कांग्रेस विधायक कोथुर मंजुनाथ के हालिया बयान ने एक बार फिर कांग्रेस की उस राष्ट्रविरोधी सोच को उजागर किया है, जो समय-समय पर देश की सुरक्षा और सेना के पराक्रम पर सवाल खड़े करती रही है। मंजुनाथ ने ऑपरेशन सिन्दूर की प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हुए इसे "दिखावा" करार दिया और इसकी सत्यता पर सबूत मांगे।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर अपनी संदिग्ध मानसिकता दिखाई हो। उरी (2016) और बालाकोट (2019) हमलों के बाद भी कांग्रेस ने भारतीय सेना के शौर्य पर सवाल उठाकर और सबूत मांगकर देश को शर्मसार किया था।
उरी हमले और सर्जिकल स्ट्राइक: कांग्रेस का पहला हमला
18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी में भारतीय सेना के ब्रिगेड मुख्यालय पर जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकियों ने हमला किया, जिसमें 19 जवान बलिदान हो गए। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। 10 दिन बाद, 30 सितंबर 2016 को भारत ने जवाबी कार्रवाई के तौर पर सर्जिकल स्ट्राइक की, जिसमें आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया।
भारत ने इसे एक सफल ऑपरेशन बताया, लेकिन कांग्रेस ने इसकी सत्यता पर सवाल उठाकर अपनी संकीर्ण सोच का परिचय दिया। कांग्रेस नेताओँ ने इसे "फर्जी" करार दिया, जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (जो उस समय कांग्रेस के साथ तालमेल में थे) ने भी सबूत मांगे।
यह वही समय था जब देश बलिदानियों के शोक में डूबा था, लेकिन कांग्रेस ने सेना के पराक्रम पर सवाल उठाकर एक गलत उदाहरण पेश की। यह सवाल उठाना न केवल सेना का अपमान था, बल्कि उन बलिदानियों का भी मखौल था, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी।
पुलवामा और बालाकोट हमला: कांग्रेस का दोहरा चेहरा
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर जैश-ए-मोहम्मद के एक आत्मघाती हमलावर ने हमला किया, जिसमें 40 जवान बलिदान हो गए। इस हमले ने देश को गहरे सदमे में डाल दिया। 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायुसेना ने जवाबी कार्रवाई के तौर पर बालाकोट में जैश के सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर पर हवाई हमला किया। यह 1971 के बाद पहली बार था जब भारतीय विमानों ने पाकिस्तान की मुख्यभूमि में हमला किया था।
भारत ने दावा किया कि इस हमले में 200-350 आतंकवादी मारे गए। लेकिन कांग्रेस ने फिर वही राग अलापा कि सबूत दो! कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने न्यूयॉर्क टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट जैसे विदेशी मीडिया के हवाले से हमले की सत्यता पर सवाल उठाए।
सैम पित्रोदा ने कहा, "अगर 300 लोग मारे गए, तो मुझे यह जानने का हक है।" ममता बनर्जी ने भी विदेशी मीडिया का हवाला देकर सबूत मांगे। यह उस समय की बात है जब पूरा देश बलिदान जवानों के लिए शोक मना रहा था।
कांग्रेस की इस हरकत ने न केवल सेना का मनोबल तोड़ने की कोशिश की, बल्कि पाकिस्तान को भी एक हथियार दे दिया। पाकिस्तान ने हमेशा इन हमलों को नकारा और कहा कि कुछ नहीं हुआ।
कांग्रेस ने ठीक वही भाषा बोली, जो पाकिस्तान बोल रहा था। क्या यह संयोग था, या कांग्रेस जानबूझकर पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा का हिस्सा बन रही थी? बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने उस समय कहा था, "कांग्रेस बार-बार सेना से सबूत मांगकर पाकिस्तान की भाषा बोल रही है। यह शर्मनाक है।"
ऑपरेशन सिन्दूर और मंजुनाथ का ताजा हमला
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटक मारे गए। इसके जवाब में 7 मई को भारत ने ऑपरेशन सिन्दूर शुरू किया, जिसमें 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया और करीब 100 आतंकियों को मारने का दावा किया गया। लेकिन कांग्रेस विधायक कोथुर मंजुनाथ ने इस ऑपरेशन को "दिखावा" करार देते हुए सबूत मांगे।
उन्होंने कहा, "हमने यहाँ मारा, वहाँ मारा? कोई कहता है ऐसा हुआ, कोई कहता है वैसा हुआ। किस पर भरोसा करें?" यह बयान उस समय आया, जब देश आतंक के खिलाफ एकजुट होकर सरकार और सेना के साथ खड़ा था। मंजुनाथ का यह बयान कांग्रेस की उस पुरानी मानसिकता को दर्शाता है, जो हमेशा सेना के पराक्रम पर सवाल उठाती रही है। बीजेपी ने इसे "देशद्रोह" करार दिया, और सोशल मीडिया पर लोगों ने मंजुनाथ को "राष्ट्रविरोधी" तक कहा।
कांग्रेस का राष्ट्रविरोधी एजेंडा: एक पैटर्न
उरी, बालाकोट, और अब ऑपरेशन सिन्दूर, हर बार कांग्रेस ने एक ही पैटर्न अपनाया कि सबूत मांगो, सेना पर सवाल उठाओ, और सरकार को कठघरे में खड़ा करो। यह पैटर्न संयोग नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। कांग्रेस ने हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को सियासी रंग देकर अपनी संकीर्ण राजनीति को चमकाने की कोशिश की है।
26/11 मुंबई हमले के बाद भी कांग्रेस सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उस समय भारतीय वायुसेना हमले के लिए तैयार थी, लेकिन यूपीए सरकार ने अनुमति नहीं दी। सोशल मीडिया पर लोग आज भी इस बात को याद करते हैं कि कैसे कांग्रेस ने उस समय "शांति का पाठ" पढ़ाकर देश को कमजोर किया।
कांग्रेस की यह सोच न केवल सेना का अपमान करती है, बल्कि उन बलिदान जवानों के परिवारों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम करती है, जो देश के लिए अपनी जान दे चुके हैं। जब पूरा देश एकजुट होकर आतंक के खिलाफ लड़ रहा होता है, तब कांग्रेस का सबूत मांगना और सेना पर सवाल उठाना क्या देशद्रोह नहीं है?
सवाल जो जवाब मांगते हैं
कांग्रेस से कुछ सवाल हैं, जिनका जवाब देश को चाहिए: