रायपुर में सर्व समाज, छत्तीसगढ़ ने आमाबेड़ा हिंसा, जबरन शव दफन और कन्वर्जन के विरोध में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को ज्ञापन सौंपकर सख्त कार्रवाई की मांग रखी।
कांकेर जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र में हालिया घटनाओं को लेकर प्रदेशभर में आक्रोश दिखाई दिया। सर्व समाज, छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधियों ने रायपुर में प्रशासन के समक्ष ज्ञापन प्रस्तुत कर स्पष्ट किया कि ईसाई मिशनरी समूहों और भीम आर्मी से जुड़े तत्वों ने जनजातीय समाज पर योजनाबद्ध हमला किया। प्रतिनिधियों ने कहा कि जबरन शव दफन की घटना और ग्रामीणों पर किए गए हमले ने जनजातीय आस्था, सामाजिक गरिमा और संवैधानिक अधिकारों को सीधी चुनौती दी है।
ज्ञापन में सर्व समाज ने बताया कि आमाबेड़ा की घटना कोई अकेला मामला नहीं है। इससे पहले भी प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में अवैध कन्वर्जन, सामाजिक हस्तक्षेप और परंपराओं के उल्लंघन की घटनाएं सामने आती रही हैं। इन गतिविधियों ने सामाजिक संतुलन और सौहार्द को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। ज्ञापन सौंपने पहुंचे प्रतिनिधियों ने कहा कि ऐसी घटनाएं पूरे समाज में असुरक्षा और आक्रोश पैदा कर रही हैं।
सर्व समाज ने यह भी बताया कि आमाबेड़ा प्रकरण के विरोध में प्रदेशव्यापी बंद और शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन का आह्वान किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में नागरिक, जनजातीय प्रतिनिधि और सामाजिक संगठन शामिल हुए। उन्होंने इसे इस बात का प्रमाण बताया कि यह मुद्दा अब केवल स्थानीय नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ की सामूहिक चिंता बन चुका है।
ज्ञापन में राज्य सरकार से कई अहम मांगें रखी गईं। सर्व समाज ने धर्म स्वातंत्र्य विधेयक को सख्ती से लागू करने की मांग करते हुए कहा कि प्रलोभन, दबाव और षड्यंत्र के जरिए हो रहे कन्वर्जन पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कांकेर में जनजातीय समाज पर हुए संगठित हमले के लिए जिम्मेदार भीम आर्मी से जुड़े तत्वों और कन्वर्टेड समूहों के आरोपियों पर कठोर धाराओं में कार्रवाई की मांग की।
प्रतिनिधियों ने जिला पुलिस प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जनजातीय ग्रामीणों के साथ पक्षपात हुआ और शांतिपूर्ण ग्रामीणों पर अत्यधिक बल का प्रयोग किया गया। साथ ही शव दफन प्रकरण में प्रशासनिक भूमिका को लेकर एसडीएम और तहसीलदार के निलंबन और निष्पक्ष जांच की मांग की।
ज्ञापन के अंत में सर्व समाज ने स्पष्ट किया कि यह पहल किसी धर्म या समुदाय के विरोध में नहीं है। उन्होंने इसे संविधान, कानून के शासन, जनजातीय आस्था और सामाजिक समरसता की रक्षा से जुड़ा विषय बताया। प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी कि यदि शासन ने समय रहते निष्पक्ष और कठोर कार्रवाई नहीं की, तो सर्व समाज लोकतांत्रिक दायरे में आंदोलन को और व्यापक करेगा, जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।