SU-57 की पूरी तकनीक देने का रूसी प्रस्ताव भारत के लिए अहम

22 Nov 2025 12:30:26
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भारत के रक्षा क्षेत्र में बड़ा बदलाव दिखा है, क्योंकि रूस ने अपने SU-57 पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर के लिए पूरा तकनीक ट्रांसफर देने की पेशकश की है। इस प्रस्ताव में इंजन, रडार सिस्टम, मिशन सॉफ्टवेयर, एवियोनिक्स और स्टील्थ सामग्री शामिल है, जो भारत को यह विमान पूरी तरह देश में बनाने और आगे और बेहतर करने की स्वतंत्रता देता है। यह कदम भारत की दीर्घकालिक वायु शक्ति रणनीति को मजबूत करता है और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य के अनुरूप है।
 
SU-57 का यह पैकेज भारत को अब तक के सबसे व्यापक तकनीकी अधिकार प्रदान करता है। इससे भारत को सभी अहम प्रणालियों तक सीधी पहुंच मिलती है, जिससे वह क्षेत्रीय चुनौतियों के अनुसार विमान को बदल सकता है। यह न केवल मेक इन इंडिया के लक्ष्य को तेज करता है, बल्कि AMCA परियोजना को भी गति देता है। सबसे अहम बात यह है कि भारत अपग्रेड, हथियार एकीकरण और रखरखाव अपने नियंत्रण में कर सकता है, क्योंकि इस मॉडल में किसी विदेशी अनुमति या संभावित प्रतिबंध का डर नहीं रहता।
 
 
इसके विपरीत, अमेरिका का F-35 मॉडल भारत को सीमित पहुंच देता है। वाशिंगटन कोड, आंतरिक सॉफ्टवेयर, इंजन तकनीक और स्टील्थ ढांचा साझा करने से साफ इनकार करता है। इस कारण भारत को हर अपग्रेड के लिए अनुमति लेनी होगी। इसके साथ ही ट्रंप का रुख लगातार अनिश्चित हो गया है, जिसमें अचानक टैरिफ चेतावनियां, आक्रामक बयान और कूटनीतिक दबाव शामिल हैं। ऐसे माहौल में भारत के लिए किसी ऐसे विमान पर निर्भर रहना मुश्किल है, जिसे दूसरे देश की स्वीकृति चक्र नियंत्रित करे।
 
ट्रंप ने कई बार टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी दी, जिसे रूस के साथ भारत की रक्षा साझेदारी से जोड़ा गया। इससे असंतोष और अनिश्चितता बढ़ी। भारत अपनी वायु शक्ति को ऐसे प्लेटफॉर्म पर नहीं टिका सकता, जहां राजनीतिक उतार चढ़ाव से दंडात्मक कदम उठ सकते हैं। रक्षा साझेदारी स्थिर और भरोसेमंद होनी चाहिए, जबकि ट्रंप की शैली इससे उलट दिखी।
 
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रूसी प्रस्ताव भारत के एयरोस्पेस क्षेत्र को नई दिशा देता है। इससे AMCA परियोजना को मजबूती मिलती है, घरेलू आपूर्ति श्रृंखला का विस्तार होता है और स्टील्थ एविएशन पर भारत का नियंत्रण बढ़ता है। यह तकनीकी अधिकार आने वाले दशकों में बहु मोर्चीय खतरों से निपटने की क्षमता देता है। इसलिए SU-57 सौदा सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि भारत की आने वाले 40 वर्षों की रणनीतिक स्वायत्तता को तय करता है।
 
SU-57 के पूर्ण तकनीक ट्रांसफर और F-35 के सीमित मॉडल के बीच भारत की प्राथमिकता साफ है। रूस का प्रस्ताव दीर्घकालिक क्षमता देता है, जबकि ट्रंप का मॉडल दबाव और सीमाओं पर आधारित है। भारत का संदेश स्पष्ट है कि राष्ट्रीय सुरक्षा विदेशी सॉफ्टवेयर ताले, टैरिफ धमकियों या राजनीतिक अनिश्चितता पर आधारित नहीं हो सकती। SU-57 प्रस्ताव भारत को अपने शर्तों पर आकाश सुरक्षित करने की दिशा में बड़ा कदम देता है।
 
लेख
शोमेन चंद्र
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