हजारों फर्जी आधार कार्ड बरामद, क्या सत्ता के लालच में ममता सरकार देश की सुरक्षा दांव पर लगा रही है?

06 Nov 2025 07:23:40
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पश्चिम बंगाल के पूर्वस्थली उत्तर विधानसभा क्षेत्र से हजारों फर्जी आधार कार्ड मिलने के बाद राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया है। यह खुलासा केवल एक प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि ममता बनर्जी सरकार के शासन में फैल चुकी गहरी सड़ांध का प्रमाण है। जिस राज्य को विकास, शिक्षा और रोजगार की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए था, वहां अब पहचान तस्करी और घुसपैठियों का गढ़ बनता जा रहा है।
 
फर्जी आधार कार्डों की बरामदगी ने राज्य की पहचान और सुरक्षा प्रणाली को कठघरे में खड़ा कर दिया है। सवाल यह है कि आखिर हजारों आधार कार्ड बिना किसी सरकारी जानकारी के कैसे छप गए? यह कोई सामान्य गलती नहीं, बल्कि एक संगठित नेटवर्क का हिस्सा प्रतीत होता है, जो राज्य प्रशासन की ढिलाई और राजनीतिक संरक्षण के कारण फल-फूल रहा है।
 
पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में पहले से ही अवैध घुसपैठ की समस्या गंभीर रही है। अब जब हजारों फर्जी पहचान पत्र बरामद हुए हैं, तो यह साफ दिखता है कि सरकार की नीतियों और निगरानी में भारी चूक हुई है। यह चूक केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक भी है।
 
ममता बनर्जी सत्ता बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार दिखती हैं। यही वजह है कि राज्य में ऐसी गतिविधियाँ खुलेआम चल रही हैं जो देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डालती हैं। जिस सरकार को जनता की पहचान और डेटा सुरक्षा की रक्षा करनी चाहिए, वही सरकार राज्य को पहचान धोखाधड़ी का अड्डा बना रही है।
 
फर्जी आधार कार्डों के माध्यम से न केवल अवैध नागरिकों को देश की प्रणाली में शामिल किया जा सकता है, बल्कि यह तंत्र राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकता है। यह मामला केवल डेटा चोरी या घोटाले का नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता से जुड़ा प्रश्न है।
मामले पर अब तक तृणमूल कांग्रेस की ओर से कोई ठोस बयान नहीं आया है। यह चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। आखिर जब इतनी बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेज बरामद हुए हैं, तो सरकार जवाब देने से क्यों बच रही है? क्या यह डर है कि जांच आगे बढ़ने पर उसके अपने लोगों की संलिप्तता उजागर हो जाएगी?
 
राज्य की कानून व्यवस्था पहले से चरमराई हुई है। अब जब पहचान प्रणाली पर भी खतरा मंडरा रहा है, तो यह स्पष्ट है कि ममता बनर्जी की सरकार न प्रशासनिक नियंत्रण रख पा रही है और न ही नैतिक विश्वसनीयता। 
यह घटना पूरे देश में पश्चिम बंगाल की छवि को धूमिल करती है। एक समय यह राज्य बौद्धिकता और संस्कृति का प्रतीक था, आज वही पहचान फर्जी दस्तावेजों, भ्रष्टाचार और राजनीतिक संरक्षण की वजह से कलंकित हो रही है।
 
ममता बनर्जी को यह समझना होगा कि सत्ता केवल कुर्सी नहीं, जिम्मेदारी है। और जब यह जिम्मेदारी निभाने में नाकामी होती है, तो उसका परिणाम जनता और देश दोनों को भुगतना पड़ता है।
 
पश्चिम बंगाल में फर्जी आधार कार्डों का यह मामला ममता सरकार की नीतिगत विफलता और प्रशासनिक अराजकता की स्पष्ट तस्वीर पेश करता है। यदि समय रहते इस पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो राज्य ही नहीं, देश की सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर असर पड़ेगा। मेरा सवाल सिर्फ इतना ही है कि आखिर ममता बनर्जी की सरकार किसके लिए काम कर रही है? जनता के लिए या उन ताकतों के लिए जो देश की जड़ों को कमजोर करना चाहती हैं?
 
लेख
शोमेन चंद्र
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