दिल्ली दंगों की सच्चाई अब अदालत में एक-एक कर सामने आ रही है। खुद को ‘निर्दोष’ बताने वाला जेएनयू का पूर्व छात्र उमर खालिद अब यह दावा कर रहा है कि उसे जानबूझकर मामले में फंसाया गया है। लेकिन दिल्ली पुलिस की चार्जशीट, गवाहों के बयान और जांच रिपोर्ट यह साफ करते हैं कि खालिद ही उस साजिश का मुख्य चेहरा था जिसने 2020 में दिल्ली की सड़कों पर हिंसा और आगजनी की भयावह तस्वीरें खींची।
9 अक्टूबर को दिल्ली की एक अदालत में सुनवाई के दौरान उमर खालिद ने कहा कि पुलिस ने “पिक एंड चूज” की नीति अपनाई है। उसने आरोप लगाया कि जिन लोगों की भूमिका उससे “ज्यादा बड़ी” थी, उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया। लेकिन कोर्ट में प्रस्तुत पुलिस रिपोर्ट और गवाहों के बयान इसके बिल्कुल उलट कहानी कहते हैं।
दरअसल, दिल्ली पुलिस ने 6 मार्च 2020 को दर्ज एफआईआर में साफ किया था कि फरवरी 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगे किसी स्वतःस्फूर्त घटना का नतीजा नहीं थे, बल्कि यह सुनियोजित साजिश थी। यह हिंसा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान रची गई थी ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह दिखाया जा सके कि भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है।
पुलिस की जांच में यह सामने आया कि उमर खालिद ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर “भारत को बदनाम” करने के लिए हिंसा का माहौल तैयार किया था। उसने कई जगह भड़काऊ भाषण दिए और लोगों से अपील की कि ट्रम्प की यात्रा के दौरान सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करें। इन्हीं भाषणों के बाद दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर और करावल नगर जैसे इलाकों में हिंसा भड़की, जिसमें 53 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए।
दिल्ली हाईकोर्ट ने भी 2 सितंबर 2023 को उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि प्राथमिक तौर पर दोनों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं जो यह साबित करते हैं कि उन्होंने विरोध प्रदर्शनों को हिंसा में बदलने की भूमिका निभाई। कोर्ट ने माना कि खालिद के भाषण महज राजनीतिक अभिव्यक्ति नहीं थे, बल्कि उनमें साजिश और उकसावे के तत्व मौजूद थे।
खालिद का नाम ‘पिंजरा टॉड’ और ‘इंडिया अगेंस्ट हेट’ जैसे संगठनों से भी जुड़ा है। दिल्ली पुलिस ने अपनी जांच में बताया था कि इन संगठनों ने न सिर्फ भड़काऊ प्रचार किया बल्कि भीड़ को संगठित कर दंगे भड़काने में अहम भूमिका निभाई। मई 2020 में पुलिस ने पिंजरा टॉड की संस्थापक नताशा नारवाल और देवांगना कलिता को गिरफ्तार किया, जो सीधे तौर पर उमर खालिद के संपर्क में थीं।
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, उमर खालिद वह “इंटेलेक्चुअल आर्किटेक्ट” था जिसने दिल्ली में आग लगाने की पूरी योजना बनाई। उसने युवाओं को उकसाया, सोशल मीडिया पर झूठ फैलाया और हिंसा को जायज ठहराने की कोशिश की।
आज जब वह अदालत में खुद को ‘टारगेट’ बताया रहा है, तब यह याद रखना जरूरी है कि उस हिंसा में निर्दोष नागरिकों की जानें गईं, घर जले, और सैकड़ों परिवार उजड़ गए। उमर खालिद का तथाकथित आंदोलन लोकतंत्र नहीं बल्कि अराजकता का चेहरा था, जिसने दिल्ली को तीन दिन तक जलाया और देश की राजधानी को शर्मसार किया।
लेख
शोमेन चंद्र