कन्वर्जन के छल का अंत, जनजातीय परिवारों ने पुरखों के मार्ग को चुना

24 Nov 2025 20:33:14
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ओडिशा के मालकानगिरी जिले के माथिली प्रखंड स्थित सोडीगुड़ा गांव में हाल ही में एक महत्वपूर्ण सामाजिक घटना सामने आई जहां 17 जनजातीय परिवारों ने अपने स्वधर्म में लौटने का निर्णय लिया। यह कदम केवल धार्मिक वापसी नहीं बल्कि अपनी जड़ों और संस्कृति से पुनः जुड़ने का संकल्प भी है। गांव के प्रमुख लोगों और आस-पास के पंचायतों की उपस्थिति में इन परिवारों ने जनजातीय परंपराओं के अनुसार पूजा-अर्चना कर अपनी घर वापसी की घोषणा की।
 
कार्यक्रम विश्व हिन्दू परिषद के सहयोग से आयोजित किया गया। परिवारों ने बताया कि वे कुछ वर्ष पहले ईसाई पादरियों के झांसे में आकर अपने पूर्वजों की परंपरा से दूर हो गये थे। पादरियों ने बीमारी ठीक होने और गरीबी मिटने जैसे झूठे दावे कर उन्हें बहकाया। कई परिवारों ने कहा कि उस समय वे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से परेशान थे। पादरियों ने फायदा उठाते हुए वादा किया कि ईसाइयत अपनाने से उनका कष्ट दूर हो जाएगा। इसी विश्वास में उन्होंने अपने पारंपरिक धर्म को छोड़ दिया, लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि यह सब छल था।
 
कन्वर्जन के बाद परिवार अपने समाज से कटने लगे। वे न तो अपने त्योहार मनाने में सहज थे और न ही सामुदायिक कार्यक्रमों में शामिल हो पा रहे थे। इससे गांव में कई बार तनाव की स्थिति बन जाती थी। लंबे समय से ग्रामीण उन्हें समझाते रहे कि बीमारी या आर्थिक समस्या का समाधान धर्म बदलने से नहीं होगा। कई बैठकों में उन्हें बताया गया कि इस तरह का कन्वर्जन केवल उनकी संस्कृति को कमजोर करने की साजिश है।
 
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लगातार समझाने के बाद अंततः परिवारों ने सच्चाई को पहचाना और घर वापसी का निर्णय लिया। परिवारों ने खुशी जताते हुए कहा कि वे अपने पूर्वजों की परंपरा में लौटकर संतोष महसूस कर रहे हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि ईसाई पादरियों द्वारा फैलाए गये भ्रम से वे अस्थिर हो गये थे और समाज से अलगाव उनके लिए पीड़ादायक था।
 
कार्यक्रम में सरपंच समेत कई स्थानीय आदिवासी नेता भी मौजूद रहे। कुमरापल्ली पंचायत और आस-पास के क्षेत्रों में इस घटना को सामाजिक एकता की बड़ी जीत माना जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि जब जनजातीय समाज अपनी रीति-रिवाजों और संस्कृति से दूर होता है तो पूरा क्षेत्र प्रभावित होता है। इसलिए यह घर वापसी केवल धार्मिक परिवर्तन नहीं बल्कि सांस्कृतिक पुनर्स्थापन भी है।
 
 
बजरंग दल के ओडिशा पश्चिम प्रांत के संयोजक रामचंद्र नायक ने कहा कि ईसाई मिशनरियां लंबे समय से भोले-भाले लोगों को बहला कर कन्वर्ट करने का प्रयास करती हैं जिससे समाज में वैमनस्य बढ़ता है। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि कन्वर्जन के खिलाफ बने कानून को सख्ती से लागू किया जाए ताकि जनजातीय समाज को ऐसे छल से बचाया जा सके।
 
यह घर वापसी कार्यक्रम न केवल उन परिवारों का पुनर्जागरण है बल्कि पूरे समाज के लिए एक संदेश है कि अपनी जड़ों से जुड़े रहना ही स्थिरता और एकता की नींव है।
 
लेख
शोमेन चंद्र
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