तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वर्ष 2006 में एक बयान देते हुए परोक्ष रूप से कहा था कि 'भारत के संसाधनों पर पहला हक़ मुस्लिमों का है।' इसी बयान को याद दिलाते हुए वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी राजस्थान रैली के दौरान कहा कि 'यदि कांग्रेस सत्ता में आती है तो वो लोगों की संपत्ति अल्पसंख्यकों में बांट देगी।'
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बयान के लिए कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयानों को आधार बनाया। नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि 'ये अर्बन नक्सल की सोच (कांग्रेसियों की) मेरी माँ-बहनों, ये आपका मंगलसूत्र भी नहीं बचने देंगे।'
जब प्रधानमंत्री यह कहते हैं, तो हमें यह जरूर समझना चाहिये कि आखिर वो 'अर्बन नक्सल' कहकर किस सोच के बारे में बात कर रहे हैं ? प्रधानमंत्री ऐसा क्यों कहा रहे हैं कि कांग्रेस हमारे संपत्तियों को अल्पसंख्यकों को दे देगी ?
इसे समझने के लिए हमें कांग्रेस पार्टी की कम्युनिज़्म से ग्रसित विचारधारा और देश में हो रही तमाम गतिविधयों पर कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रियाओं को भी समझना पड़ेगा, क्योंकि अब बात केवल संपत्ति तक सीमित नहीं है, यह हिंदु समाज की बेटियों तक आ चुकी है।
राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी अपने उसी क्रांतिकारी काम की बात कर रहे हैं, जिसकी बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में की है। यह केवल और केवल मुस्लिमों को अपने पाले में करने और उस वोट बैंक को मजबूत करने के किए कांग्रेस का नया पैंतरा है।
राहुल गांधी जिनकी संपत्तियों का इंस्टिट्यूशनल और फाइनेंशियल सर्वे करवाना चाहते हैं, आखिर वो कौन लोग हैं ? यह और कोई नहीं बल्कि देश का वह हिन्दु समाज है, जो ना सिर्फ परिश्रम से अपनी कमाई करता है, देश के विकास के लिए टैक्स देता है, भारत को सशक्त बनाने में अपनी सकारात्मक भूमिका निभाता है और तो और भारत के संविधान, कानून एवं नियमों का निष्ठा से पालन करता है।
लेकिन दूसरी ओर राहुल गांधी इन हिंदुओं की सम्पत्ति का सर्वे कराकर किसे देना चाहते हैं, उस समाज को जो देश के संविधान से ऊपर अपनी मजहबी किताब को रखता है? या उस परिवार को आज के समय में भी परिवार नियोजन के सिद्धांतों को दरकिनार कर 'जनसंख्या जिहाद' में लगा हुआ है? क्या राहुल गांधी हिंदुओं के सम्पत्तियों को उन्हें बाँटना चाहते हैं, जो देश के अलग-अलग हिस्सों में दंगे कर रहे हैं या उन्हें जो पाकिस्तान से आए हिंदुओं के लिए लाए गए सीएए का विरोध कर रहे हैं?
भारत के हिंदु समाज को यह समझना चाहिए कि राहुल गांधी जिस तरह से मुस्लिम तुष्टिकरण की ओछी राजनीति कर रहे हैं, वह ना सिर्फ़ हिंदु समाज के लिए बल्कि पूरे देश के लिए घातक है। स्पष्ट रूप से दिखता है कि कैसे कांग्रेस हिंदु समाज की केवल सम्पत्तियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने हिंदु समाज की बेटियों के साथ भी अपराध करने वाले मुस्लिमों को खुली छूट दे रखा है।
आपने कभी यह देखा है कि हिंदुओं की सम्पत्तियों को मुसलमानों को बाँटने का विचार रखने वाली कांग्रेस पार्टी ने हिंदु बेटियों के विरुद्ध होने वाले 'लव जिहाद' के षड्यंत्र पर अपनी आवाज़ उठाई हो? क्या आपने कभी राहुल गांधी को इन जिहादियों के ख़िलाफ़ बोलते हुए देखा या सुना है? इसका उत्तर है नहीं! राहुल गांधी ने कभी भी हिंदु बेटियों की अस्मिता से खेलने वाले जिहादियों के विरुद्ध कोई टिप्पणी नहीं की है।
इसका ताज़ा उदाहरण है कर्नाटक में हुई नेहा की हत्या। कर्नाटक में कांग्रेस नेता की ही बेटी को फय्याज ने इसलिए मार दिया क्योंकि नेहा ने फय्याज के प्रेम प्रस्ताव को इंकार कर दिया था।
इस घटना के बाद जहाँ नेहा के पिता और कांग्रेस नेता ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह लव जिहाद का मामला है, लेकिन राज्य कांग्रेस सरकार इसे अभी भी नकार रही है। अंततः उस हिंदु कांग्रेस नेता को यह कहना पड़ गया कि उसे अपनी पार्टी से न्याय की उम्मीद ही नहीं है। उस कांग्रेस नेता से कांग्रेस पार्टी का कोई शीर्ष नेता मिलने भी नहीं गया, गया तो कौन? भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा।
यह केवल एकमात्र ऐसा मामला नहीं है जब कांग्रेस पार्टी लव जिहाद जैसे घिनौने मामले को लेकर 'मुस्लिम तुष्टिकरण' की राजनीति कर रही है, इससे पहले ऐसे सैकड़ों मामले आ चुके हैं, जब कांग्रेस ने आरोपियों के विरुद्ध केवल इसलिए आवाज़ नहीं उठाई, क्योंकि वो 'मुसलमान' थे।
चाहे वो श्रद्धा वाकर का मामला हो, जिसमें आफ़ताब ने उसके टुकड़े-टुकड़े कर फ्रिज में रख दिया था या साक्षी की साहिल खान द्वारा की गई हत्या हो, चाहे वो सीमा को मारने वाला नावेद हो या अर्चना को मारने वाला जावेद, इन सभी मामलों में या तो कांग्रेस ने लव जिहाद के आरोपों को सिरे से नकार दिया, या इस पर कुछ बोलने से बचते रहे। सैकड़ों हिंदु किशोरियों-युवतियों का क़त्ल बीते कुछ वर्षों में इन तथाकथित 'पिछड़े एवं अधिकारों से वंचित' समूह ने किया है।
राहुल गांधी के परिवार ने सात दशक पहले जो बँटवारा किया था, यह उसी का परिणाम है कि 'घुसपैठियों' के प्रति 'हमदर्दी' रखने वाली क़ौम खुलकर हिंदु बेटियों को निशाना बना रही है।
यह सम्पत्ति का बँटवारा भी राहुल गांधी के परिवार का कोई नया नारा नहीं है, इससे पहले बँटवारे के बाद पेशावर, मुल्तान, लाहौर, कराची और रावलपिंडी के जिन छोटे-बड़े घरों एवं सम्पत्तियों के मालिक कभी हिंदु-सिख थे, उन पर आज मुस्लिमों का क़ब्ज़ा इसी 'सम्पत्ति के बँटवारे' के तहत किया गया है जिसके एवज़ में जवाहरलाल नेहरु प्रधानमंत्री बने। और फिर पाकिस्तान के इन शहरों में सम्पत्ति के बँटवारे के बाद हिंदु बेटियों और बहनों का ही बँटवारा किया गया, जिसके हज़ारों उदाहरण हमने देखें हैं और आज भी देख रहे हैं।
कुल मिलाकर देखें तो राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी हिंदुओं को जाति में बाँटकर उनकी ही सम्पत्तियों को हड़पना चाहते हैं, ताकि अपने "मुस्लिम वोट बैंक" को वो पक्का कर सकें, और अपने पूर्वज नेहरु की तरह प्रधानमंत्री बन सकें।