सुप्रीम कोर्ट से मिली अर्बन नक्सली गौतम नवलखा को जमानत, जानिए कौन है नवलखा जिसके हिजबुल से भी हैं संबंध

गौतम नवलखा का नाम उन लोगों में शामिल है जो माओवादियों की विचारधारा को न सिर्फ समर्थन देते हैं, बल्कि पूरे देश में माओवादी जिन आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं उसे आगे बढ़ाने और उसका प्रचार प्रसार करने के साथ-साथ उसे प्रोत्साहित भी करते हैं।

The Narrative World    15-May-2024   
Total Views |

Representative Image 

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एलगार परिषद माओवादी लिंक के मामले में अर्बन माओवादी गौतम नवलखा को जमानत दी है। कोर्ट ने इस दौरान सुरक्षा खर्च के 20 लाख रुपये भी देने का निर्देश दिया है, जिसे गौतम नवलखा को देना है।


कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा है कि सुनवाई पूरी होने में अभी वर्षों लग जायेंगे, अतः हाईकोर्ट के आदेश पर रोक की अवधि अभी नहीं बढ़ाई जाएगी। अभी प्रतिवादी 20 लाख रूपये का भुगतान करे। यह कहते हुए न्यायालय ने नवलखा को जमानत दे दी है।


दरअसल बम्बई हाईकोर्ट ने बीते वर्ष 19 दिसंबर को नवलखा को जमानत दी थी, जिसके विरुद्ध एनआईए ने शीर्ष अदालत में अपील करने का समय मांगा था। इस बीच तमाम कार्रवाइयों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा को बेल तो दे दिया है, लेकिन जांच अभी भी चलती रहेगी।


कौन है गौतम नवलखा ?


गौतम नवलखा भीमा कोरेगांव - एलगार परिषद मामले में आरोपी है, जिसे यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले नवलखा की जमानत याचिका कई बार खारिज की जा चुकी है।


दरअसल गौतम नवलखा का नाम उन लोगों में शामिल है जो माओवादियों की विचारधारा को न सिर्फ समर्थन देते हैं, बल्कि पूरे देश में माओवादी जिन आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं उसे आगे बढ़ाने और उसका प्रचार प्रसार करने के साथ-साथ उसे प्रोत्साहित भी करते हैं।


इसके अलावा एनआईए ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि गौतम नवलखा को माओवादी आतंकी संगठन की ओर से बुद्धिजीवियों को सरकार के विरुद्ध एकत्रित करने का जिम्मा दिया गया था और वह इसी कार्य में लगा हुआ था।


गौतम नवलखा शहरों में न सिर्फ माओवादी विचारधारा का प्रचार प्रसार कर रहा था बल्कि विभिन्न मंचों पर लोगों को हथियार उठाने के लिए भी उकसा रहा था।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी को मिली जानकारी के अनुसार माओवादी आतंकियों के अलावा गौतम नवलखा के तार पाकिस्तानी आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के साथ भी जुड़े हुए थे। पुणे पुलिस ने भी इस बात का खुलासा मुंबई हाई कोर्ट में किया था।


पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार शहरी माओवादी गौतम नवलखा कश्मीर के आतंकवादियों, अलगाववादियों और हिजबुल मुजाहिदीन आतंकवादी संगठन के आतंकियों से भी जुड़ा हुआ था और उसके उन सभी से गहरे संबंध थे।


वर्ष 2014 में अपने द्वारा लिखे एक लेख में गौतम नवलखा ने माओवादी आतंकी संगठन के मिलिट्री विंग पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी की जमकर तारीफ की थी।


इस लेख में गौतम नवलखा ने पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी के आतंकियों को सैनिक के रूप में संबोधित किया था। इसके अलावा अपने आलेख में गौतम नवलखा ने माओवादी आतंकी संगठन को ग्लोरिफाई और ग्लैमराइज करने का कार्य किया था।


एनआईए के आरोप पत्र में नवलखा को प्रतिबंधित माओवादी आतंकी संगठन सीपीआई-माओवादी का सदस्य बताया गया है। आरोप पत्र में यह भी कहा गया था कि नवलखा दिल्ली, मुंबई एवं छत्तीसगढ़ के कई युवाओं को माओवादियों के लिए लड़ने हेतु तैयार कर रहा था।


क्या है भीमा कोरेगांव मामला ?


महाराष्ट्र में भीमा नदी के किनारे बसे कोरेगांव क्षेत्र में वर्ष 2018 की पहली जनवरी को दंगे भड़के थे। इन दंगों में एक व्यक्ति की मौत हुई थी, और 500 से अधिक गाड़ियां जलाई गई थी।


Representative Image 


इन दंगों के पीछे माओवादी-कम्युनिस्ट समूहों के हाथ होने की बात सामने आई थी, जिसके बाद जांच एजेंसियों ने एक के बाद एक देशभर से अर्बन नक्सलियों को गिरफ्तार किया था।


इस दौरान गिरफ्तार लोगों में आनंद तेलतुंबडे, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, शोमा सेना, रोना विल्सन, गौतम नवलखा जैसे तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता थे, जो मानवाधिकार-कानूनी कार्यकता का भेष बनाकर माओवादी विचारधारा के लिए कार्य कर रहे थे।


Representative Image 


इन लोगों ने दंगे से पहले 2017 की 31 दिसंबर को एलगार परिषद की बैठक में भड़काऊ बयान दिया था, जिसके बाद ही पूरे महाराष्ट्र में दंगे हुए थे। इन्हीं मामलों के चलते देश में पहली बार अर्बन नक्सलियों की व्यापक तौर पर गिरफ्तारी देखी गई थी।