कांग्रेस की सबसे बड़ी दुश्मन... कांग्रेस ही है!

15 Nov 2025 22:24:18
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बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हालत फिर बेहद खराब रही। पार्टी छह सीटों पर सिमट गई और दो अंक भी नहीं छू सकी। यह नतीजा किसी एक नेता की गलती नहीं है, बल्कि कांग्रेस की लगातार कमजोर होती रणनीति, जमीन से कट चुके नेतृत्व और गलत फैसलों का नतीजा है। यह बात खुद कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता खुलकर कह चुके हैं। लेकिन राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे इन सवालों से बचते दिखते हैं।
 
चुनाव के ठीक पहले राहुल गांधी का चार देशों की विदेश यात्रा पर निकलना इस बात का ताजा सबूत है कि उन्हें चुनावी जिम्मेदारी कितनी कम समझ में आती है। पार्टी की हालत बिहार में बिगड़ रही थी, कार्यकर्ता जवाब ढूंढ रहे थे, लेकिन राहुल विदेश में भाषण देने और फोटो खिंचवाने में व्यस्त रहे। कांग्रेस इसे कूटनीतिक दौरा बता रही है, जबकि जनता इसे गैर जिम्मेदाराना व्यवहार मान रही है।
 
पार्टी के कई नेता यह सवाल उठा रहे हैं कि जब चुनाव इतने महत्वपूर्ण थे, तब राहुल मैदान में क्यों नहीं थे। क्या कांग्रेस एक ऐसे नेता के भरोसे चुनाव लड़ सकती है जो हर संकट के समय विदेश चला जाए। यही कारण है कि लोग उन्हें पार्ट टाइम नेता कहते हैं और भरोसा नहीं कर पाते।
 
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हार के बाद राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने फिर वही पुराना दावा दोहराया कि वोट चोरी हुआ है। यह बयान खुद कांग्रेस के अंदर भी मजाक का विषय बन गया है, क्योंकि यही नेतृत्व कभी सच्ची समीक्षा करने को तैयार नहीं दिखता। खुद कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि समस्या संगठन के भीतर है और बहाने गिनाने से कुछ नहीं बदलेगा।
 
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कांग्रेस ने बिहार में जाति आधारित राजनीति पर भरोसा रखा। पिछले कुछ सालों में पार्टी ने मुद्दों की जगह जातीय समीकरण को केंद्र में रखकर तुष्टिकरण की राजनीति अपनाई। लेकिन जनता ने इसे साफ तौर पर नकार दिया। लोगों को रोजगार, शिक्षा और विकास चाहिए, न कि किसी खानदान या जाति पर आधारित चुनावी भाषण। कांग्रेस इस बदलाव को समझ नहीं पाई और फिर से फेल हो गई।
 
 
शशि थरूर, मणि शंकर अय्यर, निखिल कुमार, कृपाणाथ पाठक, मुमताज पटेल जैसे वरिष्ठ नेताओं ने साफ कहा कि कांग्रेस अपनी गलतियों से सीख नहीं रही। राज्य इकाई से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक संवाद टूट चुका है। टिकट बंटवारा गलत हुआ। सही जानकारी नेतृत्व तक पहुंची ही नहीं। कई नेता अभियान में शामिल तक नहीं किए गए।
यह सब दिखाता है कि समस्या भाजपा या चुनाव आयोग में नहीं है, समस्या कांग्रेस के ढांचे और उसके शीर्ष चेहरों में है। पार्टी में वही लोग ताकतवर बने बैठे हैं जो कई चुनाव हार चुके हैं और जमीन से कट चुके हैं।
 
बिहार की हार ने साबित कर दिया है कि कांग्रेस अब भी अपनी पिछली गलतियों को दोहरा रही है। पार्टी तभी सुधार कर पाएगी जब राहुल गांधी और खड़गे जिम्मेदारी लें, बहाने छोड़ें और संगठन को नए सिरे से खड़ा करें। वरना हर चुनाव में जनता कांग्रेस को इसी तरह सबक सिखाती रहेगी।
 
लेख
शोमेन चंद्र
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