट में कहा गया कि दत्त की नेहरू से 16 घंटे बातचीत हुई थी।'


इस बात की पुष्टि करता हुआ एक पत्र पूर्व भारतीय रक्षा मंत्री वीके में कई जीवनी में प्रकाशित है। इस पत्र से यह भी खुलासा हुआ था कि रजनी पालमे दत्त ने नेहरू का कोड नेम 'प्रोफेसर' रखा था।


जयराम रमेश ने ही मेनन की जीवनी ने इस बात का उल्लेख किया है कि नेहरू से मिलकर रजनी दत्त आश्वस्त हो चुके थे कि नेहरू कम्युनिस्टों के प्रति सहानुभूति रखते हैं।