फोर्स का एक और बड़ा ऑपरेशन, 13 माओवादी ढेर; केंद्र की रणनीति ने बदली माओवादी अभियान की तस्वीर

फोर्स की बड़ी संख्या में ऑपरेशन करने के पीछे का एक कारण यह भी है कि अभी जिस स्थान में जवानों में माओवादियों को ढेर किया है वह माओवादियों के सबसे सुरक्षित क्षेत्रों में आता है। यह माओवादियों के लिए कितना सुरक्षित है, इसका संकेत इसी बात से मिलता है कि यहां माओवादियों की हथियार बनाने की फैक्ट्री चलती है।

The Narrative World    11-May-2024   
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छत्तीसगढ़ के भीतर माओवाद से प्रभावित बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बल के जवानों के द्वारा एक के बाद एक जिस तरह से ऑपरेशन लॉन्च किए जा रहे हैं
, उसने माओवादी आतंकी संगठन की कमर तोड़ दी है।


इन्हीं अभियानों के तहत जवानों ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है। धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र बीजापुर में माओवादियों को बड़ा झटका देते हुए फोर्स ने 12 नक्सलियों को मार गिराया है।


सुरक्षा बल के जवानों ने जिस क्षेत्र में माओवादियों को ढेर किया है, वह माओवादियों का बड़ा गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन इस एनकाउंटर के बाद अब इस क्षेत्र में फोर्स की कमान बढ़ने वाली है। मिली जानकारी के अनुसार यह मुठभेड़ जिले के भीतर पीड़िया के जंगलों में शुक्रवार को हुई है, जिसमें जवानों ने माओवादियों को ढेर किया है।


मुठभेड़ को लेकर पुलिस ने बताया कि नक्सल उन्मूलन अभियान के लिए निकले जवान जब पिड़िया के जंगल में पहुँचे तब वहां पहले से घात लगाए बैठे माओवादियों ने जवानों पर गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी का जवाब सुरक्षाकर्मियों ने भी दिया और फिर जवानों को भारी पड़ता देख माओवादी भाग निकले।


मुठभेड़ के बाद जब जवानों ने क्षेत्र की तलाशी ली, तब उन्हें माओवादियों के शव प्राप्त हुए, जिनके साथ ही भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक भी मिले हैं। पुलिस ने बताया कि इस ऑपरेशन से पहले पिड़िया क्षेत्र में बड़े माओवादी आतंकी नेताओं की मौजूदगी की सूचना मिली थी, जिसके बाद दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिले के 1200 जवानों के साथ यह अभियान चलाया गया था।


शुक्रवार सुबह 6 बजे निकली इस टीम में डीआरजी, एसटीएफ और सीआरपीएफ एवं कोबरा के जवान शामिल थे। क्षेत्र में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में जवान नक्सल अभियान के लिए निकले थे।


गौरतलब बीजापुर में पिछले डेढ़ महीने में यह दूसरा मौका है जब फोर्स ने माओवादियों के विरुद्ध किसी बड़े ऑपरेशन में सफलता हासिल की है, जिसमें बड़ी संख्या में माओवादी मारे गए हैं। इससे पहले 1 अप्रैल को फोर्स ने 10 माओवादियों को मार गिराया था।


फोर्स की बड़ी संख्या में ऑपरेशन करने के पीछे का एक कारण यह भी है कि अभी जिस स्थान में जवानों में माओवादियों को ढेर किया है वह माओवादियों के सबसे सुरक्षित क्षेत्रों में आता है। यह माओवादियों के लिए कितना सुरक्षित है, इसका संकेत इसी बात से मिलता है कि यहां माओवादियों की हथियार बनाने की फैक्ट्री चलती है।


इसके अलावा माओवादी इसी जगह पर अपने नये लड़ाकों को ट्रेनिंग देते हैं। इस क्षेत्र में माओवादियों की धमक ऐसी बढ़ी हुई थी कि वर्ष 2009 में जब यहां ऊपर से एक हेलीकॉप्टर गुजरा था, तब माओवादियों ने उसपर भी गोलीबारी कर दी थी, जिसमें एक गोली एयरफोर्स के इंजीनियर को भी लग गई थी।


फोर्स द्वारा किए जा रहे बड़े अभियानों के चलते बीते साढ़े चार महीनों में ही 103 माओवादी ढेर हो चुके हैं, इसे छत्तीसगढ़ के इतिहास में माओवादियों के विरुद्ध सबसे बड़ी सफलता मानी जा सकती है।


केंद्र सरकार की लंबी रणनीति से मिल रही सफलता


1 अप्रैल को 13 माओवादी बीजापुर में ढेर हुए थे। इसके बाद 16 अप्रैल को कांकेर में 29 माओवादी मारे गए। 30 अप्रैल को नारायणपुर में 10 माओवादी ढेर हुए थे। और अब बीजापुर में फिर 12 माओवादी मारे गए हैं। इसके अलावा अन्य अभियानों में भी बीच-बीच में माओवादी ढेर हुए हैं।


इन सभी अभियानों की रणनीति केंद्रीय गृहमंत्री के दिशा निर्देशों में लंबे समय से चल रही थी। चूंकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के कारण नक्सलियों के प्रति कड़ी कार्रवाइयां धीमी हो गई थी, लेकिन सत्ता परिवर्तन होते ही सभी रणनीतियों को जमीन पर उतारना शुरू कर दिया गया है।


वर्ष 2022 से इस रणनीति पर कार्य शुरू कर दिया गया था, जिसके बाद फोर्स लगातार माओवादियों के गढ़ में घुसने लगी। भीतरी क्षेत्रों में कैंप स्थापित किये जाने लगे और माओवादियों की सप्लाई चेन को भी तोड़ने का काम किया गया।


अंदरूनी क्षेत्रों में कैंप होने के चलते फोर्स को लंबा सफर कर ऑपरेशन नहीं करना पडता, जिससे उनके ऑपरेशन की गोपनीयता भी बनी रहती है, और यही माओवादियों का इंटेलिजेंस नेटवर्क भी विफल हो जाता है।


वहीं नक्सलियों की सप्लाई चेन को तोड़ना भी एक बड़ी सफलता रहिज़ जिसके चलते उनके लिए हथियारों की आपूर्ति से लेकर अन्य सामानों की पहुँच भी कठिन हो गई।